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आने वाले समय में वर्चुअल इलाज का बढ़ सकता है दायरा, ई-आइसीयू से दूर हो सकती है डॉक्टरों की कमी

एम्स के कैंसर सेंटर के आंको एनेस्थीसिया के अतिरिक्त प्रोफेसर डा. राकेश गर्ग ने कहा कि आइसीयू में भर्ती मरीजों के इलाज के लिए क्रिटिकल केयर के विशेषज्ञ डाक्टर का होना जरूरी है। देश में क्रिटिकल केयर के विशेषज्ञ डाक्टरों की बहुत कमी है।

By Mangal YadavEdited By: Published: Fri, 12 Mar 2021 06:11 AM (IST)Updated: Fri, 12 Mar 2021 08:43 AM (IST)
आने वाले समय में वर्चुअल इलाज का बढ़ सकता है दायरा, ई-आइसीयू से दूर हो सकती है डॉक्टरों की कमी
एम्स, आरएमएल व सफदरजंग अस्पताल के डाक्टरों ने रिपोर्ट तैयार कर बताई ई-आइसीयू की जरूरत

नई दिल्ली [रणविजय सिंह]। कोरोना के दौर में वर्चुअल क्लास छात्रों के जीवन का अहम हिस्सा बन चुका है। टेलीमेडिसिन व वीडियो कंसल्टेशन के माध्यम से मरीजों का इलाज भी शुरू हुआ। कैंसर जैसी गंभीर बीमारी के इलाज में भी टेलीमेडिसिन का इस्तेमाल होने लगा है। आने वाले समय में वर्चुअल इलाज का दायरा और बढ़ सकता है। क्योंकि अब डाक्टर आइसीयू में भर्ती बेहद गंभीर मरीजों के इलाज के लिए देश में ई-आइसीयू (इलेक्ट्रानिक-आइसीयू) की शुरुआत करने की जरूरत बता रहे हैं।

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हाल ही में एम्स, सफदरजंग व आरएमएल अस्पताल के डाक्टरों ने एक रिपोर्ट तैयार कर ई-आइसीयू की जरूरत बताई है। जिसे मेडिकल जर्नल लंग इंडिया में प्रकाशित भी किया है। डाक्टर कहते हैं कि ई-आइसीयू से क्रिटिकल केयर के डाक्टरों की कमी दूर की जा सकती है।

एम्स के कैंसर सेंटर के आंको एनेस्थीसिया के अतिरिक्त प्रोफेसर डा. राकेश गर्ग ने कहा कि आइसीयू में भर्ती मरीजों के इलाज के लिए क्रिटिकल केयर के विशेषज्ञ डाक्टर का होना जरूरी है। देश में क्रिटिकल केयर के विशेषज्ञ डाक्टरों की बहुत कमी है। इस वजह से सभी अस्पतालों में पर्याप्त संख्या में एनेस्थीसिया व क्रिटिकल केयर के विशेषज्ञ डाक्टर नहीं होते। जहां क्रिटिकल केयर के डाक्टर कम है वहां ई-आइसीयू बेहतर विकल्प होता है।

इस तकनीक में आइसीयू के मॉनिटर व अन्य उपकरणों को इलेक्ट्रानिक उपकरणों व नेटवर्किंग से जोड़ दिया जाता है। इसके अलावा आडियो व वीडियो की रिकार्डिंग के लिए उच्च गुणवत्ता के सीसीटीवी कैमरों की जरूरत पड़ती है। इसके जरिये किसी बड़े अस्पताल में दूर बैठे क्रिटिकल केयर के डाक्टर भी मरीज को देख सकते हैं, उसकी रिपोर्ट जांच कर सकते हैं। यदि मरीज बात करने की हालत में हो तो उससे बात कर चिकित्सकीय सलाह दे सकते हैं। इस आधार पर आइसीयू वार्ड में मौजूद प्रशिक्षित डाक्टर मरीज का इलाज कर सकते हैं।

अमेरिका सहित कई देशों में इस तकनीक का इस्तेमाल बढ़ा है। डाक्टर कहते हैं कि देश में सबसे पहले कर्नाटक में भी यह प्रयोग शुरू हुआ है। इसके अलावा हैदराबाद में भी इस तकनीक का इस्तेमाल आइसीयू में भर्ती मरीज के इलाज में किया जा रहा है।

देश में करीब 55 हजार क्रिटिकल केयर के डाक्टर हैं। जबकि करीब दो लाख डाक्टरों की जरूरत है। इस लिहाज से करीब डेढ़ लाख डाक्टरों की कमी है। इसके अलावा आइसीयू में भर्ती कई मरीज के इलाज के लिए पल्मोनरी, कार्डियोलाजी व न्यूरो के भी विशेषज्ञ डाक्टर की जरूरत पड़ती है। सभी अस्पतालों में पल्मोनरी, कार्डियोलाजी व न्यूरो के डाक्टर भी नहीं है। ई-आइसीयू की सुविधा होने पर दूसरे अस्पतालों के डाक्टर इलाज में मदद कर सकते हैं। हालांकि, इसके लिए आइसीयू में महंगे व अत्याधुनिक उपकरण लगाने पड़ सकते हैं।


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