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तीसरी रिंग रोड के लिए धन नहीं जमीन देगा DDA

तकरीबन एक दशक से फाइलों में ही बन रही दिल्ली की तीसरी रिंग रोड के निर्माण में अवैध कब्जों के बाद अब बजट का पेच फंस गया है।

By Pooja SinghEdited By: Published: Fri, 11 Oct 2019 02:29 PM (IST)Updated: Fri, 11 Oct 2019 02:29 PM (IST)
तीसरी रिंग रोड के लिए धन नहीं जमीन देगा DDA
तीसरी रिंग रोड के लिए धन नहीं जमीन देगा DDA

नई दिल्ली [संजीव गुप्ता]। तकरीबन एक दशक से फाइलों में ही बन रही दिल्ली की तीसरी रिंग रोड के निर्माण में अवैध कब्जों के बाद अब बजट का पेच फंस गया है। राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआइ) ने इसे बनाने के लिए दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) से धनराशि की मांग की है जबकि डीडीए हजारों करोड़ की बड़ी रकम देने में असमर्थता जता रहा है। ऐसे में धनराशि के बदले जमीन देने के प्रस्ताव पर दोनों के बीच सहमति बनती दिख रही है।

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दशक भर पहले तैयार हुअ था प्लान

गौरतलब है कि अर्बन एक्सटेंशन रोड नंबर दो नाम से इस तीसरी रिंग रोड का प्लान दशक भर से तैयार है। मास्टर प्लान 2021 में भी इसका उल्लेख है। इसे बनाने का मकसद यही है कि दिल्ली के बाहरी इलाकों से होते हुए वाहन पश्चिमी दिल्ली से दक्षिणी दिल्ली तक निकल जाए। इसके निर्माण से दिल्ली के बाहरी हिस्सों से मिलने वाले चारों नेशनल हाईवे भी इससे जुड़ जाएंगे।

अनिल बैजल ने की थी समीझा बैठक

पहले यह रोड प्रस्तावित जमीन पर अनधिकृत कब्जे जैसी अड़चनों से कागजों में ही लटकी रही। डीडीए ने अतिक्रमण-अवैध कब्जे हटाने और भूमि अधिग्रहण का काम पूरा किया तो अब बजट का पेच फंस गया है। हालांकि गत अगस्त माह में उपराज्यपाल अनिल बैजल ने इस रोड की समीक्षा बैठक लेते हुए एनएचएआइ अधिकारियों से इसके निर्माण की समय सीमा तय करने के साथ-साथ निर्माण कार्य का टेंडर भी निकाल देने को कह दिया था।

जमीन मिलने के बाद रोड बनाने का काम होगा तेज

समस्या यह आ रही है कि एनएचएआइ ने टेंडर निकालने से पूर्व डीडीए को इसके निर्माण पर आने वाला करीब पांच हजार करोड़ रुपये का खर्च वहन करने को कहा है। जबकि डीडीए इतना खर्च करने को तैयार नहीं है। डीडीए की ओर से एनएचएआइ को टोल बैरियर लगाकर सारा खर्च निकालने को कहा गया तो बताया गया कि टोल बैरियर सरकार के निर्देश पर कभी भी हटा दिए जाते हैं। डीडीए को यह चिंता भी सताने लगी है कि इस हीलाहवाली में कहीं फिर से अतिक्रमण या अवैध कब्जे न हो जाएं। इस बीच एनएचएआइ के एक सुझाव पर डीडीए भी राजी हो गया है। एनएचएआइ ने डीडीए से कुछ जमीन मुहैया कराने को कहा है, जिसे बेचकर रोड निर्माण की लागत निकाली जा सके। बताया जाता है कि जल्द ही डीडीए एनएचएआइ को जमीन दे देगा। इसके लिए अधिकारियों से मंत्रणा की जा रही है। जमीन मिलने के बाद इस रोड के निर्माण का रास्ता भी साफ हो जाएगा।

यह रहेगा रूट

पहले चरण में यह रोड एनएच-एक दिल्ली-अंबाला राजमार्ग पर नरेला से शुरू होगी जो रंगपुरी शिव मूर्ति के पास एनएच- 8 यानी दिल्ली जयपुर राजमार्ग से मिलेगी। आगे चलकर इस रोड से एनएच-2 यानी दिल्ली-मथुरा राजमार्ग भी जुड़ जाएगा। जो फरीदाबाद की ओर से आते हैं और जिन्हें करनाल जाना है, उन्हें भी दिल्ली के जाम से नहीं गुजरना पड़ेगा। साथ ही बाहरी, पश्चिमी, दक्षिणी दिल्ली में डीडीए की प्रस्तावित लैंडपूलिंग आवासीय योजना के लिए भी एक नया मार्ग मिल जाएगा। दो फेज में बनेगी रोड। फेज-1 के तहत 49 किलोमीटर रोड का निर्माण होगा। यह पानीपत से दिल्ली की ओर जाने वाले नेशनल हाईवे एक से होकर बाहरी दिल्ली से होते हुए एनएच 8 (दिल्ली- गुरुग्राम) होते हुए नेल्सन मंडेला मार्ग तक बनाई जाएगी। दूसरे चरण में नेल्सन मंडेला मार्ग से इसे एनएच 2 यानी बदरपुर से जुड़ने वाले नेशनल हाईवे से जोड़ा जाएगा। इस तरह महरौली, बदरपुर इत्यादि कई क्षेत्र इस रोड के जरिये जुड़ जाएंगे। पैसे के बदले एनएचएआइ को जमीन दी जाएगी। यह कहां और कितनी दी जाएगी, इस पर काम चल रहा है। जल्द ही समस्या सुलझा दी जाए

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