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कोरोना ने लघु एवं कुटीर उद्योगों के सामने खड़ी कर दी बड़ी चुनौतियां, कई इकाइयों का कारोबार हुआ ठप

कोरोना वायरस के चलते लघु एवं कुटीर उद्योगों के सामने भी बड़ी मुश्किलें खड़ी कर दी है। छूट के बाद भी एक चौथाई इकाइयां भी प्रारंभ नहीं हो पाई हैं।

By Ayushi TyagiEdited By: Published: Thu, 28 May 2020 03:26 PM (IST)Updated: Thu, 28 May 2020 03:26 PM (IST)
कोरोना ने लघु एवं कुटीर उद्योगों के सामने खड़ी कर दी बड़ी चुनौतियां, कई इकाइयों का कारोबार हुआ ठप
कोरोना ने लघु एवं कुटीर उद्योगों के सामने खड़ी कर दी बड़ी चुनौतियां, कई इकाइयों का कारोबार हुआ ठप

नई दिल्ली, संजीव गुप्ता। कोरोना ने लघु एवं कुटीर उद्योगों के सामने भी बड़ी चुनौतियां खड़ी कर दी है। इनकी कमर तो ऐसी टूटी है कि जल्द जुड़ने की उम्मीद भी नहीं लग रही है। यही वजह है कि लॉकडाउन-4 के तहत छूट मिलने के बावजूद अभी तक एक चौथाई इकाइयां भी प्रारंभ नहीं हो पाई हैं। हालांकि लघु उद्योगों से संबंधित संगठनों से दिल्ली एवं केंद्र सरकार से विभिन्न स्तरों पर राहत की गुहार लगाई है, लेकिन वह सभी अभी विचाराधीन ही हैं।

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विभिन्न उत्पादों की लगभग एक लाख से अधिक इकाइयां 

जानकारी के मुताबिक, लघु एवं कुटीर उद्योगों के तहत दिल्ली में फार्मा उद्योग, सौंदर्य प्रसाधन बनाने वाली फैक्टि्रयों, टेक्सटाइल उद्योग सहित विभिन्न उत्पादों की लगभग एक लाख से अधिक इकाइयां हैं।  इनमें भी ओखला, पटपड़गंज, मुंडका, नरेला और बवाना में सर्वाधिक इकाइयां चल रही हैं। लॉकडाउन में तकरीबन दो माह तक लगातार बंद रहने के कारण इन इकाइयों का कारोबार बहुत हद तक ठप सा हो गया है।

इंडियन इंडस्ट्रीज एसोसिएशन (दिल्ली चेप्टर) के मुताबिक, लॉकडाउन-4 में सभी प्रकार के उद्योग शुरू करने की छूट तो मिल गई, लेकिन लघु एवं कुटीर उद्योगों में वर्किंग कैपिटल (कार्यशील पूंजी) कम होने के कारण ज्यादातर उद्यमी अपनी फैक्ट्री अब तक शुरू नहीं कर पाए हैं। बिजली-पानी के बिलों की राशि और कामगारों के खर्च ने मामला और मुश्किल कर दिया है। औद्योगिक क्षेत्रों में सफाई और सैनिटाइजेशन की व्यवस्था भी पुख्ता नहीं है। 

वैकल्पिक दिनों में चला रहे फैक्ट्री

आलम यह है कि बहुत से उद्यमी वैकल्पिक दिनों में किसी तरह अपनी फैक्ट्री चला रहे हैं तो कुछ पार्टियों से पुराना पैसा और नए ऑर्डर नहीं मिलने की वजह से घर बैठने पर मजबूर हैं। अगर एक अकेले पेपर उद्योग की ही बात करें तो लॉकडाउन के कारण पेपर इंडस्ट्री को लगभग 50 हजार करोड़ का नुकसान हो चुका है। वर्तमान में पेपर मिल चलाने के लिए न तो मिलों में ऑर्डर हैं और ना ही रद्दी पेपर। कंटेनर फ्रेट स्टेशनों पर फंसे हुए हैं।

गाजीपुर होलसेल पेपर मार्केट के संयोजक राजीव शर्मा ने कहा कि प्रश्न यह है कि मौजूदा परिस्थितियों में इंडस्ट्री कैसे चलेगी, कैसे देश की अर्थव्यवस्था सुधरेगी? इसके लिए सरकार को जमीनी स्तर पर ध्यान देना होगा और जिन व्यापारियों का जीएसटी सरकार के पास एडवांस जमा है, उसे भी तुरंत रिलीज करना चाहिए। साथ ही ऋण भी शीघ्रातिशीघ्र जारी करने की व्यवस्था की जानी चाहिए। जीएसटी का एडवांस पैसा वापस मिलने पर भी व्यापारियों को बहुत राहत मिल सकती है।

कुछ रियायतों के लिए लगाई गुहार

 उत्तर पश्चिमी जिला के जिलाधिकारी संदीप मिश्रा ने कहा कि दिल्ली सरकार और केंद्र सरकार दोनों को ही पत्र लिखकर लघु एवं कुटीर उद्योगों के सामने आ रही चुनौतियों के मद्देनजर कुछ रियायतों की गुहार लगाई गई है। अगर दिल्ली सरकार बिजली-पानी बिल माफ कर दे अथवा फिक्स चार्ज ही हटा दे और बैंक इन उद्यमियों को ब्याज मुक्त ऋण मुहैया करा दें तो भी इन मझोले उद्योगों की हालत में काफी सुधार हो सकता है।-डा. एल के पांडेय, चैयरमेन, इंडियन इंडस्ट्रीज एसोसिएशन (दिल्ली चैप्टर)बॉक्स-3इसमें संदेह नहीं कि लॉकडाउन के बाद उद्योग-धंधों को शुरू करने में खासी परेशानियां आ रही हैं। प्रशासन के स्तर पर जहां तक संभव है, उन्हें दूर करने का प्रयास किया जा रहा है। लेकिन फिर भी इन कठिन परिस्थितियों में हालात सामान्य होने में थोड़ा वक्त लगना स्वाभाविक है। ऐसे में उद्यमियों को थोड़ा धैर्य रखना चाहिए।


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