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बदरंग तस्वीर होगी बुलंद, कोविड-19 महामारी हमें अपनी ताकत को पहचानने में मददगार साबित हुई

पीपीई किट जैसी स्वास्थ्य से जुड़ी तमाम चीजें जो पहले यहां नहीं बनती थीं आज जिले-जिले में यूनिटें हैं। विभागों के बीच प्रभावी समन्वय स्वास्थ्य बजट में वृद्धि और शोध को प्राथमिकता देने जैसी उम्मीदें नए साल में आकार ले सकती हैं।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Mon, 28 Dec 2020 11:17 AM (IST)Updated: Mon, 28 Dec 2020 11:17 AM (IST)
बदरंग तस्वीर होगी बुलंद, कोविड-19 महामारी हमें अपनी ताकत को पहचानने में मददगार साबित हुई
बदलाव से हमारी स्वास्थ्य सेवाएं मजबूत हो जाएंगी।

नई दिल्ली, जेएनएन। वर्ष 2021 सही मायने में उम्मीदों का साल है...परिणाम और बदलावों का भी साल है। या यूं कहिए कि वर्ष 2020 में कोविड-19 ने जो परीक्षा ली है, वर्ष 2021 में उसका परिणाम घोषित होगा। और निश्चित रूप से परिणाम बेहतर आएंगे क्योंकि हमने एक साल में वह कर दिखाया है, जिसकी आने वाले दशकों तक कल्पना नहीं की थी। दरअसल, वर्ष 2020 में कोविड-19 ने जो सबक सिखाया, उससे भारत सहित दुनियाभर की स्वास्थ्य सेवाओं और सामाजिक ताने-बाने में जो बदलाव आया, वह इस साल साफतौर पर नजर आएगा। एक तरह से पुरानी व्यवस्था की जगह नई व्यवस्था कायम हो जाएगी। लोगों के साथ-साथ सरकार की भी प्राथमिकताएं बदल जाएंगी।

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भारत जैसे विकासशील देशों में अब तक स्वास्थ्य सेवाएं पहली प्राथमिकता नहीं रहीं, लेकिन कोविड-19 की वजह से हमने यह पूरा साल सिर्फ स्वास्थ्य सेवाओं को सुधारने और बेहतर करने में बिताया है। छोटे से गांव की आंगनबाड़ी कार्यकर्ता से लेकर बड़े-बड़े अनुसंधान केंद्रों ने एकजुट होकर जो काम किया, उसकी कल्पना हम कभी नहीं कर सकते थे। भारत जैसे देश में, अब तक मैन्युअल चेन सिस्टम ही सबसे बड़ी बाधा बनकर सामने आता रहा है। हमेशा एक अविश्वास रहता था कि पता नहीं आखिरी व्यक्ति तक सेवाएं पहुंचेंगी या नहीं? मगर इस महामारी ने हमें अहसास करवाया कि यही हमारी सबसे बड़ी ताकत है।

आज जब वैक्सीन लगभग तैयार है तो हमें यह सोचने की जरूरत नहीं है कि इसे गांव-गांव, घर-घर तक कैसे तक पहुंचाएंगे? अभी तक दो सरकारी विभागों में तालमेल बिठाना ही मुश्किल होता था, लेकिन कोविड-19 ने निर्वाचन आयोग और स्वास्थ्य विभाग को एक-साथ सोचना सिखा दिया। मुसीबत में ही इंसान नया रास्ता खोजता है। जैसे 100 फीसद मतदान का लक्ष्य लेकर चलने वाला निर्वाचन आयोग एक मतदाता के लिए भी मतदान केंद्र बनाता है तो वैक्सीन पहुंचाने के लिए भी उसी रास्ते का उपयोग हो सकता है। सोचिए, जब हम असहाय हुए, परेशान हुए तो हमने ऐसा रास्ता ढूंढ़ निकाला, जिसके लिए हमें न कोई भारी भरकम सिस्टम खड़ा करना पड़ा, न अलग से बहुत ज्यादा पैसा खर्च हुआ और न ही योजनाएं बनाने में अतिरिक्त समय लगा। यह सब हमारे सिस्टम में मौजूद था लेकिन इससे पहले हमने कभी इसके उपयोग के बारे में नहीं सोचा था। नए साल में जब यह सिस्टम काम करेगा तो सिर्फ भारत के लिए ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया के लिए एक नया मॉडल प्रस्तुत होगा।

दूसरा बड़ा बदलाव जो देखने को मिलेगा वह है, अनुसंधान केंद्रों और कंपनियों के बीच तालमेल। बहुत लंबे समय से दोनों के बीच इसकी कमी महसूस की जा रही थी। कोविड-19 के दौरान दोनों ने साथ मिलकर काम किया। एक तरफ अनुसंधान चल रहा था तो दूसरी तरफ कंपनियों ने यह तैयारी कर ली कि अनुमति मिलते ही वे तुरंत ही बड़े पैमाने पर वैक्सीन उपलब्ध करवा सकें। वर्ष 2020 के पहले हमारे देश में पीपीई किट नहीं बनती थी लेकिन अब हम छोटी से छोटी यूनिट और जिलों में इसे तैयार कर पा रहे हैं। वर्ष 2021 इसी तरह स्वास्थ्य से जुड़े विषयों में हमें आत्मनिर्भर बनाएगा। अब तीसरा सबसे बड़ा बदलाव होगा, स्वास्थ्य सेवाओं के बजट में दो से तीन फीसद बढ़ोत्तरी। हम उम्मीद कर रहे हैं कि इस बजट में स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाने के लिए कई उपाय और उपक्रम होंगे। इस बदलाव से हमारी स्वास्थ्य सेवाएं मजबूत हो जाएंगी।

[डॉ. शेखर मांडे महानिदेशक, सीएसआइआर, नई दिल्ली]

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