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Delhi Politics: दिल्ली कांग्रेस चीफ अनिल चौधरी ने मांगे सुझाव, पर मिली नसीहत

Delhi Politics विडंबना यह भी कि पहले मोटे तौर पर दो गुटों में बंटी हुई कांग्रेस इस समय कई गुटों में बंट गई है। अनुभवी नेता अपने से जूनियर अध्यक्ष को स्वीकार नहीं कर रहे।

By JP YadavEdited By: Published: Thu, 16 Jul 2020 08:58 AM (IST)Updated: Thu, 16 Jul 2020 08:58 AM (IST)
Delhi Politics: दिल्ली कांग्रेस चीफ अनिल चौधरी ने मांगे सुझाव, पर मिली नसीहत
Delhi Politics: दिल्ली कांग्रेस चीफ अनिल चौधरी ने मांगे सुझाव, पर मिली नसीहत

नई दिल्ली [संजीव गुप्ता]। Delhi Politics:  पूर्व विधायक हरिशंकर गुप्ता के घर पर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अनिल चौधरी का चाय पर पहुंचना पार्टी नेताओं और कार्यकर्ताओं के बीच आजकल खासी चर्चा का केंद्र बना हुआ है। वह इसलिए क्योंकि अध्यक्ष पर अक्सर वरिष्ठ नेताओं की अनदेखी का आरोप लगता रहा है। ऐसे में जब वह एक वरिष्ठ के यहां संगठन पर चर्चा के बहाने पहुंचे तो बात उठना लाजिमी थी। प्रदेश उपाध्यक्ष मुदित अग्रवाल व जिला अध्यक्ष हरीकिशन जिंदल सहित कुछ चुृनिंदा लोगों की उपस्थिति में अध्यक्ष ने कुछ बातें सबके सामने की तो कुछ अकेले में। लेकिन, शायद जिस उम्मीद के साथ वह आए थे, पूरी हुई नहीं। सुझाव के नाम पर उन्हें नसीहत ही मिली कि सभी को साथ लेकर चलो। यह वही नसीहत है जो इस समय प्रदेश कांग्रेस के एजेंडे में नहीं है। चर्चा यह भी है अध्यक्ष ने पूर्व विधायक को मुख्य प्रवक्ता का पद ऑफर किया, लेकिन उन्होंने उसे नकार दिया।हंगामा क्यों है बरपादिल्ली कांग्रेस की उपस्थिति न विधानसभा में है और न संसद में। पिछला चुनाव देखें को मत फीसद भी चार पर सिमट गया है। बावजूद इसके कार्यकारिणी गठन को लेकर पार्टी में हंगामा बरपा है। वजह नई टीम में किसे जगह दी जाए और किसे नहीं। कोई वरिष्ठ नेता टीम में शामिल होना नहीं चाहता। दूसरी पंक्ति के नेताओं में न अनुभव है न ही संगठन को जमीनी स्तर पर मजबूत करने की क्षमता। विडंबना यह भी कि पहले मोटे तौर पर दो गुटों में बंटी हुई कांग्रेस इस समय कई गुटों में बंट गई है। अनुभवी नेता अपने से जूनियर अध्यक्ष को स्वीकार नहीं कर रहे। उत्साही युवा नेताओं को भी पार्टी का कोई सियासी भविष्य नजर नहीं आ रहा। दिलचस्प यह कि वरिष्ठ घर भले बैठे हैं, लेकिन वॉकओवर देने के मूड में भी नहीं हैं। कहते हैं, सही समय का इंतजार कीजिए जनाब, अभी बहुत कुछ सामने आएगा।

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घर में नहीं दाने, अम्मा चली भुनाने

दिल्ली की राजनीति में कांग्रेस आज की तारीख में न तीन में है और न तेरह में, लेकिन कुछ दलाल टाइप के नेता यहां हर समय मिल जाते हैं। इस समय भी इनकी सक्रियता कई जिलों से बढ़ने लगी है। युवा कांग्रेस से जुड़े ये नेता जहां कुछ पार्टी कार्यकर्ताओं को टिकट का भरोसा दिलाते हुए अभी से नगर निगम चुनाव की तैयारी में जुट जाने को कह रहे हैं तो कुछ कार्यकर्ताओं को नई प्रदेश और जिला कार्यकारिणी में स्थान दिलाने का सब्जबाग भी दिखा रहे हैं। दक्षिणी दिल्ली के कुछ जिलों में ऐसे कई मामले सामने आ रहे हैं। हालांकि सभी कुछ चूंकि अनौपचारिक और मौखिक तौर पर हो रहा है, इसलिए सीधे तौर पर किसी को आरोपित भी नहीं किया जा सकता। अलबत्ता, प्रदेश नेतृत्व को इस दिशा में सतर्कता अवश्य बरतनी चाहिए। बेहतर होगा कि हल्के नेताओं को प्रदेश कार्यालय में भी ज्यादा तव्वजो न दी जाए।

अपनों को गैर बना सजा रहे महफिल

दिल्ली प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अनिल चौधरी पिछले कुछ दिनों से दिल्ली के विभिन्न जिलों में आवाजाही कर रहे हैं। कभी किसी नेता व कार्यकर्ता से मिलने के बहाने तो कभी किसी के घर चाय पीने के बहाने। लेकिन, इस दौरान वह जिलाध्यक्षों को इसकी सूचना नहीं देते। इससे जिलाध्यक्ष ही नहीं, उस जिले के बहुत से पूर्व विधायक, मंत्री और सांसद भी भौंहें चढ़ा रहे हैं। सभी का कहना है कि अगर हमें साथ ही नहीं रखना तो फिर पार्टी की हर गतिविधि या कार्यक्रम को सफल बनाने की उम्मीद भी हमसे क्यों की जाती है। आलम यह है कि अध्यक्ष एवं जिलाध्यक्षों के बीच संवाद में भी अब तल्खी नजर आने लगी है। लामबंदी तो खैर चल ही रही है। कुछ खुर्राट जिलाध्यक्ष तो यहां तक भी कहने लगे हैं कि अपनों को गैर बनाकर प्रदेश अध्यक्ष महफिल सजा रहे हैं। आखिर ऐसे में सबका साथ उनको कैसे मिलेगा।


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