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Hathras Case: पीड़िता बताकर मृत महिला की फोटो मामले में क्यों नहीं की कार्रवाई: HC

पीठ ने 13 अक्टूबर को कहा था कि शिकायतकर्ता की उस शिकातय पर तीन दिन में कार्रवाई करें जिसमें उसने दावा किया है कि उसकी मृत पत्नी की तस्वीर को हाथरस दुष्कर्म पीड़िता की तस्वीर बताकर फेसबुक ट्विटर और गूगल पर प्रसारित किया जा रहा है।

By Mangal YadavEdited By: Published: Mon, 09 Nov 2020 06:37 PM (IST)Updated: Mon, 09 Nov 2020 06:37 PM (IST)
Hathras Case: पीड़िता बताकर मृत महिला की फोटो मामले में क्यों नहीं की कार्रवाई: HC
याचिकाकर्ता ने कहा था कि दुष्कर्म पीड़िता की तस्वीर को साझा करना एक अपराध है।

नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। हाथरस पीड़िता बताकर एक मृतक युवती की फोटो वायरल करने का मामले में दिल्ली हाई कोर्ट ने केंद्र सरकार से पूछा है कि प्रकरण में दी गई शिकायत पर क्यों कार्रवाई नहीं की गई। न्यायमूर्ति नवीन चावला की पीठ ने सुनवाई के दौरान रिकॉर्ड पर लिया कि इस संबंध में याचिकाकर्ता ने 17 अक्टूबर को केंद्र के समक्ष प्रतिवेदन दिया था, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई।

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इसके जवाब में केंद्र सरकार की तरफ से पेश हुई स्टैंडिंग काउंसल मोनिका अरोड़ा ने पीठ को बताया कि शिकायतकर्ता की तरफ से यूआरएल और वेब पेज, आधार कार्ड व एफआइआर से जुड़ी जानकारी नहीं उपलब्ध कराई गई थी। हालांकि, याचिकाकर्ता की तरफ से पेश हुए अधिवक्ता ने पीठ से कहा कि 17 अक्टूबर को दिए गए प्रतिवेदन के दौरान उक्त जानकारियां उपलब्ध कराई गई थी।

उन्होंने पीठ को यह भी बताया कि 13 अक्टूबर को अदालत ने प्रतिवदेन देने के तीन दिन के अंदर कार्रवाई करने का आदेश दिया था। दोनों पक्षों को सुनने के बाद पीठ ने शिकायकर्ता के वकील को निर्देश दिया कि मोनिका अरोड़ा को प्रतिवेदन की प्रति उपलब्ध कराएं और अरोड़ा को निर्देश दिया कि क्योंकि यह गंभीर मामला ऐसे में इस पर तत्काल कुछ करें। पीठ ने इसके साथ ही केंद्र सरकार को एक सप्ताह के अंदर मामले में स्थिति रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया। मामले में अगली सुनवाई 23 नवंबर को होगी।

पीठ ने 13 अक्टूबर को कहा था कि शिकायतकर्ता की उस शिकातय पर तीन दिन में कार्रवाई करें जिसमें उसने दावा किया है कि उसकी मृत पत्नी की तस्वीर को हाथरस दुष्कर्म पीड़िता की तस्वीर बताकर फेसबुक, ट्विटर और गूगल पर प्रसारित किया जा रहा है। पीठ ने कहा था कि अगर याची की शिकायत सही होने पर सरकार को यथाशीघ्र इस संबंध में फेसबुक, गूगल और ट्विटर को निर्देश जारी करना चाहिए। याचिकाकर्ता ने कहा था कि दुष्कर्म पीड़िता की तस्वीर को साझा करना एक अपराध है।

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