दिल्ली में रैन बसेरों में पहुंचा कोरोना वायरस, 32 लोग पोजिटिव मिले
दिल्ली में रैन बसेरो में कोरोना भी पहुच गया है। जांच मे 32 बेघ पोजिटिव मिले हैं। मंगलवार को बंगला साहेब गुरुद्वारा के पास रैन बसेरे में एक महिला की संदिग्ध अवस्था में मौत हो गई है। मौत के कारणों का पता नहीं चल पाया है।
नई दिल्ली। दिल्ली में ठंड का कहर जारी है, इसके बीच रैन बसेरो में कोरोना भी पहुच गया है। जांच मे 32 बेघ पोजिटिव मिले हैं। मंगलवार को बंगला साहेब गुरुद्वारा के पास रैन बसेरे में एक महिला की संदिग्ध अवस्था में मौत हो गई है। मौत के कारणों का पता नहीं चल पाया है। शव को पोस्टमार्टम के लिए पुलिस ने अपने कब्जे में ले लिया है। इसी रैन बसेरे में जांच के दौरान 32 बेघर कोरोना पोजिटिवि मिले हैं। इसके बाद से डूसिब ने रैन बसेरों में रह रहे लोगों के स्वास्थ्य जांच पर फोकस बढ़ा दिया है। रैन बसेरे में रह रहे बेघरों से कहा गया है कि स्वास्थ्य में हल्की परेशानी होने पर भी रैन बसेरा इंजार्च को बताएं। ऐसे बेघरों की बगैर देर किए अस्पताल ले जाने के निर्देश दिए गए हैं। डूसिब के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि इस बार कोरोना के हल्के लक्षण ही सामने आ रहे हैं।ऐसे में मरीज को पहचान पाना कठिन होता है, मगर रैन बसेरों में पूरी सतर्कता बरती जा रही है। रह रहे बेघरों में शारीरिक दूरी का पूरी तरह से पालन किया जा रहा है। पूस की रात तो बेघरों के लिए बहुत मुश्किल वाली साबित हो रही है। इसे देखते हुए दिल्ली शहरी आश्रय सुधार बोर्ड (डूसिब) ने सड़कों पर सोने वाले बेघरों को रैन बसेरों में ले जाए जाने का अभियान तेज कर दिया है।
डूसिब बोर्ड के सदस्य बिपिन राय ने कहा है कि गत 30 अक्टूबर से शुरू किए गए इस अभियान में अब तक 4100 लोग रैन बसेरों में ले जाए गए हैं। रैन बसेरों 7939 लोग रह रहे हैं। जनता भी सड़कों पर सोने वाले लोगों की सूचना डूसिब को दे रही है। डूसिब ने इस कार्य के लिए 17 टीमें लगाई हैं। डूसिब ने कहा है कि लोग रैन बसेरा एप बेघरों की पता के साथ फोटो खींच कर डाल सकते हैं, बताए गए स्थान पर उनकी टीमें बेघरों को लेने के लिए पहुंचेंगी।उन्होंने कहा कि 209 रैन बसेरे परमानेंट हैं। इसके अतिरिक्त पिछली बार से बहुत अधिक इस बार 220 फायर प्रूफ टेंट अब तक लगाए जा चुके हैं। 30 के करीब अभी और लगाए जाने हैं, जहां जरूरत पड़ रही है टेंट लगाए जा रहे हैं। बेघरों को सुबह का नाश्ता और दो बार का भोजन दिया जा रहा है। रात के अलावा उन्हें दिन में रहने की भी छूट है। पर्याप्त बिस्तर और कंबल उपलब्ध हैं। सप्ताह में दो बार उनकी जांच के लिए डाक्टर पहुंच रहे हैं। किसी की तबियत खराब होती है तो उसे तुरंत अस्पताल ले जाया जाता है।