दिल्ली बोर्ड ऑफ स्कूल एजुकेशन की जनरल बॉडी की पहली बैठक, डिप्टी सीएम ने की अहम मुद्दों पर चर्चा
उपमुख्यमंत्री ने कहा बोर्ड शिक्षकों को उनकी पूरी क्षमता हासिल करने के लिए सशक्त बनाएगा साथ ही उन्हें उन्हें विशिष्ट कार्यों पर समय पर फ़ीडबैक देगा जिससे वे अपनी कक्षा में हर बच्चे को सीखने में मदद कर सकें।
नई दिल्ली, जेएनएन। दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया की अध्यक्षता में दिल्ली बोर्ड ऑफ स्कूल एजुकेशन की पहली बैठक मंगलवार को हुई। बैठक में नॉमिनेटेड और पदेन सदस्यों ने भाग लिया। मनीष सिसोदिया ने बैठक को संबोधित करते हुए कहा कि दिल्ली में हमारे सभी बच्चों के लिए उच्च गुणवत्ता की शिक्षा सुनिश्चित करने की दिशा में दिल्ली बोर्ड फॉर स्कूल एजुकेशन एक महत्वपूर्ण कदम है। पिछले 6 वर्षों में दिल्ली में हमारे काम ने भारत के सरकारी स्कूलों की धारणा को बदल दिया है। हालांकि, हम जानते हैं कि असली काम अब शुरू होता है। अगली पीढ़ी के शिक्षा सुधार मूल्यांकन में सुधारों पर निर्भर करते हैं।
दिल्ली बोर्ड ऑफ स्कूल एजुकेशन के उद्देश्य पर चर्चा करते हुए मनीष सिसोदिया ने कहा, दिल्ली बोर्ड ऑफ स्कूल एजुकेशन के तीन उद्देश्य हैं। पहला, बोर्ड सीखने के रटंत पद्धति को ख़त्म करने का काम करेगा। यह बोर्ड प्रत्येक विद्यार्थियों की एक समग्र तस्वीर देने की दिशा में आगे बढ़ेगा, जो विषयों में शैक्षणिक क्षमता से आगे बढ़कर विद्यार्थियों में भविष्य के आवश्यक कौशल जैसे कि क्रिटिकल थिंकिंग, रचनात्मकता, 21वीं सदी के कौशल आदि विकसित करेगा।
दूसरा, बोर्ड निरंतर फॉर्मेटिव असेसमेंट पर ज़ोर देगा। बोर्ड की स्थापना का मुख्य उद्देश्य मूल्यांकन प्रणाली को "पार्टनर ऑफ लर्निंग बनाना है न कि अथॉरिटी ऑफ टेस्टिंग।" और तीसरा, हम छात्रों में ग्रोथ माइंडसेट को प्रोत्साहित करना चाहते हैं जो नियमित मूल्यांकन का हिस्सा बनकर सुनिश्चित हो सकेगा ।
शिक्षा में ग्रोथ माइंडसेट कितना महत्वपूर्ण है, इस पर विस्तार से चर्चा करते हुए सिसोदिया ने कहा, हमारे द्वारा शुरु किए गए हैप्पीनेस करिकुलम, एंत्रप्रेन्योरशिप माइंडसेट करिकुलम और देशभक्ति पाठ्यक्रम ने विद्यार्थियों में एक स्वस्थ मानसिकता का विकास किया है।
उपमुख्यमंत्री ने कहा, बोर्ड शिक्षकों को उनकी पूरी क्षमता हासिल करने के लिए सशक्त बनाएगा, साथ ही उन्हें उन्हें विशिष्ट कार्यों पर समय पर फ़ीडबैक देगा जिससे वे अपनी कक्षा में हर बच्चे को सीखने में मदद कर सकें। उन्होंने कहा कि वतर्मान मूल्यांकन शैली शिक्षकों को छात्रों की जरूरतों के अनुसार बदलने के लिए बहुत कम मौके देती है। अपनी शिक्षण योजना को बदलने के लिए बहुत कम मौके देती है।
गौरतलब है कि दिल्ली कैबिनेट ने 6 मार्च 2021 को दिल्ली बोर्ड ऑफ स्कूल एजुकेशन की स्थापना को मंजूरी दी, जिसके बाद बोर्ड के लिए सोसायटी 19 मार्च 2021 को पंजीकृत की गई। दिल्ली बोर्ड ऑफ स्कूल एजुकेशन का गठन विद्यालयी शिक्षा में गुणवत्ता और मानक प्रबंधन के उद्देश्य के साथ-साथ दिल्ली के स्कूलों में समग्र शिक्षण मूल्यांकन को डिजाइन / संचालित करना, विद्यार्थियों के कौशल और ज्ञान को बढ़ाना है।