लोगों के लिए जानलेवा बन रही दिल्ली की सड़कें, क्या क्या सावधानी बरतें यह जानने के लिए पढ़िए पूरी खबर
इलाके की सड़कें राहगीरों और वाहन चालकों के लिए सुरक्षित नहीं हैं। आंकड़े इस बात की गवाही दे रहे हैं। क्योंकि जनवरी के पहले पखवाड़े में ही सड़क हादसों में सात लोगों की जान चुकी है। अधिकांश मामलों में लोग दोपहिया वाहनों पर सवार थे।
नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। इलाके की सड़कें राहगीरों और वाहन चालकों के लिए सुरक्षित नहीं हैं। आंकड़े इस बात की गवाही दे रहे हैं। क्योंकि, जनवरी के पहले पखवाड़े में ही सड़क हादसों में सात लोगों की जान चुकी है। अधिकांश मामलों में लोग दोपहिया वाहनों पर सवार थे। ऐसे में सड़कों की अवसंरचना पर सवाल तो उठता ही है, यातायात पुलिस की कार्यप्रणाली भी कठघरे में आती है।
इलाके की सड़कों पर जेब्रा क्रासिंग, दुर्घटना संभावित क्षेत्रों पर सूचना देने वाले बोर्ड का अभाव व जर्जर फुटपाथ राहगीरों की जान को जोखिम में डालते हैं। सड़कों पर रोशनी का पर्याप्त इंतजाम नहीं होना, सड़क अवरोधकों पर रेफ्लेक्टर का न लगा होना, गति सीमा से जुड़े बोर्ड का नदारद होना सहित कई ऐसे कारण हैं, जिनसे वाहन चालक दुर्घटना की चपेट में आ रहे हैं। अधिकांश जगहों पर पैदल चलने वालों के सड़क पार करने के लिए न तो कोई सिग्नल और न ही जेब्रा क्रासिंग का इंतजाम है।
जेब्रा क्रासिंग जहां है, वहां इन्हें देख पाना मुश्किल है। यातायात पुलिस इस गंभीर समस्या से पूरी तरह अंजान नजर आती है। पश्चिमी दिल्ली की लाइफलाइन कही जाने वाली नजफगढ़ रोड पर कम से कम एक दर्जन से अधिक अतिव्यस्त चौराहे हैं, लेकिन पैदल चलने वालों के लिए सड़क पार करने की सुविधा के नाम पर केवल जनकपुरी डिस्टिक्ट सेंटर के सामने बना फुटओवर ब्रिज व महावीर नगर, तिलकनगर, टैगोर गार्डन, मोतीनगर स्थित सब वे हैं। पैदल चलने वालों को इन जगहों के अलावा यदि कहीं सड़क पार करना हो तो वे जान जोखिम में डालकर सड़क पार करते हैं। कहीं कोई पेडेस्टियन सिग्नल या सबवे जैसी कोई सुविधा नहीं है।
इलाके में काफी कम ऐसी जगह हैं जहां पर गति सीमा को लेकर कोई बोर्ड लगे हों। सड़क पर तेज गति से गुजर रहे वाहन दुर्घटना के प्रमुख कारणों में से एक हैं। गली-मोहल्लों में भी लोग अपने वाहन को गति सीमा में नहीं रखते हैं। ऐसे में कई बार दुर्घटनाएं हो चुकी हैं। पश्चिमी दिल्ली में तो 90 प्रतिशत मामलों में दोपहिया वाहन सवार दुर्घटना के शिकार होते हैं। सड़क पर आगे निकलने की होड़ में दोपहिया वाहन सवार तेज गति से वाहन चलाते हैं। कई जगहों पर गति पर नियंत्रण रखने के लिए स्पीड ब्रेकर बनाए गए हैं, लेकिन अब उन ब्रेकर पर सफेद रंग की धारी नहीं दिखाई देती है।
रात में चालक को स्पीड ब्रेकर का पता नहीं चल पाता है और गाड़ी उछल जाती है। जहां ब्लिंकर लगे हैं उन पर धूल के कण जम जाते हैं और रात में सड़क का अंदाजा नहीं रह पाता है। सड़क दुर्घटनाओं को रोकने के लिए सबसे ज्यादा जागरूकता जरूरी है।
- हमें बच्चों को स्कूल में ही सड़क सुरक्षा के बारे में बताना चाहिए। तेज वाहन न चलाएं और सड़क पार करते समय रेड लाइट का ध्यान रखें। ऐसी कई बातें हैं, जिनको समझने की जरूरत है। बच्चे बहुत जल्दी चीजों को समझते हैं। अगर हम इसमें कामयाब हो जाते हैं तो 90 प्रतिशत हादसे अपने आप रुक जाएंगे। राजेंद्र सिंह, सेवानिवृत्त एसीपी
यहां यहां है जरूरत
- पेडेस्टियन सिग्नल की जरूरत वाले चौराहे व तिराहे
- ’उत्तम नगर चौराहा
- ’शिवाजी मार्ग चौराहा
- ’जनकपुरी सी-वन चौराहा
- ’द्वारका मोड़
- ’मंगलापुरी लालबत्ती
- ’राजौरी गार्डन चौराहा
- ’डाबड़ी
- ’इंडियन आयल डिपो, दिल्ली कैंट
- ’द्वारका सेक्टर एक
- ’आर्य समाज रोड के सामने
क्रोनोलोजी
- 3 जनवरी: बाबा हरिदास नगर थाना क्षेत्र में क्लस्टर बस की चपेट में आने से मोटरसाइकिल सवार पति- पत्नी की मौत
- 11 जनवरी: मायापुरी थाना क्षेत्र में स्कूटी व ट्रक में टक्कर के बाद स्कूटी सवार दो युवकों की मौत
- 13 जनवरी: कापसहेड़ा थाना क्षेत्र में कोहरे के चलते तेज रफ्तार टेंपो कंटेनर से टकरा गई थी। इसमें टेपों चालक अंकित की मौत हो गई
- 16 जनवरी: द्वारका इलाके में डिवाइडर से टकराई कार, चालक अभय की मौत