केंद्र ने दिया झटका तो अपने दम पर होगी पेपरलेस दिल्ली विधानसभा
दिल्ली विधानसभा के अध्यक्ष रामनिवास गोयल का कहना है कि विधानसभा को पेपरलेस बनाने के लिए फंड देने से केंद्र सरकार का इनकार करना गलत है।
नई दिल्ली [वीके शुक्ला]। दिल्ली विधानसभा अब अपने दम पर पेपरलेस होगी। केंद्र सरकार ने पॉलिसी में बदलाव कर विधानसभा को पेपरलेस करने के लिए राशि देने से इनकार कर दिया है। इसके बाद विधानसभा सचिव ने पेपरलेस बनाने के लिए खर्च होने वाली अनुमानित 20 करोड़ की राशि का प्रस्ताव दिल्ली सरकार के पास स्वीकृति के लिए भेज दिया है। माना जा रहा है कि अगले शीतकालीन सत्र में इस पर मुहर लग सकती है।
योजना के तहत, विधानसभा में सदन की कार्यवाही ऑनलाइन होगी और जनता सवाल-जवाब भी ऑनलाइन सुन, देख व पढ़ सकेगी। माना जा रहा है कि इस कोशिश से प्रतिवर्ष एक हजार किलो से अधिक कागज और प्रिंटिंग व पैकेजिंग पर खर्च होने वाले 50 लाख रुपये बच सकेंगे।
दरअसल, दिल्ली विधानसभा को हाईटेक व पेपरलेस बनाने के लिए कुछ साल पहले अधिकारियों की टीम को हिमाचल प्रदेश भेजा गया था। उनकी रिपोर्ट को स्वीकृति के लिए दिल्ली सरकार ने केंद्र सरकार के सूचना एवं प्रौद्योगिक मंत्रालय के पास भेजा था। उम्मीद थी हिमाचल प्रदेश विधानसभा की तरह दिल्ली विधानसभा को भी इसके लिए बजट मिल जाएगा। लेकिन, 18 सितंबर को संसदीय कार्य मंत्रालय भारत सरकार के सचिव सुरेंद्रनाथ त्रिपाठी द्वारा एक पत्र भेजकर नेशनल ई-विधानसभा अप्लीकेशन विषय पर कार्यशाला के लिए आमंत्रित किया गया। 24-25 सितंबर को हुई कार्यशाला में केंद्र सरकार ने स्पष्ट कर दिया कि नीति में बदलाव किया गया है। अब किसी विधानसभा को पेपरलेस करने के लिए राशि नहीं दी जाएगी।
पेपरलेस होंगे पर केंद्र के एप से नहीं जुड़ेंगे
विस अध्यक्ष दिल्ली विधानसभा के अध्यक्ष रामनिवास गोयल का कहना है कि विधानसभा को पेपरलेस बनाने के लिए फंड देने से केंद्र सरकार का इनकार करना गलत है। क्योंकि, पटना में हुए देशभर के विधानसभा अध्यक्षों के सम्मेलन में लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने इस मामले में आश्वासन दिया था। अब हम अपने दम पर विधानसभा को पेपरलेस करेंगे, लेकिन केंद्र सरकार द्वारा सभी विधानसभाओं को शामिल करने के लिए बनाए जा रहे एप से नहीं जुड़ेंगे।
विधायकों को दी जाएगी ट्रेनिंग : गोयल
रामनिवास गोयल ने कहा कि हिमाचल प्रदेश की विधानसभा में कुल 68 विधायक हैं, जबकि दिल्ली में 70। ऐसे में जरूरतें कमोबेश एक जैसी हैं। इसी को ध्यान में रखते हुए हिमाचल प्रदेश विधानसभा के मॉडल को फॉलो करना मुनासिब समझा गया। अब जो विधायक इंटरनेट पर काम करने के आदी नहीं हैं, उन्हें इसकी ट्रेनिंग दी जाएगी।