सीएम अरविंद केजरीवाल मानहानि के मामले में बरी, भाजपा सांसद ने दर्ज कराया था केस
Defamation Case मानहानि के आपराधिक मामले में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को एक अदालत ने बड़ी राहत दी है। कोर्ट ने भाजपा सांसद रमेश बिधूड़ी द्वारा दायर मानहानि मामले में सीएम केजरीवाल को बरी कर दिया है।
नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। मानहानि के एक मामले में राउज एवेन्यू की विशेष अदालत ने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को बरी कर दिया है। दक्षिणी दिल्ली सीट से भाजपा सांसद रमेश बिधूड़ी ने केजरीवाल के खिलाफ वर्ष 2016 में आपराधिक मानहानि की शिकायत दायर की थी। विशेष अदालत ने कहा कि शिकायत में लगाए गए आरोप साबित नहीं होते हैं। टीवी इंटरव्यू में ऐसा कुछ नहीं कहा गया था, जिससे शिकायतकर्ता के सम्मान को ठेस पहुंचती हो।
बिधूड़ी ने आरोप लगाया था कि टीवी इंटरव्यू के दौरान केजरीवाल ने कहा था कि बिधूड़ी के खिलाफ कई आपराधिक केस दर्ज हैं और पुलिस उनके खिलाफ कभी कोई कार्रवाई नहीं करती। उनका आरोप था कि केजरीवाल ने गलतबयानी कर उनके सम्मान को ठेस पहुंचाई है।
केजरीवाल की तरफ से अधिवक्ताओं ने विशेष अदालत को बताया कि इंटरव्यू में पूछा गया था कि आम आदमी पार्टी के कई नेताओं के खिलाफ केस दर्ज हैं तो उन्हें टिकट क्यों दिया गया। इस सवाल के जवाब में केजरीवाल ने कहा था कि भाजपा के कई नेताओं के खिलाफ भी केस दर्ज हैं, लेकिन पुलिस कोई कार्रवाई नहीं करती। जबकि आम आदमी पार्टी के नेताओं के खिलाफ दबाव में कार्रवाई की जाती है।आम आदमी पार्टी की लीगल सेल के अध्यक्ष अधिवक्ता संजीव नसीयर के मुताबिक, मानहानि की शिकायत में कोई ठोस साक्ष्य न होने के चलते केजरीवाल को बरी किया गया है। विशेष अदालत ने सभी तथ्यों को परखने के बाद अपना फैसला दिया है।
होटल-रेस्टोरेंट के लिए मानक तय करने की मांग
वहीं, कोरोना महामारी के बीच राजधानी में खुल रहे हैं होटल एवं रेस्टोरेंट के लिए मानक तय करने की मांग करते हुए दिल्ली हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की गई है। न्यायमूर्ति हिमा कोहली व न्यायमूर्ति एस प्रसाद की पीठ ने दिल्ली सरकार एवं दिल्ली आपदा प्रबंधन प्राधिकार को याचिका को बतौर प्रतिवेदन लेकर तीन सप्ताह के अंदर फैसला लेने को कहा है। पीठ ने कहा कि निर्णय लेते समय याचिकाकर्ता के सुझाव हुए मुद्दों पर भी गंभीरता से विचार करें और याची को निर्णय की जानकारी दें।
वहीं, पीठ ने याचिकाकर्ता से भी कहा कि अगर वह सरकार के निर्णय से असंतुष्ट हो तो वह फिर से अदालत आ सकता है। याचिकाकर्ता ने कहा था कि महामारी के दौर में होटल एवं रेस्टोरेंट्स को खोलने की अनुमति दे दी गई है, लेकिन इसमें शारिरिक दूरी के नियमों का पालन नहीं हो रहा है। इससे करोना और बढ़ सकता है। इसे देखते हुए सरकार एवं संबंधित एजेंसी को एक ठोस दिशानिर्देश बनाने का निर्देश दिया जाए, ताकि शारिरिक दूरी के नियमों का पालन हो सके।
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