Delhi Air Pollution: दिल्ली-NCR के 26 शहरों का प्रदूषण से घुट रहा दम, ये हैं प्रमुख वजह
Delhi Air Pollution रिपोर्ट के मुताबिक दिल्ली में पिछले तीन वर्षो में पीएम 2.5 का औसत 106 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर रहा है जबकि मानकों के अनुसार सालाना औसत 40 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर से अधिक नहीं होना चाहिए।
संजीव गुप्ता, नई दिल्ली। Delhi Air Pollution वायु प्रदूषण से दिल्ली ही नहीं, बल्कि आसपास के 26 शहरों का भी दम घुट रहा है। इन सभी शहरों में पीएम 2.5 प्रदूषक तत्वों का सालाना औसत स्तर तय मानकों से बहुत ज्यादा है। सबसे ज्यादा प्रदूषित हवा गाजियाबाद की है। भिवाड़ी, नोएडा, बागपत और फरीदाबाद की हालत भी चिंताजनक है। हालांकि दिल्ली की वायु गुणवत्ता में कुछ वर्षो की तुलना में आंशिक सुधार हुआ है, लेकिन अब भी सुधार की दरकार है।
यह तथ्य सेंटर फार साइंस एंड एन्वायरनमेंट (सीएसई) की ‘कैपिटल गेन्स- क्लीन एयर एक्शन इन दिल्ली-एनसीआर : व्हाट नेक्स्ट’ शीर्षक से जारी रिपोर्ट में सामने आए हैं। रिपोर्ट के मुताबिक दिल्ली में पिछले तीन वर्षो में पीएम 2.5 का औसत 106 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर रहा है, जबकि मानकों के अनुसार सालाना औसत 40 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर से अधिक नहीं होना चाहिए। इस लिहाज से दिल्ली में भी पीएम 2.5 के स्तर में 62 फीसद तक सुधार की जरूरत है। एनसीआर के शहरों में सबसे अधिक गाजियाबाद में पीएम 2.5 का औसत स्तर 123 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर रहा है यानी इसमें 67 फीसद कमी लाने की जरूरत है। इसके बाद राजस्थान के भिवाड़ी शहर की हालत भी खराब है। यहां पर साफ हवा के लिए 64 फीसद सुधार किए जाने की जरूरत है।
स्थिति में सुधार के लिए एक जैसी कार्ययोजना पर जोर: सीएसई ने रिपोर्ट में पूरे क्षेत्र के लिए एक जैसी कार्ययोजना बनाने का सुझाव दिया है, क्योंकि इस पूरे क्षेत्र का एयरशेड एक है। इसलिए एक जगह का प्रदूषण दूसरी जगह को प्रभावित करता है। ऐसे में इन सभी शहरों में वायु गुणवत्ता में सुधार के लिए क्षेत्रीय योजना बनाने की जरूरत है। चारों राज्यों को इसके लिए तालमेल बनाना चाहिए।
ये हैं प्रदूषण की प्रमुख वजह: दिल्ली व आसपास के इस पूरे क्षेत्र में प्रदूषण की पांच प्रमुख वजह हैं। इनमें वाहनों और उद्योगों से निकलने वाला धुआं, कचरा जलाने से निकलने वाला धुआं, निर्माण व ध्वस्तीकरण गतिविधियों से उठने वाली धूल और बिजली संयंत्रों से निकलने वाला धुआं शामिल है। इसके अलावा, सर्दियों में इस पूरे क्षेत्र को पराली का धुआं भी अपनी जकड़ में ले लेता है।
यह होता है एयरशेड: ऐसा भौगोलिक क्षेत्र जो वायु प्रसार के लिहाज से जुड़ा हो। एक एयरशेड में मौजूद होने की वजह से एक शहर के वायु प्रदूषण का असर पूरे क्षेत्र पर पड़ता है। दिल्ली व इसके आसपास का करीब तीन सौ वर्ग किलोमीटर का दायर एक एयरशेड में आता है, जिसकी वजह से एनसीआर व आसपास के शहरों में एक-दूसरे शहर के प्रदूषण का असर होता है।
घातक है पीएम 2.5 प्रदूषण: दुनियाभर में हुए तमाम शोध व अध्ययन बताते हैं कि इंसानी स्वास्थ्य के लिहाज से पीएम 2.5 बेहद खतरनाक होता है, क्योंकि यह बेहद महीन प्रदूषक कण होते हैं जो सांस के साथ फेफड़ों में गहराई तक जाकर जमा हो जाते हैं। इससे कई तरह की सांस संबंधी बीमारियां, शरीर के प्रतिरक्षा तंत्र संबंधी बीमारियां, कार्डियोवेस्कुलर बीमारियां व रक्त विकार हो सकते हैं। लगातार इस तरह के वातावरण में रहना जहां पीएम 2.5 स्वीकृत मात्र से अधिक है, वह प्राणघातक हो सकता है।