दिल्ली दंगा: कई मामलों में आरोपित होने पर जमानत देने से इन्कार नहीं किया जा सकताः कोर्ट
न्यू उस्मानपुर इलाके में 25 फरवरी में हिंसा के दौरान तलवार से एक व्यक्ति घायल हुआ था। उस मामले में आरोपित शहजाद खान उर्फ मोंटू की जमानत अर्जी पर अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश विनोद यादव की कोर्ट में सुनवाई हुई।
पूर्वी दिल्ली, जागरण संवाददाता। दिल्ली दंगे के मामलों में कड़कड़डूमा कोर्ट ने दो सगे भाईयों समेत चार आरोपितों को 20-20 हजार रुपये की जमानत राशि और निजी मुचलके पर जमानत दे दी। दोनों भाईयों को जमानत देते हुए कोर्ट ने आदेश में कहा कि किसी को इस आधार पर जमानत देने से इन्कार नहीं किया जा सकता कि वह अन्य कई मामलों में आरोपित है। इसके अलावा एक आरोपित की जमानत अर्जी खारिज कर दी गई। दयालपुर इलाके में 25 फरवरी को एक कार शोरूम में तोड़फोड़ के बाद आग लगाने के मामले में दो भाई वासिफ और कासिफ आरोपित हैं। दोनों की जमानत अर्जी पर बृहस्पतिवार को अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश विनोद यादव की कोर्ट में सुनवाई के दौरान आरोपितों के वकील नासिर अली ने पक्ष रखते हुए कहा कि वासिफ और कासिफ पर झूठे आरोप लगाए गए हैं। दोनों ही घटनास्थल पर मौजूद नहीं थे।
इस मामले में मुकदमा भी देरी से दर्ज किया गया है, जिसका कोई कारण स्पष्ट नहीं किया है। कोर्ट को यह भी बताया कि इस मामले में दस आरोपितों को जमानत मिल चुकी है। समानता के आधार पर वासिफ और कासिफ जमानत के हकदार हैं।
अभियोजन पक्ष ने जमानत अर्जी का विरोध करते हुए कहा कि आरोपित इसके अलावा दंगे के कई अन्य मामलों में लिप्त हैं। दंगे की साजिश को उजागर करने के लिए जांच जारी है। कई आरोपितों की पहचान और गिरफ्तारी बाकी है। ऐसे में दोनों आरोपितों को जमानत देना उचित नहीं है। ये बाहर जाकर गवाहों को डरा-धमका सकते हैं। दोनों पक्षों को सुनने के बाद कोर्ट ने दोनों को जमानत दे दी। यह कहते हुए कि किसी को इस आधार पर जमानत देने से इन्कार नहीं किया जा सकता कि वह दंगे के अन्य मामलों में आरोपित है। इसी मामले में आरोपित शादाब अहमद को भी जमानत दी गई है।
न्यू उस्मानपुर इलाके में 25 फरवरी में हिंसा के दौरान तलवार से एक व्यक्ति घायल हुआ था। उस मामले में आरोपित शहजाद खान उर्फ मोंटू की जमानत अर्जी पर अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश विनोद यादव की कोर्ट में सुनवाई हुई। आरोपित के वकील ने पक्ष रखा कि दंगे में शहजाद खान के भाई के मकान को क्षतिग्रस्त किया गया था। जिसका उनके द्वारा मुकदमा दर्ज कराया गया था। उसके विरोध में किसी ने शहजाद पर झूठा मुकदमा दर्ज करा दिया।
अभियोजन पक्ष ने कहा कि आरोपित मुख्य साजिशकर्ताओं में से एक है। उसने दंगे में शामिल एक शख्स को तलवार मुहैया कराई थी। दोनों पक्षों को सुनने के बाद कोर्ट ने आरोपित को जमानत दे दी। इसके अलावा दयालपुर इलाके में हुई हिंसा के एक मामले में आरोपित मुहम्मद अंसार की जमानत अर्जी अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश विनोद यादव की कोर्ट ने खारिज कर दी गई है। आरोपित ने पत्नी की गर्भावस्था को आधार बनाते हुए जमानत की मांग की थी। जांच अधिकारी ने कोर्ट को बताया कि आरोपित की पत्नी को किसी तरह की परेशानी नहीं है। आरोपित के स्वजन उसकी देखभाल करने में सक्षम हैं। कोर्ट ने मामले की गंभीरता और जांच अधिकारी की रिपोर्ट को आधार बनाते हुए अर्जी खारिज कर दी।
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