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Delhi: इस बार रामलीला मंचन पर संकट के बादल, जानिए किन वजहों से नगर निगम ने अनुमति देने से किया इन्कार

ऐतिहासिक रामलीला मैदान में हर वर्ष चैत्र के नवरात्र में आयोजित होने वाली रामलीला मंचन पर इस बार संकट के बादल हैं। उत्तरी दिल्ली नगर निगम ने राष्ट्रीय हरित टिब्यूनल (एनजीटी) के आदेश का हवाला देते हुए आयोजन को अनुमति देने से इन्कार किया है।

By Vinay Kumar TiwariEdited By: Published: Thu, 01 Apr 2021 01:29 PM (IST)Updated: Fri, 02 Apr 2021 03:47 PM (IST)
Delhi: इस बार रामलीला मंचन पर संकट के बादल, जानिए किन वजहों से नगर निगम ने अनुमति देने से किया इन्कार
गर निगम ने एनजीटी के आदेश का हवाला देते हुए आयोजन को अनुमति देने से इन्कार किया है।

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। ऐतिहासिक रामलीला मैदान में हर वर्ष चैत्र के नवरात्र में आयोजित होने वाली रामलीला मंचन पर इस बार संकट के बादल हैं। उत्तरी दिल्ली नगर निगम ने राष्ट्रीय हरित टिब्यूनल (एनजीटी) के आदेश का हवाला देते हुए आयोजन को अनुमति देने से इन्कार किया है।

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चैत्र नवरात्र 13 अप्रैल से शुरू हो रहा है। आयोजन के लिए रामलीला आयोजकों ने आठ अप्रैल से 25 अप्रैल तक के लिए मैदान की बुकिंग की अनुमति मांगी है। आयोजकों व साधु-संतों ने अनुमति न देने पर महापौर कार्यालय पर धरने पर बैठने की चेतावनी दी है।

आयोजन से जुड़े पूर्व पार्षद अशोक जैन ने कहा कि मुगल बादशाह बहादुरशाह जफर के जमाने से रामलीला मैदान में रामलीला का मंचन होता आ रहा है। तब से यहां दशहरा के अवसर पर श्रीरामलीला समिति की ओर से तथा 21 साल से रामनवमी के अवसर पर महात्यागी सेवा संस्था व मंदिर श्रीराम हनुमान वाटिका की ओर से राम जन्म से पहले की लीला का मंचन कराया जाता है। इस वर्ष भी रामलीला की तैयारियां हो रही हैं।

मंच के कलाकारों की ओर से इसका रिहर्सल किया जा रहा है। इस वर्ष आयोजन के लिए पहले नगर निगम ने मंजूरी दी थी, पर ऐन वक्त पर एनजीटी के आदेश का हवाला देते हुए अनुमति को खारिज कर दिया। आयोजक प्रवीन खंडेलवाल ने कहा कि अगर दिल्ली में बढ़ते कोरोना संक्रमण के चलते यह फैसला लिया गया होता तो हम उसके साथ होते, पर इसे मंजूरी न देने के दूसरे कारण बताए गए हैं, जिसके दूरगामी परिणाम होने वाले हैं।

इसलिए हम नगर निगम से निर्णय बदलने की मांग कर रहे हैं। आयोजन समिति से जुड़े पूर्ण भगत ने कहा कि इस मामले में लोगों की धार्मिक भावनाओं का ख्याल रखते हुए नगर निगम को एनजीटी या हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाना चाहिए।


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