Coronavirus News Update: पराली का प्रदूषण घटने से दिल्ली में कोरोना से भी राहत की उम्मीद
Coronavirus News Update वायु प्रदूषण एवं कोरोना संक्रमण दोनों ही फेफड़ों पर असर करते हैं। पीएम 2.5 के महीन कण सर्वाधिक खतरनाक होते हैं। यह सांस से आसानी से शरीर में पहुंच जाते हैं। पराली के धुएं में भी कार्बन मोनोक्साइड सहित इन्हीं महीन प्रदूषण कणों की प्रधानता रहती है।
नई दिल्ली [संजीव गुप्ता]। Coronavirus News Update: दिल्ली के प्रदूषण में पराली के धुएं की हिस्सेदारी कम हो रही है। दीवाली के बाद तो इसमें लगातार कमी देखने को मिली है। विशेषज्ञों की मानें तो इससे कोरोना संक्रमण का कहर भी अपेक्षाकृत थोड़ा कम हो सकता है। अगले कुछ दिनों में पराली जलना लगभग पूरी तरह बंद हो जाने की संभावना है। गौरतलब है कि वायु प्रदूषण एवं कोरोना संक्रमण दोनों ही फेफड़ों पर असर करते हैं। पीएम 2.5 के अत्यंत महीन कण सर्वाधिक खतरनाक होते हैं। यह सांस के जरिए बहुत आसानी से शरीर में पहुंच जाते हैं। पराली के धुएं में भी कार्बन मोनोक्साइड सहित इन्हीं महीन प्रदूषण कणों की प्रधानता रहती है। अगर यह कहा जाए तो पिछले कुछ दिनों में इसलिए भी दिल्ली में कोरोना संक्रमण के केस बढ़े हैं क्योंकि यहां प्रदूषण में पराली के धुएं की हिस्सेदारी 44 फीसद तक पहुंच गई थी तो शायद गलत नहीं होगा। लेकिन अब इस धुएं की हिस्सेदारी घटने से स्थिति में सुधार होने की उम्मीद जग रही है।
केंद्रीय पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के अधीन वायु गुणवत्ता निगरानी संस्था सफर इंडिया के मुताबिक, पूर्व में जहां पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में पराली जलाने की चार-पांच हजार घटनाएं तक सामने आ रही थीं वहीं अब इनकी संख्या सैंकड़ों में रह गई है। मसलन, रविवार को ही सिर्फ 649 घटनाएं दर्ज हुईं और पराली के धुएं की हिस्सेदारी भी 12 फीसद रही। चूंकि हवा की गति 12 किमी. तक थी तो इसका असर भी बहुत ज्यादा नहीं दिखा। एक तरफ पराली का धुआं घट रहा है, दूसरी दिल्ली में धूल कणों को थामने के लिए पानी का छिड़काव किया जा रहा है। इससे पीएम 2.5 का स्तर भी पहले के मुकाबले घटा है।
डॉ. पलक बाल्यान (रिसर्च एसोसिएट, डिपार्टमेंट ऑफ कम्युनिटी मेडिसिन, आइआइटी दिल्ली) का कहना है कि कोरोना वायरस प्रदूषक कणों को साथ लेकर चलता है। ऐसे में सर्वाधिक खतरनाक पीएम 2.5 और पीएम 1 होता है। पराली के धुएं में भी यही शामिल रहते हैं। अब जबकि पराली जलाने के मामले घट रहे हैं और दिल्ली के प्रदूषण में उसके धुएं की हिस्सेदारी भी कम हो रही है तो इससे निश्चित तौर पर कोरोना संक्रमण की मार कम घातक हो सकती है।
डॉ. आजाद कुमार (सदस्य, ऑल इंडिया इंडियन मेडिसिन ग्रेजुएट एसोसिएशन) के मुताबिक, प्रदूषण में पराली का धुआं एक जटिल समस्या है। इससे फेफड़े ही नहीं, तंत्रिका तंत्र और मानसिक संकाय भी प्रभावित होते हैं। पराली का धुआं कम और खत्म होगा तो पीएम 2.5 ही नहीं, जहरीली गैसों का प्रभाव भी थमेगा। ऐसे में उम्मीद है कि कोरोना संक्रमण की मार कुछ हल्की हो सकती है।
Coronavirus: निश्चिंत रहें पूरी तरह सुरक्षित है आपका अखबार, पढ़ें- विशेषज्ञों की राय व देखें- वीडियो