देशद्रोह के मामले में शरजील इमाम के खिलाफ दायर आरोपपत्र पर कोर्ट ने लिया संज्ञान
Sharjeel Imam News जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) के छात्र शरजील इमाम के खिलाफ देशद्रोह के मामले में दायर पूरक आरोपपत्र पर शनिवार को कड़कड़डूमा स्थित अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश अमिताभ रावत की कोर्ट ने संज्ञान ले लिया। बता दें कि एएमयू में सीएए के विरोध में भड़काऊ भाषण दिया था।
नई दिल्ली, आशीष गुप्ता। जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) के छात्र शरजील इमाम के खिलाफ देशद्रोह के मामले में दायर पूरक आरोपपत्र पर शनिवार को कड़कड़डूमा स्थित अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश अमिताभ रावत की कोर्ट ने संज्ञान ले लिया। पिछले साल दिसंबर में नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के खिलाफ प्रदर्शनों के दौरान हुई हिंसा के एक मामले में दिल्ली पुलिस ने पूरक आरोपपत्र दायर किया था। इससे पहले शरजील इमाम के खिलाफ दिल्ली दंगे के मामले में गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) के तहत दायर आरोपपत्र पर संज्ञान लिया जा चुका है।
शरजील इमाम ने पिछले वर्ष 13 दिसंबर को जामिया मिलिया इस्लामिया और इस वर्ष 16 जनवरी को अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू) में सीएए के विरोध में भड़काऊ भाषण दिया था। दिल्ली पुलिस ने बीती 29 जुलाई को यूएपीए की धारा 13 के तहत आरोपपत्र दायर करने के साथ इस प्रकरण में भारतीय दंड संहिता (भादंसं) की धारा 124ए (देशद्रोह), 153ए (धर्म, भाषा, नस्ल के आधार पर लोगों में नफरत फैलाने की कोशिश करने), 153बी (राष्ट्रीय एकता के खिलाफ वक्तव्य देने) और 505 (अफवाह फैलाना) के तहत कोर्ट में पूरक आरोपपत्र दायर किया था। उस वक्त कोर्ट ने यूएपीए के तहत दायर आरोपपत्र पर संज्ञान लिया था। भादंसं की धाराओं के तहत अभियोग चलाने के लिए संबंधित प्राधिकारियों से मंजूरी लेने का निर्देश दिया था।
हाल में प्राधिकारी द्वारा शरजील इमाम पर देशद्रोह समेत चार आरोपों के तहत अभियोग चलाने की मंजूरी मिलने पर शनिवार को दिल्ली पुलिस ने शनिवार को अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश अमिताभ रावत की कोर्ट में पूरक आरोप पत्र दायर किया। उसका कोर्ट ने संज्ञान ले लिया है। पूरक आरोपपत्र में शरजील पर लोगों को ऐसी गतिविधियों में शामिल करने के लिए भड़काने का आरोप है जो देश की संप्रभुता और एकता के खिलाफ थीं। उसमें यह भी कहा गया है कि शरजील ने नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ विरोध प्रदर्शन के बहाने एक विशेष समुदाय के लोगों को राजमार्ग बाधित करने के लिए उकसाया और ‘चक्का जाम’ कराया, जिससे सामान्य जनजीवन बाधित हुआ। यह भी कहा गया है कि उसने असम समेत उत्तर पूर्वी राज्यों को देश से अलग करने की बात भी कई जगह कही थी। संविधान को लेकर आपत्तिजनक टिप्पणी करने का आरोप भी आरोपपत्र में लगाया गया है।
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