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Coronavirus Safety Tips: टीका लगने के बाद भी अपनी आदत में शुमार करें मास्क लगाना

टीका लगने के बाद भी तीन साल तक मास्क लगाना अनिवार्य होना चाहिए। यदि यह हमारी जिंदगी का हिस्सा भी बन जाए तो इसमें कोई बुराई नहीं है। अब हमें डरने की जरूरत नहीं है क्योंकि हमने इसके साथ जीना सीख लिया है। बस थोड़ी सी सावधानी जरूरी है।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Mon, 04 Jan 2021 09:22 AM (IST)Updated: Mon, 04 Jan 2021 09:22 AM (IST)
Coronavirus Safety Tips: टीका लगने के बाद भी अपनी आदत में शुमार करें मास्क लगाना
यदि मास्क हमारी जिंदगी का हिस्सा भी बन जाए तो इसमें कोई बुराई भी नहीं है।

नई दिल्‍ली, जेएनएन। Coronavirus Safety Tips मास्क, सुरक्षित शारीरिक दूरी, हाथ धोना और इम्यूनिटी बढ़ाना...यह अब हर किसी की जिंदगी का हिस्सा है। हम जब भी घर से बाहर निकलते हैं तो खुद को सामाजिक परिस्थितियों के हिसाब से तैयार करते हैं। यानी बेहतर कपड़े और जूते-चप्पल पहनते हैं। यह पहनना नहीं भूलते हैं। इसी तरह अब मास्क को जिंदगी का हिस्सा और जरूरत दोनों बना लेना चाहिए।

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यदि आप मास्क लगाए बगैर बाहर निकलते हैं तो आपको लगना चाहिए कि आपने कपड़े नहीं पहने हैं। इसे कपड़ों की तरह जरूरी और मोबाइल फोन की तरह आदत बना लेना चाहिए। वैसे तो टीका लगने के बाद भी तीन साल तक मास्क लगाना अनिवार्य होना चाहिए। यदि यह एहतियात हमारी जिंदगी का हिस्सा भी बन जाए तो इसमें कोई बुराई भी नहीं है।

कोविड-19 तो वायरस का एक प्रकार है, ऐसे ही कितने अनगिनत वायरस वायुमंडल में मौजूद हैं। अभी इसने महामारी फैलाई है, हो सकता है भविष्य में किसी और वायरस का आक्रमण हो। मास्क पहनने से संभवत: उनमें से कई तरह के वायरस के आक्रमणों से बचा जा सकता है। डॉक्टरी सहित कई पेशे में अभी तक मास्क का इस्तेमाल होता रहा है लेकिन मास्क का असली महत्व अब समझ में आ रहा है। इस पूरी अवधि में संभवत: हर खास और आम ने इसके फायदे को महसूस किया है। यदि आप मुझसे मेरे निजी विचार पूछेंगे तो मैं कहूंगा मास्क पहनना अनिवार्य कर दिया जाए। इससे हवा में फैले वायरस से बचा जा सकता है। यह तो हुआ वैचारिक पक्ष, जिस पर बहस हो सकती है। इसके साथ ही एक व्यावहारिक पक्ष भी है। वैक्सीन का इंतजार लगभग खत्म हो चुका है।

टीकाकरण अभियान का मॉकड्रिल शुरू हो गया है। फिर भी पूरे देश में टीका लगने में समय लगेगा। पहले डोज के बाद दूसरे डोज का इंतजार करना होगा। इसके साइड इफेक्ट्स या अच्छे-बुरे परिणाम सामने आने में लंबा वक्त लगेगा। इस दौरान तो एहतियात बरतनी ही होगी। साथ ही शारीरिक दूरी का पालन करना भी जरूरी होगा। अब आते है टीकाकरण के दौरान और बाद की स्थिति पर। दुनियाभर में हुए तमाम शोध के आधार पर यह साबित हुआ है कि महामारी को रोकने के लिए 80 फीसद आबादी का टीकाकरण जरूरी है।

वैक्सीन की करोड़ों डोज बनाना भी आसान नहीं है। भारत जैसे देश में वैक्सीन को बड़ी आबादी तक पहुंचने में कुछ वक्त लगेगा। सरकार और फार्मा कंपनियों के बीच समझौते, कई देशों की प्रतीक्षा सूची, वितरण प्रणाली और स्टोरेज जैसी कई चुनौतियां सामने आएंगी। इस दौरान जिनको वैक्सीन नहीं लगा होगा, वे एहतियात नहीं बरतने पर परेशान हो सकते हैं। और सबसे आखिरी में...विज्ञानियों द्वारा अब तक हुए शोध में यह बात सामने आई है कि वैक्सीन शरीर में वायरस को फैलने से रोकेगी। लोगों को बीमार होने से बचाएगी लेकिन इसका कोई प्रमाण नहीं है कि उससे दूसरों को कोरोना संक्रमण नहीं होगा। वैक्सीन भी आएगी और दवाइयां भी।

मुझे उम्मीद हैं उनकी बदौलत हम पहले की तरह सामान्य जिंदगी में भी लौट आएंगे लेकिन मास्क लगाने, बार-बार हाथ धोने और सुरक्षित शारीरिक दूरी से कोरोना से बचाव होता है, यह बीते एक साल में साबित हो गया है। यह टेस्टेड फॉर्मूला है और अब हमारी आदत में शुमार हो गया है। इसके लिए अब किसी परीक्षण या प्रमाण की जरूरत नहीं है। इसे बनाए रखना होगा। महामारी के शुरुआती दिनों में किस तरह से लोग डरे हुए थ, घरों में कैद होने को मजबूर हो गए थे लेकिन एहतियात से ही भारत जैसा विशाल देश इससे उबरने की कोशिश में कामयाब हो गया है। 

[डॉ. शेखर मांडे महानिदेशक सीएसआइआर, नई दिल्ली]

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