दिल्ली में कोरोना महामारी के खिलाफ हर हाथ मददगार, पुलिस का दिखा मानवीय चेहरा
भाजपा और कांग्रेस ने भी सियासत छोड़ जरूरतमंदों की मदद की। कांग्रेस ने जगह-जगह पर रसोई चलाकर सुबह-शाम खाना बांटा तो सूखा राशन भी वितरित किया। भाजपा की ओर से भी सूखे राशन की असंख्य किट बांटी गई।
संजीव गुप्ता, नई दिल्ली। दिल्ली में कोरोना ने पांव पसारे तो उससे जंग में दिल्ली और केंद्र सरकार ही आगे नहीं आई बल्कि असंख्य हाथ मदद को आगे बढ़े। सभी स्वयंसेवी संस्थाएं, धार्मिक संगठन, आरडब्ल्यूए संकट के इस दौर में एक- दूसरे की मदद को आगे आ गए। राजनीतिक दलों ने भी सियासत छोड़ भूखों को खाना खिलाया और जरूरतमंदों को राशन बांटा। इस महामारी में पुलिस का भी मानवीय चेहरा देखने को मिला।
पिछले वर्ष मार्च में ही जब लाकडाउन लगा तो मध्यम एवं निम्न मध्यम वर्गीय दिल्लीवासी समझ ही नहीं पाए कि अब क्या करें। सरकारी कर्मचारियों को तो फिर भी तनख्वाह मिलती रही, लेकिन स्वरोजगार करने वालों और खासकर श्रमिकों के समक्ष दो वक्त की रोटी का भी संकट पैदा हो गया। इस दौरान दिल्ली सरकार ने लगभग हर कालोनी में कुछ स्थान तय कर सुबह-शाम लाखों लोगों को खाना बांटना शुरू कर दिया। बुजुर्गो के बैंक खाते में दोगुनी पेंशन डलवाई तो अलग-अलग श्रेणियों के लोगों को भी खाते के जरिये पांच-पांच हजार रुपये दिए।
दिल्ली पुलिस ने भी खूब सामाजिक सरोकार निभाया। नजफगढ़ सहित कई थानों में रसोई भी शुरू कर दी गई ताकि जरूरतमंदों को खाना खिलाया जा सके। इसके अलावा जहां से भी पुलिस को इस आशय की सूचना मिली कि किसी को दवा या राशन की जरूरत है तो उन्होंने घर जाकर उनकी मदद की। दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी, विभिन्न गुरुद्वारों और सिख संगठनों ने आगे बढ़ लोगों का पेट भरा। इस्कान मंदिर, जैन स्थानक, निरंकारी समाज सहित अनेक अन्य संगठनों ने भी जहां तक हो सका, किसी को भूखा नहीं सोने दिया।
जब ट्रेनें चलाई गईं तो कांग्रेस ने हजारों श्रमिकों के किराये का भी भुगतान किया। हर कोई अपने आसपास के चौकीदार, घरों में चौका-चूल्हा करने वालीं महिलाएं, ड्राइवर और धोबी की मदद करने लगे। सिर्फ यही नहीं, मोदी के आहवान पर फ्रंटलाइन वर्कर के योगदान की सराहना के लिए थाली बजाने और उन पर फूल बरसाने में भी लोग पीछे नहीं रहे।