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Coronavirus Vaccination: निजी व सरकारी अस्पताल 18 से 45 वर्षीय लाेगों का टीकाकरण करने में असक्षम

डाबड़ी स्थित दादा देव मातृ एवं शिशु चिकित्सालय के प्रशासन का कहना हैं कि अस्पताल के अधिकांश स्वास्थ्य कर्मचारी कोरोना संक्रमण की चपेट में है जिसके कारण कुछ समय के लिए कोरोना जांच को बंद कर दिया गया है और टीकाकरण को जैसे-तैसे चलाया जा रहा है।

By Prateek KumarEdited By: Published: Sat, 01 May 2021 02:58 PM (IST)Updated: Sat, 01 May 2021 02:58 PM (IST)
Coronavirus Vaccination: निजी व सरकारी अस्पताल 18 से 45 वर्षीय लाेगों का टीकाकरण करने में असक्षम
कोरोना की वैक्सीन लेते हुए युवक की प्रतीकात्मक फोटो।

नई दिल्ली [मनीषा गर्ग]। कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर में अस्पतालों पर पड़े दबाव के कारण अब स्वास्थ्य सेवाएं चरमराने लगी है। आलम यह है कि निजी अस्पतालों के बाद सरकारी अस्पतालों ने भी 18 से 45 वर्षीय लोगों का टीकाकरण करने में असक्षमता जता दी है। लंबे समय से कर्मचारियों की कमी से जूझ रहे सरकारी अस्पतालों प्रशासन का कहना है कि फिलहाल अधिकांश स्वास्थ्यकर्मी कोरोना संक्रमण की चपेट में है और कुछ कर्मचारियों की ड्यूटी कोविड अस्पतालों में लगा दी गई है।

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ऐसे में सीमित कर्मचारियों के बल बूते पर 18 से 45 वर्षीय लोगों का टीकाकरण करना संभव नहीं है। कोरोना संक्रमण के बढ़े खतरे के बाद से टीकाकरण कराने वाले लोगों की संख्या अस्पतालों में काफी बढ़ गई है। ऐसे में यदि 18 से 45 वर्षीय लोगों के लिए टीकाकरण शुरू किया जाता है तो भीड़ का प्रबंधन करना मुश्किल हो जाएगा और इससे संक्रमण का खतरा भी बढ़ सकता है।

डाबड़ी स्थित दादा देव मातृ एवं शिशु चिकित्सालय के प्रशासन का कहना हैं कि अस्पताल के अधिकांश स्वास्थ्य कर्मचारी कोरोना संक्रमण की चपेट में है, जिसके कारण कुछ समय के लिए कोरोना जांच को बंद कर दिया गया है और टीकाकरण को जैसे-तैसे चलाया जा रहा है। पर ये साइट अतिरिक्त दबाव झेलने में अभी फिलहाल सक्षम नहीं है।

आसपास के सभी निजी और सरकारी अस्पतालों के कोविड अस्पताल में तब्दील हो जाने के कारण अस्पताल में प्रसव का दबाव भी बढ़ गया है। जिसके कारण संक्रमित व गैर-संक्रमित दोनों ही तरह की गर्भवती महिलाओं को अस्पताल के चिकित्सक उचित स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान कर रहे है। जब तक सभी स्वास्थ्य कर्मचारी दुरुस्त नहीं हो जाते अस्पताल 18 से 45 वर्षीय लोगों के टीकाकरण से जुड़े अतिरिक्त भार को संभाल पाने में असमर्थ है।

वहीं रघुबीर नगर स्थित गुरु गोबिंद सिंह अस्पताल प्रशासन का कहना है कि मोती नगर स्थित आचार्य श्री भिक्षु अस्पताल, जनकपुरी स्थित अतिविशिष्ट अस्पताल व हरि नगर स्थित दीन दयाल उपाध्याय अस्पताल के कोविड अस्पताल में तब्दील होने के कारण क्षेत्र के सभी लोगों को स्वास्थ्य सेवाएं मुहैया कराने की जिम्मेदारी उन्हीं के कंधों पर है। इन सब के बीच कुछ स्वास्थ्य कर्मचारी घरों में आइसोलेट है तो कुछ के परिजन संक्रमित है तो वे क्वारंटाइन में रह रहे हैं। मौजूदा स्थिति में अस्पताल पर काफी दबाव है, ऐसे में यदि अब और दबाव बढ़ता है तो स्वास्थ्य सेवाएं पूरी तरह ठप हो जाएगी। वहीं डीडीयू अस्पताल, आचार्य श्री भिक्षु अस्पताल व जनकपुरी अतिविशिष्ट अस्पताल की बात करें तो ये मजबूती से टीकाकरण अभियान को जारी रख पाने में असमर्थ है। डिस्पेंसरी में भी फिलहाल स्थिति सामान है। 


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