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Delhi Cantt Case: पुलिस ने कोर्ट से कहा- नौ वर्षीय बच्ची की हत्या से पहले दुष्कर्म करने की पुष्टि से जुड़ा नहीं है कोई सुबूत

पटियाला हाउस कोर्ट के विशेष न्यायाधीश आशुतोष कुमार को अधिकारी ने बताया कि चारों आरोपितों के बयान से पता चला है कि इनमें से दो आरोपित श्मशान घाट के 55 वर्षीय पुजारी राधे श्याम और उसके कर्मचारी कुलदीप सिंह ने बच्ची के साथ दुष्कर्म कर उसकी हत्या कर दी थी।

By Prateek KumarEdited By: Published: Sat, 14 Aug 2021 06:10 AM (IST)Updated: Sat, 14 Aug 2021 06:10 AM (IST)
Delhi Cantt Case: पुलिस ने कोर्ट से कहा- नौ वर्षीय बच्ची की हत्या से पहले दुष्कर्म करने की पुष्टि से जुड़ा नहीं है कोई सुबूत
दिल्ली कैंट से जुड़े मामले में दिल्ली पुलिस ने पटियाला हाउस कोर्ट को किया सूचित

नई दिल्ली [विनीत त्रिपाठी]। दिल्ली कैंट में नौ वर्षीय बच्ची की दुष्कर्म के बाद हत्या के मामले में दिल्ली पुलिस ने पटियाला हाउस अदालत में कहा कि अब तक ऐसा कोई सुबूत नहीं मिल सका है जिससे पुष्टि की जा सके कि हत्या से पहले बच्ची के साथ दुष्कर्म किया गया था या नहीं। पटियाला हाउस कोर्ट के विशेष न्यायाधीश आशुतोष कुमार को जांच अधिकारी ने बताया कि चारों आरोपितों के बयान से पता चला है कि इनमें से दो आरोपित श्मशान घाट के 55 वर्षीय पुजारी राधे श्याम और उसके कर्मचारी कुलदीप सिंह ने बच्ची के साथ दुष्कर्म कर उसकी हत्या कर दी थी। वहीं, अन्य दो आराेपित सलीम अहमद व लक्ष्मी नारायण ने बच्ची के शव का अंतिम संस्कार करने में मदद की थी। अदालत ने चारों आरोपितों को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया।

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दुष्कर्म की पुष्टि नहीं हो रही

हालांकि, जांच अधिकारी ने कहा कि अब तक ऐसा कोई चश्मदीद गवाह, बयान या वैज्ञानिक या चिकित्सकीय साक्ष्य नहीं मिला है, जिससे पुष्टि हो सके कि बच्ची के साथ दुष्कर्म किया गया था या नहीं। उन्होंने आगे कहा कि ऐसे में इस स्तर पर निर्णायक रूप से यह नहीं कहा जा सकता है कि दुष्कर्म हुआ था या नहीं। जांच अधिकारी ने कहा कि आरोपितों के बयानों के सापेक्ष अगर कोई अन्य सुबूत न हों तो अदालत इसे स्वीकार नहीं करती है।

पीड़ित बच्ची की मांग को 2.5 लाख का अंतरिम मुआवजा

वहीं, पटियाला हाउस कोर्ट ने एक आवेदन पर सुनवाई के बाद बेटी के जीवन के नुकसान के लिए बच्ची की मां को 2.5 लाख रुपये की अंतरिम राहत देने का आदेश दिया। हालांकि, अदालत ने जांच अधिकारी के बयान को देखते हुए पीड़िता की मां को अतिरिक्त अंतरिम राहत नहीं दी, क्योंकि जांच एजेंसी खुद सुनिश्चित नहीं है कि बच्ची के साथ दुष्कर्म हुआ या नहीं। अदालत ने कहा कि ऐसे में इस स्तर पर अंतरिम मुआवजे की अनुमति नहीं है। हालांकि, अदालत ने कहा कि अगर जांच एजेंसी आगे दुष्कर्म के संबंध में किसी निष्कर्ष पर पहुंचती है तो संबंधित पक्षों को दुष्कर्म के लिए मुआवजा के संबंध में एक नया आवेदन पेश करने की स्वतंत्रता होगी। एक सरकारी योजना के अनुसार जीवन के नुकसान के मामले में अधिकतम मुआवजा 10 लाख रुपये है एवं अदालत ने मुआवजा की राशि का 25 फीसदी अंतरिम राहत के तौर पर मंजूर किया। एफआइआर के अनुसार बच्ची के साथ दुष्कर्म के बाद हत्या कर दी गई थी और माता-पिता की सहमति के बिना उसका अंतिम संस्कार भी कर दिया गया था।


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