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Delhi Violence 2020 : कोर्ट ने माना- पोस्टमार्टम रिपोर्ट बता रही दंगाइयों ने किया नृशंस अपराध

पोस्टमार्टम रिपोर्ट बता रही हैं कि दंगाई भीड़ ने नृशंस अपराध को अंजाम दिया। गत वर्ष दंगे के दौरान करावल नगर इलाके में अपहरण कर सुलेमान नामक व्यक्ति कह हत्या कर दी गई थी। बाद में शव को प्रेम विहार पुलिया के पास नाले में फेंक दिया गया था।

By JP YadavEdited By: Published: Tue, 09 Feb 2021 12:10 PM (IST)Updated: Tue, 09 Feb 2021 12:10 PM (IST)
Delhi Violence 2020 : कोर्ट ने माना- पोस्टमार्टम रिपोर्ट बता रही दंगाइयों ने किया नृशंस अपराध
हत्या के बाद शव को प्रेम विहार पुलिया के पास नाले में फेंक दिया गया था।

नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। दिल्ली दंगा 2020 के दौरान पूर्वी दिल्ली के करावल नगर इलाके में एक व्यक्ति की हत्या के मामले में सोमवार को कड़कड़डूमा स्थित अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश विनोद यादव की अदालत ने आरोपित आशीष कुमार को जमानत देने से इनकार दिया। अदालत ने आदेश में कहा कि दूसरे समुदाय का होने के कारण एक व्यक्ति की हत्या कर दी गई। पोस्टमार्टम रिपोर्ट चीख कर बता रही हैं कि दंगाई भीड़ ने नृशंस अपराध को अंजाम दिया। गत वर्ष दंगे के दौरान करावल नगर इलाके में अपहरण कर सुलेमान नामक व्यक्ति कह हत्या कर दी गई थी। बाद में शव को प्रेम विहार पुलिया के पास नाले में फेंक दिया गया था।

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इस मामले में आरोपित आशीष कुमार की जमानत अर्जी पर अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश विनोद यादव की अदालत में सुनवाई हुई। बचाव पक्ष ने दलील दी कि आशीष कुमार को झूठे मुकदमे में फंसाया गया है। उसके खिलाफ झूठे गवाह खड़े किए गए हैं। वहीं, विशेष लोक अभियोजक ने जमानत अर्जी का विरोध करते हुए पक्ष रखा कि जिस दंगाई भीड़ ने डंडों से सुलेमान पर हमला किया, आरोपित आशीष कुमार उस भीड़ के पीछे खड़ा सीसीटीवी कैमरे की फुटेज में स्पष्ट नजर आ रहा है। यह भी बताया कि कई चश्मदीद गवाहों ने आरोपित को दंगाई भीड़ में देखा। दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद कोर्ट ने जमानत अर्जी को खारिज कर दिया। कोर्ट ने यह भी कहा कि कई गवाह उसी क्षेत्र में रहते हैं, जहां आरोपित का घर है। ऐसे में वह गवाहों को डरा सकता है।

नहीं मिली अग्रिम जमानत

दंगे के दौरान शास्त्री पार्क इलाके में दंगे के दौरान उपद्रव, चोरी और डकैती के मामले में इस कोर्ट ने आरोपित रोहित नागर की अग्रिम जमानत अर्जी खारिज कर दी। कोर्ट ने कहा कि दंगे की साजिश को उजागर करने के लिए न्यायिक हिरासत में लेकर पूछताछ जरूरी है।


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