Cyber fraud: एक्सपर्ट बोले, साइबर ठगी को कम करने में दिल्ली पुलिस टीम को मेहनत तो करनी ही होगी, तभी लगेगी लगाम
Cyber fraud दिल्ली के सभी 15 जिलों में 15 साइबर थाने खोल दिए गए। थाने खोलने में करोड़ों रुपये खर्च हुए। योग्य पुलिसकर्मियों को प्रशिक्षण देकर उक्त थानों में तैनाती की गई फिर भी वे काम नहीं करना चाह रहे हैं। पुलिसकर्मियों में काम करने की इच्छा शक्ति जगानी होगी।
नई दिल्ली। Cyber fraud: कुछ सालों से साइबर ठगी में बेतहाशा वृद्धि हुई है। अब शहर-गांव कोई भी इससे अछूते नहीं हैं। और दो सालों से तो दिल्ली में साइबर ठगी का अपराध चार गुणा से भी ज्यादा बढ़ गया है। इसे रोकने के लिए बड़ी चुनौती मानते हुए पुलिस को साइबर अपराधियों की गंभीरता से धरपकड़ की जानी चाहिए तभी साइबर ठगी में कमी आ सकती है।
लोगों को दिखाने के लिए दिल्ली के सभी 15 जिलों में 15 साइबर थाने खोल दिए गए। थाने खोलने में करोड़ों रुपये खर्च हुए। योग्य पुलिसकर्मियों को प्रशिक्षण देकर उक्त थानों में तैनाती की गई फिर भी वे काम नहीं करना चाह रहे हैं। पुलिसकर्मियों में काम करने की इच्छा शक्ति जगानी होगी। जमीनी हकीकत यह है कि पीड़ित साइबर थानों के महीनों तक चक्कर काटते रहते हैं उनकी सुनवाई नहीं होती है।
अंजान पीड़ितों का फोन तक नहीं रिसीव किया जाता है। शीर्ष नेतृत्व में भी यूनीफार्म पहनने का फर्क खत्म हो रहा है। ऐसी ही स्थिति रही तो आने वाला समय और विकराल होगा। साइबर ठगी के पीड़ित पुलिसकर्मियों को ठगी के सभी सुबूत भी दे रहे हैं फिर भी वे उस पर काम नहीं करना चाह रहे हैं या उनमें इतनी सक्षमता नहीं है कि मामलों को सुलझा सकें।
मेहनत तो पुलिस को करनी ही पड़ेगी
निश्चित ही साइबर ठगी के मामले को सुलझाने में पुलिसकर्मियों को तकनीकी परेशानी जरूर आती है। क्योंकि जिस मोबाइल नंबर से ठगी की जाती है वह सिमकार्ड कहीं और पंजीकृत रहता है। ट्रांजिक्शन कहीं और होता है। एक खाते से पैसे कई अन्य खाते में चले जाते हैं। फर्जी खातों में ट्रांजिक्शन होते हैं। गिरोह के सदस्य कहीं और बैठकर वारदात को अंजाम देते हैं। ऐसे में अपराधियों का पता लगाने व उसे दबोचने में काफी भगदौड़ करने की जरूरत होती है।
शायद इसलिए पुलिस केस सुलझाने में आनाकानी करती है। जिस मामले में ऊपर से दबाव या सिफारिश आती है उसे सुलझा लिया जाता है। इस तरह की प्रवृत्ति पुलिस में खत्म करने की जरूरत है। तभी आम लोगों को न्याय मिल पाएगा। साइबर थानों में अगर पुलिसकर्मियों की कमी है, उसके लिए संख्या बल बढ़ाने की जरूरत है।
एक ऐसा अनुकूल माहौल देने की जरूरत है ताकि बेङिाझक थाने में जाकर पीड़ित शिकायत दे सकें। पुलिसकर्मियों के प्रशिक्षण के स्तर में कोई कमी नहीं है। उन्हें मजबूत इच्छाशक्ति के साथ अपना दायित्व निभाने की जरूरत है जो वे नहीं करना चाहते हैं। इसके लिए शीर्ष आला अधिकारी को विचार करने व हालात में सुधार लाने की जरूरत है।
(एसबीएस त्यागी, पूर्व संयुक्त आयुक्त, दिल्ली पुलिस से राकेश कुमार सिंह की बातचीत पर आधारित)