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ऑक्सीजन के लिए सीपीसीबी ने देशभर में चिह्नित की 400 इकाइयां

केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय के निर्देश पर सीपीसीबी ने रविवार को पोर्टल फार कन्वर्जन आफ नाइट्रोजन प्लांट टू मेडिकल आक्सीजन प्लांट शुरू कर दिया है। इच्छुक इकाइयों के संचालक इस पोर्टल पर आवेदन कर नाइट्रोजन संयंत्र से आक्सीजन उत्पादन करने के लिए सीपीसीबी से आधिकारिक स्वीकृति ले सकते हैं।

By Jp YadavEdited By: Published: Mon, 10 May 2021 12:23 PM (IST)Updated: Mon, 10 May 2021 12:23 PM (IST)
ऑक्सीजन के लिए सीपीसीबी ने देशभर में चिह्नित की 400 इकाइयां
ऑक्सीजन के लिए सीपीसीबी ने देशभर में चिह्नित की 400 इकाइयां

नई दिल्ली [संजीव गुप्ता]। ऑक्सीजन किल्लत दूर करने के लिए केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) ने देशभर में 45 उद्योगों की 400 इकाइयां चिह्नित की हैं। इन सभी इकाइयों में स्थापित नाइट्रोजन संयंत्रों से आक्सीजन उत्पादन किया जाए तो भी इनका संचालन प्रभावित नहीं होगा। केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय के निर्देश पर सीपीसीबी ने इस दिशा में रविवार को 'पोर्टल फार कन्वर्जन आफ नाइट्रोजन प्लांट टू मेडिकल आक्सीजन प्लांट' शुरू कर दिया है।

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इच्छुक इकाइयों के संचालक इस पोर्टल पर आवेदन कर नाइट्रोजन संयंत्र से आक्सीजन उत्पादन करने के लिए सीपीसीबी से आधिकारिक स्वीकृति ले सकते हैं। खास बात यह कि 27 उद्योगों ने इस दिशा में पहल करते हुए कदम भी आगे बढ़ा दिए हैं, जबकि शेष 18 उद्योगों के भी शीघ्र ही नाइट्रोजन संयंत्र से आक्सीजन उत्पादन शुरू कर दिए जाने की संभावना है।

गौरतलब है कि मौजूदा नाइट्रोजन संयंत्रों में कार्बन आण्विक छलनी (सीएमएस) की जगह जियोलाइट आण्विक छलनी (जेडएमएस) के इस्तेमाल व आक्सीजन एनालाइजर की स्थापना, कंट्रोल पैनल सिस्टम में परिवर्तन, फ्लो वाल्व में बदलाव कर चिकित्सीय उपयोग के लिए आक्सीजन का उत्पादन किया जा सकता है।

खास बात यह कि जेडएमएस की उपलब्धता के साथ इस तरह के संशोधित संयंत्र महज चार पांच दिनों में स्थापित किए जा सकते हैं, जबकि एक नए आक्सीजन संयंत्र की स्थापना में तीन चार सप्ताह लग सकते हैं। इन उद्योगों को जल्द से जल्द अपना काम पूरा करने के लिए केंद्र सरकार की ओर से आवश्यक सुविधाएं भी प्रदान की जा रही हैं। सीपीसीबी के मुताबिक कुछ संयंत्र नजदीकी अस्पतालों में स्थानांतरित किए जाएंगे, जबकि कुछ जहां हैं, वहीं से आक्सीजन का उत्पादन कर इसकी आपूर्ति करेंगे। इच्छुक उद्यमी सीपीसीबी के वैज्ञानिक अजय अग्रवाल और सौभाग्य दीक्षित से बात कर अपनी तकनीकी समाधान पा सकते हैं।


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