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AAP ने अपने ही बनाए नियम को ताक पर रखा, आखिर क्‍या था नियम

नैतिकता की दुहाई देकर जो पार्टी जनता के बीच गई आज उसने ही अपने बनाए नियमों की धज्जियां उड़ा दी हैं। उसने अपने ही बनाए नियमों को ताक पर रखकर अवैध्‍ा वसूली की है।

By Ramesh MishraEdited By: Published: Mon, 15 May 2017 04:54 PM (IST)Updated: Mon, 15 May 2017 10:38 PM (IST)
AAP ने अपने ही बनाए नियम को ताक पर रखा, आखिर क्‍या था नियम
AAP ने अपने ही बनाए नियम को ताक पर रखा, आखिर क्‍या था नियम

नई दिल्‍ली [ जेएनएन ]। आम आदमी पार्टी पर हवाला और अन्‍य अवैध तरीके से चंदा लेने का बड़ा घोटाला करने का अरोप है। फ‍िलहाल यह तो वक्‍त बताएगा कि उन आरोपों में कितना दम है। लेकिन इन दिनों दिल्‍ली के मुख्‍यमंत्री व 'आप' के संयोजक अरविंद केजरीवाल इस मामले को लेकर संकट में हैं। अभी तक 'आप' के किसी नेता ने इन अारोपों का खंडन नहीं किया है।

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लेकिन यहां एक यक्ष सवाल खड़ा हो गया है कि नैतिकता की दुहाई देकर जो पार्टी जनता के बीच गई आज उसने ही अपने बनाए नियमों की धज्जियां उड़ा दी हैं। उसने अपने ही बनाए नियमों को ताक पर रखकर चंदे की अवैध्‍ा वसूली की।

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चंदा वसूली में क्‍या था नियम

आम आदमी पार्टी ने बाकयदा चंदा लेने का नियम बना रखा था। यह नियम इसलिए जरूरी बताया गया था कि इससे पार्टी में शुचिता बनी रहेगी। पार्टी का नियम था कि दस लाख से अधिक राशि के चंदे की जांच की जाएगी।

इतना ही नहीं इस चंदे की जांच पॉलिटिकल अफेयर कमेटी करेगी। यह तय हुआ था कमेटी की मंजूरी के बाद ही स्वीकार किया जाएगा। लेकिन अगर अारोपों को सच माना जाए तो यह साबित होता है कि चंदा लेने में इन नियमों को ताक पर रख दिया गया।

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योगेंद्र यादव ने भी उठाया था सवाल

स्वराज इंडिया पार्टी के प्रमुख योगेंद्र यादव ने भी 'आप' से निष्‍कासित होने से पहले आम आदमी पार्टी के चंदे पर सवाल उठाया था। उन्‍होंने बताया कि पार्टी में एक तय नियम के हिसाब से ही चंदा एकत्र करने का सिद्धांत है। लेकिन बहुत पहले ही इस नियम को तोड़ दिया गया।

उन्‍होंने कहा कि तब हमने तमाम मसलों के साथ इसका भी विरोध किया था। उस वक्‍त हमारी बात अनसुनी कर दी गई। उन्‍होंने कहा कि 'आप' में हमारा सिद्धांत का संघर्ष था। इतना ही नहीं उस वक्‍त यह कहा गया था मुंह बंद कर लो। आज सत्ता संघर्ष है, इसमें सिद्धांत कहां है।

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