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Delhi-Haryana Water Dispute: पानी के मुद्दे पर एक बार फिर भिड़ेंगे दिल्ली और हरियाणा

Delhi-Haryana Water Dispute यमुना नदी निरीक्षण कमेटी ने आदेश दिया है कि हरियाणा अपने हिस्से के पानी में से 770 क्यूसेक पानी प्रतिदिन यमुना नदी में छोड़े। इसके पर विवाद बढ़ना तय है।

By Edited By: Published: Thu, 09 Jul 2020 11:57 PM (IST)Updated: Fri, 10 Jul 2020 07:53 AM (IST)
Delhi-Haryana Water Dispute: पानी के मुद्दे पर एक बार फिर भिड़ेंगे दिल्ली और हरियाणा
Delhi-Haryana Water Dispute: पानी के मुद्दे पर एक बार फिर भिड़ेंगे दिल्ली और हरियाणा

नई दिल्ली [बिजेंद्र बंसल]। Delhi-Haryana Water Dispute:  दिल्ली और हरियाणा के बीच जल विवाद एक बार फिर गहराएगा। यमुना नदी निरीक्षण कमेटी ने आदेश दिया है कि हरियाणा अपने हिस्से के पानी में से 770 क्यूसेक पानी प्रतिदिन यमुना नदी में छोड़े। हरियाणा ने कमेटी के इस आदेश को सिरे से नकार दिया है। कमेटी के आदेश को तथ्यात्मक रूप से खारिज करने और इस आदेश पर कड़ी आपत्ति जताने के लिए हरियाणा के मुख्यमंत्री खुद केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत से मिलने बृहस्पतिवार जल शक्ति मंत्रालय पहुंचे। उनके साथ राज्य में सिंचाई विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव देवेंद्र सिंह भी थे।

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हरियाणा की इस आपत्ति का सबसे अधिक असर दिल्ली पर पड़ेगा क्योंकि यमुना में छोड़े जाने वाले अतिरिक्त पानी का फायदा दिल्ली को ही मिलता है। दिल्ली सरकार ने पिछले दिनों यमुना नदी निरीक्षण कमेटी के समक्ष अपना पक्ष रखा था।

मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने बताया कि 1994 में हुए जल समझौते के अनुसार हरियाणा 2015 तक यमुना में अपने हिस्से के पानी में से 140 क्यूसेक प्रतिदिन छोड़ रहा है। इसके बाद 2015 में जब नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने यह आदेश दिया कि इस पानी की मात्रा बढ़ाकर 350 क्यूसेक प्रतिदिन कर दी जाए तो हरियाणा ने वह आदेश माना। अभी तक हरियाणा 350 क्यूसेक पानी प्रतिदिन यमुना में छोड़ रहा है। अब यमुना नदी निरीक्षण कमेटी ने 770 क्यूसेक पानी प्रतिदिन छोड़ने का आदेश दिया है।

मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने कहा कि दिसंबर, जनवरी, फरवरी और मार्च माह में तो हरियाणा को हथीनीकुंड बैराज से केवल 1750 क्यूसेक पानी ही मिलता है। ऐसे में यदि हरियाणा ने 1750 क्यूसिक पानी में से यमुना में 770 क्यूसेक पानी छोड़ा तो राज्य का 70 फीसद हिस्सा मरुस्थल बन जाएगा।

उन्होंने कहा कि हरियाणा सतलुज यमुना लिंक (एसवाईएल) नहर निर्माण का मुद्दा प्रमुखता से उठा रहा है। जब तक एसवाईएल नहर का पानी हरियाणा को नहीं मिल जाता तब तक इस तरह के निर्णय लागू नहीं होने चाहिए। मुख्यमंत्री ने बताया कि जल शक्ति मंत्रालय के सचिव यूएन सिंह इस विवाद का हल करेंगे। केंद्रीय मंत्री शेखावत ने भी इस निर्णय से अहसमति जताई है।


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