दिल्ली में जारी रहेगी 16500 पेड़ों की कटाई पर रोक, HC ने केंद्र से मांगी रिपोर्ट
दक्षिणी दिल्ली में केंद्रीय कॉलोनियों के पुनर्विकास के लिए पेड़ काटने के खिलाफ दायर याचिका पर दिल्ली हाईकोर्ट में सुनवाई हुई, जिसमें पिछले फैसले को बरकरार रखा है।
नई दिल्ली (जेएनएन)। दक्षिणी दिल्ली में केंद्रीय कॉलोनियों के पुनर्विकास के लिए पेड़ काटने के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए गुरुवार को दिल्ली हाई कोर्ट ने पाया कि सातों कॉलोनियों के पुनर्वास से न केवलट्रैफिम जाम की समस्या बढ़ेगी, बल्कि इससे प्रदूषण में भी इजाफा होगा। वहीं, सुनवाई के दौरान कोर्ट ने केंद्र से केंद्र से पूरी रिपोर्ट मांगी है, साथ ही कहा कि 16500 पेड़ों की कटाई पर रोक जारी रहेगी। इससे पहले 4 जुलाई को हुई सुनवाई में अग्रिम आदेश तक पूरी दिल्ली में वृक्षों की कटाई पर रोक लगा दी थी।
पिछली सुनवाई में कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश गीता मित्तल तथा न्यायमूर्ति हरि शंकर की पीठ के समक्ष आधे घंटे तक चली सुनवाई के दौरान पीठ ने केंद्र सरकार, दिल्ली सरकार, नेशनल बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन कॉरपोरेशन (एनबीसीसी), डीडीए और अन्य विभागों को जमकर फटकार लगाई थी।
पुनर्विकास के नाम पर हजारों पेड़ काटे जा रहे हैं
पीठ ने कहा था कि एक तरफ तो दक्षिणी दिल्ली स्थित एम्स तथा सफदरजंग अस्पताल के बाहर मरीजों को पानी तक नहीं मिल पा रहा है, वहीं दोनों अस्पतालों के सामने पुनर्विकास के नाम पर हजारों पेड़ काटे जा रहे हैं।
...तो पूरे प्रोजेक्ट पर रोक लगा दी जाएगी
सुनवाई के दौरान पीठ ने नाराजगी जाहिर करते हुए कहा था कि अगर जरूरत पड़ी तो पूरे प्रोजेक्ट पर रोक लगा दी जाएगी। पीठ ने एनबीसीसी, डीडीए, केंद्र सरकार व दिल्ली सरकार को प्रोजेक्ट व पेड़ काटने के मामले पर विस्तृत रिपोर्ट दाखिल करने के आदेश दिए थे। पीठ ने सभी एजेंसियों को फटकार लगाते हुए कहा था कि दोमंजिला इमारत को बहुमंजिला में तब्दील करना पुनर्विकास नहीं हो सकता। पुनर्विकास की योजना तैयार करने के दौरान सभी मूल जरूरतों के बीच सामंजस्य बनाना पड़ता है।