Move to Jagran APP

Delhi Currency Festival: 100 साल से भी ज्यादा पुराने सिक्के और नोटों की अद्भुत प्रदर्शनी, मुद्राएं बता रहीं देश का इतिहास

Delhi Currency Festivalकांस्टीट्यूशन क्लब में दिल्ली मुद्रा उत्सव में ऐतिहासिक सिक्के और नोट की प्रदर्शनी की जा रही है। जहां खन्नकती मकती मुद्राएं देश का भव्य इतिहास बताती नजर आ रही हैं। 10 किलो वजनी सिक्का व वर्ष 1917 का एक रुपये का कागजी नोट लोगों को लुभा रहा है।

By Geetarjun GautamEdited By: Published: Sat, 25 Jun 2022 10:19 PM (IST)Updated: Sat, 25 Jun 2022 10:19 PM (IST)
Delhi Currency Festival: 100 साल से भी ज्यादा पुराने सिक्के और नोटों की अद्भुत प्रदर्शनी, मुद्राएं बता रहीं देश का इतिहास
कांस्टीट्यूशन क्लब में ऐतिहासिक सिक्के और नोट की प्रदर्शनी

नई दिल्ली [आशीष सिंह]। मुद्राएं हमें इतिहास से रूबरू कराती हैं। ये मानव सभ्यता के क्रमिक विकास को समझने में मदद करती हैं। अगर मुद्राओं के माध्यम से बदलते समाज के साथ भारत और विश्व के दर्शन करने है तो कांस्टीट्यूशन क्लब जरूर आएं।

loksabha election banner

यहां चल रहे दिल्ली मुद्रा उत्सव में जरूर आएं, जो हजारों प्राचीन सिक्के और नोट का वह समुद्र हैं जो अपना-अपना खास इतिहास व समयकाल लिए हुए दर्शकों को चौका रहा है। विशेष बात कि इनमें चोल वंश व विजय नगर साम्राज्य के साथ दो से ढाई हजार वर्ष पूर्व की दुर्लभ मुद्राएं अपनी खास चमक लिए हुए मौजूद हैं।

आजादी पूर्व राजा-महाराजाओं, मुगल शासक, बादशाह व सुल्तानों के राज में चलन में रहीं मुद्राओं का आकर्षक तो यहां है ही। आजादी के बाद देश में सिक्कों की विविधता से यहां साक्षात्कार होने का मौका मिल रहा है। विशेष तौर पर 300 डालर का आस्ट्रेलिया सिक्का दर्शकों को चमत्कृत कर रहा है, जिसका वजन 10 किलोग्राम है और वर्तमान भारतीय मूल्य तकरीबन 11 लाख रुपये हैं। यह प्रदर्शनी सोमवार तक चलेगी।

इसमे तमिलनाडु, पंजाब, हरियाणा व केरल समेत देश भर से 11 राज्यों के 85 मनी एक्सचेंजर स्टाल लगाए हुए हैं। इनके स्टालों पर प्राचीन काल की मुद्राएं, मुगल व अंग्रेजों के समय के सिक्के व नोट हैं। एक स्टाल पर वर्ष 1917 में छपा एक रुपये का भारतीय नोट भी हैं। इस नोट में कीमत पंजाबी, तमिल, गुजराती व तेलगु समेत कुल आठ भाषाओं में लिखा गया है।

कई ऐतिहासिक आंदोलनों के वक्त की चलन वाली मुद्राएंं भी यहां प्रदर्शित हैं। इसमें वर्ष 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम से लेकर वर्ष 1859-60 का नील विद्रोह व पंजाब में हुए कूका आंदोलन की मुद्राएं प्रमुख हैं।

इस प्रदर्शनी में पत्थर, टेराकोटा व धातु की दुर्लभ मुद्राओं भी है, जो दो से ढाई हजार वर्ष पुरानी बताई जा रही हैं। इसी तरह चोल साम्राज्य व विजय नगर सभ्यता में लेन-देन में प्रयोग होने वाली मुद्राएं लोगों को अचंभित कर रही है।

तमिलनाडु के मनी एक्सचेंजर उरवा बताते हैं कि इनकी कीमत 300 से एक लाख रुपये तक हैं। इस प्रदर्शनी का आयोजक दिल्ली काइंस सोसाइटी के उपाध्यक्ष सुनील सोनू सिंघला ने बताया कि इस प्रदर्शनी का उद्देश्य देश की विरासत के बहुत ही समृद्ध पहलू को लेकर लोगों खासकर युवाओं को जागरूक करना है।

भारत की धरोहर को संजोने का हो रहा काम- लेखी

केंद्रीय पर्यटन व संस्कृति राज्यमंत्री मीनाक्षी लेखी कमानी सभागार में आयोजित कार्यशाला के समापन समारोह में मौजूद थीं। इस दौरान उन्होंने कहा कि सरकार आजादी का अमृत महोत्सव के अंतर्गत भारत की धरोहर को संजोने का काम कर रही है। इसलिए प्राचीन व दुर्लभ वाद्ययंत्रों की इस कार्यशाला का आयोजन किया गया। जिसमें देश के विभिन्न राज्यों से आए कलाकारों ने युवा पीढ़ी को पुराने वाद्य यंत्रों से परिचित कराया और उन्हें बनाना सिखाया।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.