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Delhi Congress Politics: दिल्ली कांग्रेस चीफ अनिल चौधरी के हाथ लगा 'चिट्ठी बम'

Delhi Congress Politics दिल्ली प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अनिल चौधरी ने सीट कवर की जेब से एक फोल्डर निकाला तो उसमें रखी चिट्ठी पढ़कर अवाक रह गए। यह चिट्ठी उन्हीं उपाध्यक्ष ने पार्टी आलाकमान को लिखी हुई थी जिसमें अध्यक्ष की शिकायत थी।

By Jp YadavEdited By: Published: Thu, 02 Dec 2021 12:41 PM (IST)Updated: Thu, 02 Dec 2021 12:41 PM (IST)
Delhi Congress Politics: दिल्ली कांग्रेस चीफ अनिल चौधरी के हाथ लगा 'चिट्ठी बम'
Delhi Congress Politics: दिल्ली कांग्रेस चीफ अनिल चौधरी के हाथ लगा 'चिट्ठी बम'

नई दिल्ली [संजीव गुप्ता]। सियासत में कई बार ऐसे वाक्यात भी सामने आ जाते हैं जो पैरों तले की जमीन खिसका दें। ऐसा ही एक उदाहरण तब सामने आया जब दिल्ली प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अनिल चौधरी एक प्रदेश उपाध्यक्ष की गाड़ी में बैठ कर किसी कार्यक्रम में जा रहे थे। उपाध्यक्ष आगे बैठे थे जबकि अध्यक्ष महोदय पीछे। बैठे बैठे अध्यक्ष ने सीट कवर की जेब से एक फोल्डर निकाला तो उसमें रखी चिट्ठी पढ़कर अवाक रह गए। यह चिट्ठी उन्हीं उपाध्यक्ष ने पार्टी आलाकमान को लिखी हुई थी, जिसमें अध्यक्ष की शिकायत थी। दिलचस्प यह कि जब अध्यक्ष ने इस चिट्ठी के बारे में उपाध्यक्ष से पूछा तो पहले वह बगले झांकने लगे और बाद में यह कहने से भी नहीं चूके कि इसमें गलत क्या है, सच ही तो लिखा है। अध्यक्ष महोदय की हालत तो ऐसे हो गई मानो काटो तो खून नहीं। तभी से दोनों के संबंध भी सामान्य नहीं रह गए हैं।

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ताजा हुईं पुरानी यादें, भावविहल हुए दिग्गज

संबंध चाहे सियासी हों या सामाजिक, मेल-मिलाप हमेशा से उनमें ताजगी भरता रहा है। संवादहीनता से जमी बर्फ भी मुलाकात की गर्मी में तेजी से पिघलने लगती है। ऐसा ही एक नजारा तब देखने को मिला, जब पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के पुत्र पूर्व सांसद संदीप दीक्षित चाय पीने के बहाने पूर्व सांसद जेपी अग्रवाल के घर पहुंचे। चाय की चुस्कियों के साथ पुरानी यादों ताजा होने लगीं तो चांदनी चौक की मशहूर बेडमी पूरी- आलू की सब्जी भी मंगवा ली गई। इस दौरान शीला और जेपी की यादों के साथ-साथ मौजूदा समय में कांग्रेस की मजबूती पर भी चर्चा हुई। स्वाद- स्वाद में यह मुलाकात डेढ़ तक चल गई। चलते हुए संदीप को जब जेपी ने शाल ओढ़ाई तो वह उनके सीने से लग गए। दोनों भावविहल हो गए। इस मुलाकात के साक्षी बने नगर निगम में पूर्व सदन नेता जितेंद्र कोचर और प्रदेश कांग्रेस उपाध्यक्ष मुदित अग्रवाल।

खुला नया मोर्चा

दिल्ली प्रदेश कांग्रेस नेतृत्व ने सात जिलाध्यक्ष क्या हटाए, पार्टी के खिलाफ एक और मोर्चा खुल गया है। दरअसल, हटाए जाने से ज्यादा इन जिलाध्यक्षों को यह बात खल रही है कि न उन्हें पहले विश्वास में लिया गया न बाद में ही किसी जिम्मेदारी से जोड़ा गया। आलम यह है कि सालों से संगठन की मजबूती के लिए काम कर रहे यह सातों जिलाध्यक्ष पूरी तरह से खुले छोड़ दिए गए हैं। अब कुछ पार्टी छोड़कर जाने पर विचार कर रहे हैं तो कुछ घर बैठ गए हैं। कई तो गुस्से में पार्टी विरोधी गतिविधियों को हवा देते हुए पार्टी हाइकमान को प्रदेश अध्यक्ष अनिल चौधरी के खिलाफ चिट्ठी भेजने और भिजवाने में लग गए हैं। देश के सबसे पुराने राजनीतिक दल की यह अपरिपक्वता अपने ही पैरों पर कुल्हाड़ी मारने जैसी है। राजनीतिक जानकारों का कहना है कि बेहतर होता, अगर हटाए जाने वाले जिलाध्यक्षों को भी पहले साध लिया जाता।

जिन पर दारोमदार, वही कर रहे ना-नुकर बारंबार

अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी द्वारा महंगाई के विरोध में 12 दिसंबर को द्वारका में प्रस्तावित रैली के लिए दिल्ली कांग्रेस भी जोर शोर से तैयारियों में जुट गई है। रैली के लिए कार्यकर्ताओं को इकट्ठा करने की दिशा में आए दिन बैठकें हो रही हैं तो स्थानीय स्तर पर चल रहा पोल खोल अभियान भी फिलहाल स्थगित कर दिया गया है। लेकिन यहां भी वरिष्ठ नेताओं की उदासीनता समस्या का सबब बन रही है। बहुत से नेता बैठकों से किनारा कर रहे हैं तो बहुत से रैली के लिए भीड़ जुटाने की जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ रहे हैं। चांदनी चौक जिले की बैठक में जब वहां की पूर्व विधायक को कुछ बसों का इंतजाम करने को कहा गया तो उनका जवाब था कि वह दिल्ली से बाहर हैं। किसी और की जिम्मेदारी लगाने के नाम पर भी उन्होंने यह कहकर पल्ला झाड़ लिया कि उनकी निगाह में ऐसा कोई भी नहीं है।


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