महाराष्ट्र-झारखंड के बाद दिल्ली में भी बढ़ने वाली है BJP की दिक्कत, यह सहयोगी होगा दूर!
Delhi Assembly Election 2020 महाराष्ट्र और झारखंड में सहयोगियों से झटका लगने के बाद अब दिल्ली में शिरोमणि अकाली दल (शिअद बादल) भी भाजपा की मुश्किल बढ़ा सकता है।
नई दिल्ली [संतोष कुमार सिंह]। Delhi Assembly Election 2020: महाराष्ट्र और झारखंड में सहयोगियों से झटका लगने के बाद अब दिल्ली में शिरोमणि अकाली दल (shiromani akali dal) भी भारतीय जनता पार्टी (Bhartiya Janta Party) की मुश्किल बढ़ा सकता है। पंजाब के साथ ही दिल्ली में दोनों पार्टियां मिलकर चुनाव लड़ती रही हैं। अबतक दिल्ली विधानसभा चुनावों में शिअद बादल को चार सीटें मिलती रही हैं, लेकिन इस बार पार्टी छह सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी कर रही है। प्रदेश के नेताओं ने अपना फैसला पार्टी हाईकमान को बता दिया है। जल्द ही भाजपा के शीर्ष नेतृत्व के सामने यह मांग रखी जाएगी।
महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव के बाद शिवसेना ने भाजपा का साथ छोड़कर कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (Nationalist Congress Party) के साथ मिलकर सत्ता पर काबिज हो चुकी है। वहीं, झारखंड में ऑल झारखंड स्टूडेंट्स यूनियन (All Jharkhand Students Union ) ने भाजपा का हाथ झटककर अकेले विधानसभा चुनाव लड़ रही है।
अकाली दल दिल्ली में बढ़ा रहा अपना जनाधार
अब शिअद बादल के नेता भी भाजपा पर ज्यादा सीट के लिए दबाव बनाने की तैयारी में हैं। हरियाणा में भी दोनों पार्टियों का गठबंधन नहीं हो सका था। चुनाव प्रचार में भाजपा पर तीखे प्रहार भी किए थे। यदि दिल्ली में दोनों पार्टियों का गठबंधन टूटता है तो भाजपा को सिख वोट का नुकसान हो सकता है। अकाली नेताओं का कहना है कि दिल्ली में अकाली दल का जनाधार बढ़ा है।
दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी में पार्टी को लगातार दूसरी बार जीत मिली है। इसके साथ ही राजौरी गार्डन उपचुनाव में भी पार्टी ने आम आदमी पार्टी को शिकस्त दी है। इसे ध्यान में रखते हुए इस बार सहयोगी दल भाजपा से ज्यादा सीटों की मांग की जाएगी।
वर्ष 2013 और वर्ष 2015 के विधानसभा चुनावों में शिअद बादल के हिस्से में राजौरी गार्डन, हरि नगर, कालकाजी और शाहदरा विधानसभा क्षेत्र आए थे। इनमें से हरि नगर सीट पर शिअद बादल के चुनाव चिह्न पर उम्मीदवार चुनाव लड़ा था। शेष तीन सीटों पर अकाली नेता भाजपा के चुनाव चिह्न पर चुनाव लड़े थे। वर्ष 2013 में हरि नगर को छोड़कर तीन सीटों पर इसके उम्मीदवार जीते थे, लेकिन 2015 में सभी सीटों पर हार का सामना करना पड़ा था। हालांकि, 2017 में हुए उपचुनाव में मनजिंदर सिंह सिरसा ने यह सीट आप से वापस लेने में कामयाब रहे थे।
दावा बरकरार
सिरसा दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के अध्यक्ष भी हैं। उनका कहना है कि भाजपा व शिअद बादल का गठबंधन बहुत पुराना है। इस बार विधानसभा चुनाव में भी दोनों पार्टियां मिलकर चुनाव लड़ेंगी। वहीं, अन्य अकाली नेताओं ने बताया कि इस बार उक्त चार सीटों के साथ ही मोती नगर और रोहताश नगर सीट पर दावेदारी जताई जाएगी। पिछले दिनों शिअद अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल को दिल्ली के नेताओं ने अपना फैसला बता दिया है।