IS आतंकियों को नहीं मिली जमानत, कोर्ट ने कहा सबूत को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता
अदालत ने कहा कि रिकॉर्ड पर उपलब्ध बातचीत प्रतिलेख से प्रतीत होता है कि अभियुक्त खूंखार आतंकी संगठन के लिए अवैध हथियार खरीद में शामिल थे ।
नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। आतंकवादी संगठन आइएस के दो संदिग्धों की जमानत याचिका दिल्ली की एक अदालत ने खारिज कर दी। दोनों आतंकियों को व दिल्ली पुलिस ने गैरकानूनी गतिविधि व रोकथाम अधिनियम के तहत गिरफ्तार किया था। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश धर्मेंद्र राणा ने वर्ष 2018 में दिल्ली में लाल किले के पास से गिरफ्तार किए गए परवेज राशिद लोन और जमशेद जहूर पॉल को राहत देने से इनकार कर दिया।
अदालत ने कहा कि रिकॉर्ड पर उपलब्ध बातचीत प्रतिलेख से प्रतीत होता है कि अभियुक्त खूंखार आतंकी संगठन के लिए अवैध हथियार खरीद में शामिल थे और सेना की गतिविध की जानकारी आतंकियों से साझा करते थे।
अदालत ने आगे कहा कि राष्ट्रीय जांच एजेंसी एनआईए अभियुक्तों के खिलाफ साक्ष्य एकत्र नहीं कर पाई है ऐसे में दिल्ली पुलिस द्वारा एकत्र किए गए सबूतों को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। पुलिस ने अवैध हथियार खरीदने के आरोप में लोन और पॉल को सितंबर 2018 में दिल्ली के लाल किले के पास से गिरफ्तार किया था। इसके बाद एनआइए ने इसके आधार पर एक अलग मामला दर्ज किया था। वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से हुई सुनवाई के दौरान अतिरिक्त लोक अभियोजक ने जमानत आवेदनों का विरोध किया और आरोप लगाया कि दोनों आरोपी खूंखार आतंकवादी संगठन के सक्रिय सदस्य थे।
कांस्टेबल पर प्रवासी मजदूरों को पीटने का आरोप
वहीं, अंबेडकर नगर थानाक्षेत्र में एक कांस्टेबल ने खाना लेने जा रहे दो प्रवासी मजदूरों को जमकर पीटा। घटना 13 मई की देर शाम की है। दोनों मजदूर अंबेडकर नगर क्षेत्र के एक सरकारी स्कूल से खाना लेने जा रहे थे। स्कूल में सरकार की तरफ से गरीबों को खाना बांटा जा रहा था। तभी कांस्टेबल रमाकांत ने दोनों मजदूरों की डंडे से पिटाई की। डंडा सिर में लगने से चेतन मंडल का सिर फट गया। उसका साथी उनेस मंडल भी घायल हुआ। दोनों मजदूर पश्चिम बंगाल के रहने वाले हैं। डीसीपी दक्षिणी का कहना है कि मामले की जांच कराई जा रही है। आरोप सही पाए गए तो आरोपित कांस्टेबल के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।