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पूर्व में कोरोना संक्रमण के मामले बढ़ने से पहले क्यों योजनाबद्ध तरीके से काम नहीं किया गया?

दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन ने बताया कि दिल्ली के लोगों को आश्वस्त करता हूं कि अस्पतालों में बेड की कमी नहीं होने दी जाएगी। लोग मास्क लगाना जारी रखें और शारीरिक दूरी का पालन करते रहें। हमारी सरकार हर स्थिति से निपटने के लिए तैयार है।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Wed, 25 Nov 2020 03:10 PM (IST)Updated: Wed, 25 Nov 2020 03:10 PM (IST)
पूर्व में कोरोना संक्रमण के मामले बढ़ने से पहले क्यों योजनाबद्ध तरीके से काम नहीं किया गया?
मरीजों का भरोसा सरकारी अस्पतालों पर आज भी नहीं बन पाया है।

नई दिल्‍ली, जेएनएन। कोरोना संक्रमण का भारत में जब शुरुआती दौर था तो तभी कई आकलन, शोध आए थे कि सर्दी के मौसम में संक्रमण और अधिक बढ़ सकता है। लेकिन नवंबर माह के शुरुआत से ही तीसरी लहर के रूप में दिल्ली-एनसीआर में तो प्रदूषण और त्योहारी भीड़ इसके बढ़ने के दो बड़े दोषी पाए गए। अब यदि दोषी इन्हें बना दिया गया तो पूर्व आकलन, अध्ययन क्यों किए गए थे, जिनमें कहा जा रहा था सर्दी के साथ संक्रमण बढ़ सकता है। सबसे बड़ा सवाल जब नवंबर माह में संक्रमण बढ़ने का अनुमान था तो सक्रियता क्यों नहीं बरती गईं थीं? जो जुर्माना राशि मास्क नहीं लगाने पर अब बढ़ाई गई, वह सख्ती पहले क्यों नहीं बरती गई?

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जब बाजारों में पैर रखने तक की जगह नहीं थी। बेड बढ़ाने के लिए अब जनता को केंद्र के आश्वासन के इंतजार में बैठने को कहा जा रहा है। निजी अस्पतालों में आइसीयू बेड आरक्षित की बात अब हो रही है। यह सब तो पहले होना चाहिए था? और सरकारी अस्पतालों में व्यवस्था क्यों नहीं? आइसीयू बेड, वेंटिलेटर वहां पर्याप्त क्यों नहीं? यही स्थिति एनसीआर के शहरों की है। यहां के मरीज तो भरोसा ही निजी अस्पतालों पर दिखा रहे हैं, गौतमबुद्ध नगर के निजी अस्पतालों की व्यवस्था में सामान्य बेड और आइसीयू बेड दोनों ही फुल हैं, सरकारी में भरपूर खाली हैं? ऐसा क्यों? पूर्व में मामले बढ़ने से पहले क्यों योजनाबद्ध तरीके से काम नहीं किया गया? इसी की पड़ताल करना हमारा आज का मुद्दा है :

बेड की कमी नहीं होने दी जाएगी : दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन ने बताया कि अभी बेड पर्याप्त हैं और एहतियात के तौर पर बेड बढ़ाने के लिए इंतजाम किए जा रहे हैं, भविष्य में भी कोई कमी नहीं होने दी जाएगी। हां, आइसीयू बेड की कमी देखी जा रही है। इन्हें बढ़ाने के लिए भी मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने निर्देश दिए हैं। जल्द ही अस्पतालों में करीब 1650 आइसीयू बेड बढ़ जाएंगे। केंद्र से भी आश्वासन मिला है, यदि आइसीयू बेड जल्दी मिल जाएंगे तो दिल्ली के लिए बेहतर होगा। यहां निजी अस्पतालों में आइसीयू बेड पर दूसरे राज्यों के मरीज भर्ती हैं। लेकिन यह वक्त विवाद का नहीं है, वे भी हमारे लोग हैं। पांच साल में जो मजबूत स्वास्थ्य ढांचा तैयार हुआ है वह आज दूसरे राज्यों के भी काम आ रहा है। इसके अलावा कोरोना मरीजों के लिए शहर के विभिन्न अस्पतालों में 30 हजार बेड बढ़ाने की तैयारी की जा रही है। दिल्ली में 12 हजार मरीज रोज आते हैं तो कम से कम 30 हजार बेड की जरूरत होगी। इसके लिए बनाए गए ब्लूप्रिंट पर काम शुरू हो गया है। 

निजी पर भरोसा सरकारी से उम्मीद : मरीजों का भरोसा सरकारी अस्पतालों पर आज भी नहीं बन पाया है। दिल्ली-एनसीआर में कोरोना संक्रमण बढ़ने पर निजी अस्पतालों के बेड खाली नहीं हैं लेकिन सरकारी अस्पतालों में अब भी बेड खाली हैं। निजी आइसीयू बेड और वेंटिलेटर तक खाली नहीं बचे हैं। अभी जिस तरह से दिल्ली-एनसीआर में कोरोना की तीसरी लहर बह रही है उसमें सभी शहरों में बेड सुविधा का आकलन किया गया तो यही स्थिति निकलकर आइ है।

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