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क्राइम ब्रांच के हत्थे चढ़ा दिल्ली-एनसीआर में मोबाइल टावर से उपकरण चोरी करने वाला फरार आरोपित, पढ़िए कितनी चोरियों में रहा शामिल

गिरोह के तीन कर्मचारी समेत चार आरोपितों को क्राइम ब्रांच पिछले साल अगस्त में गिरफ्तार कर चुकी है। उनसे दिल्ली एनसीआर के 32 टावरों से चुराए गए कई उपकरण बरामद हुए थे। पुलिस ने 19 वारदात को सुलझाने का दावा किया था।

By Vinay Kumar TiwariEdited By: Published: Wed, 19 Jan 2022 01:41 PM (IST)Updated: Wed, 19 Jan 2022 01:41 PM (IST)
क्राइम ब्रांच के हत्थे चढ़ा दिल्ली-एनसीआर में मोबाइल टावर से उपकरण चोरी करने वाला फरार आरोपित, पढ़िए कितनी  चोरियों में रहा शामिल
गिरोह के तीन कर्मचारी समेत चार आरोपितों को क्राइम ब्रांच पिछले साल अगस्त में कर चुकी है गिरफ्तार

नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। जियो मोबाइल टावर से उपकरण चोरी करने के मामले में फरार चल रहे आरोपित सुमित राणा को क्राइम ब्रांच ने गिरफ्तार कर लिया है। सुमित मेरठ का रहने वाला है। गिरोह के तीन कर्मचारी समेत चार आरोपितों को क्राइम ब्रांच पिछले साल अगस्त में गिरफ्तार कर चुकी है। उनसे दिल्ली एनसीआर के 32 टावरों से चुराए गए कई उपकरण बरामद हुए थे। पुलिस ने 19 वारदात को सुलझाने का दावा किया था।

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डीसीपी मोनिका भारद्वाज के मुताबिक रिलायंस जियो कंपनी की ओर से क्राइम ब्रांच को शिकायत दी गई थी। शिकायत में कहा गया था कि जियो टावर में लगे हुए कीमती उपकरण चोरी हो रहे हैं। दिल्ली एनसीआर में 77 से ज्यादा चोरी की वारदात हो चुकी हैं। पुलिस को जांच से पता चला कि चोरी का सामान मुस्तफाबाद में कबाड़ी का काम करने वाले मुमताज को बेचा जाता है। पुलिस टीम ने उसके यहां छापा मारकर काफी उपकरण बरामद किए। ये उपकरण दिल्ली एनसीआर के 20 टावरों से चुराए गए थे।

पूछताछ में मुमताज ने बताया था कि जियो मोबाइल टावर के लिए काम करने वाले ठेके के कर्मचारी ही वारदात को अंजाम देते हैं। इस काम में पुनीत, सोनू खान, सलमान और सुमित राणा आदि शामिल हैं। टावर की देखरेख के लिए जाने के दौरान वे उपकरण चुराकर सस्ते दाम पर बेच देते थे। रिसीवर उसे आगे बेच देता था। इसके बाद पुलिस ने पुनीत, रवि और सोनू खान को गिरफ्तार किया था। इनकी निशानदेही पर भी चोरी का सामान बरामद हुआ था। सुमित राणा फरार था।

सुमित, पुनीत के साथ जियो का टावर लगाता था। उसे दिल्ली-एनसीआर में लगे हुए सभी टावर की पूरी जानकारी थी। इसका फायदा उठाकर वह उसमें लगे हुए कीमती उपकरण चुरा लेते थे। बाद में उसे सात से आठ हजार रुपये में मुमताज को बेचते थे।


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