Stop Pollution: प्रदूषण बढ़ने पर हवा में अधिक देर तक रह सकता है कोरोना वायरस: डॉ. रणदीप गुलेरिया
कोरोना के इस दौर में यदि प्रदूषण बढ़ेगा तो कुछ शोधों के डाटा में यह बात सामने आई है कि कोरोना वायरस हवा में अधिक देर तक रह सकता है। इससे संक्रमण होने का खतरा है। इस वजह से सांस के मरीजों की बीमारी गंभीर हो जाती है।
नई दिल्ली, रणविजय सिंह। कोरोना के संक्रमण के बीच प्रदूषण भी बढ़ने लगा है। यह देखा गया है कि प्रदूषण बढ़ने पर सांस की बीमारियां बढ़ जाती है। इन दिनों अगस्त के मुकाबले कोरोना के कारण मौत भी अधिक हो रही है। ऐसे में सर्दी के मौसम में प्रदूषण ज्यादा बढ़ने पर यह कितनी बड़ी खतरे की बात हो सकती है, प्रदूषण के कारण कोरोना का संक्रमण बढ़ने की आशंका, उसके दुष्प्रभाव व हाल के दिनों में कोरोना से मौत के मामले बढ़ने के कारणों पर एम्स के निदेशक डॉ. रणदीप गुलेरिया से रणविजय सिंह ने बातचीत की। पेश है उसके प्रमुख अंश:-
हवा की गुणवत्ता खराब होने लगी है और अभी कोरोना का संक्रमण भी है, यदि प्रदूषण बढ़ता है तो यह किस कदर खतरे की बात हो सकती है?
हर साल दिवाली के आसपास व सर्दी के मौसम में प्रदूषण बढ़ जाता है। यह मसला कुछ तो मौसम से जुड़ा होता है। वहीं, पराली भी जलाई जाती है। इसके अलावा सड़कों पर वाहनों का दबाव भी पहले की तरह हो गया है। इन तमाम कारणों से प्रदूषण का स्तर बढ़ने लगा है। कोरोना के इस दौर में यदि प्रदूषण बढ़ेगा तो कुछ शोधों के डाटा में यह बात सामने आई है कि कोरोना वायरस हवा में अधिक देर तक रह सकता है। इससे संक्रमण होने का खतरा है। जिन्हें पहले से सांस की परेशानी, अस्थमा की बीमारी है, उन मरीजों के फेफड़े में प्रदूषण के कण जाने से सोरियासिस हो जाता है। इस वजह से फेफड़े में सूजन (इफ्लेमेशन) हो जाता है। इस वजह से सांस के मरीजों की बीमारी गंभीर हो जाती है। उस दौरान सांस के मरीजों को कोरोना का संक्रमण होने पर वह ज्यादा घातक हो सकता है। इसलिए यह जरूरी है कि इस साल प्रदूषण रोकने की पूरी कोशिश करें। ताकि हर साल की तरह इस बार सर्दी के मौसम में संक्रमण न होने पाए, क्योंकि कोरोना व प्रदूषण दोनों साथ-साथ होगा तो लोगों की परेशानी और बढ़ जाएगी।
कोरोना के मामले अभी थोड़े कम हुए हैं तो क्या प्रदूषण बढ़ने पर कोरोना के मामले दोबारा बढ़ सकते हैं?
यह तो अभी आने वाला समय बताएगा लेकिन कुछ डाटा है जो यह कहता है कि जहां पर प्रदूषण अधिक है वहां वायरस धूलकण व वातावरण में मौजूद सूक्ष्म कणों (प्रदूषक तत्व) के साथ मिलकर वायरस हवा के साथ थोड़ी दूर तक जा सकता है और अधिक देर तक अस्तित्व में रह सकता है। इस वजह से कोरोना का संक्रमण बढ़ सकता है। इसलिए सतर्क रहने की जरूरत है और प्रदूषण रोकने के लिए पूरे प्रयास किए जाने चाहिए।
पिछले कुछ सालों से दिल्ली और इसके आसपास का पूरा इलाका गैस चेंबर में तब्दील हो जाता है, स्वास्थ्य पर इसका किस तरह का असर देखा गया है?
प्रदूषण बढ़ने पर अस्पताल की इमरजेंसी में करीब एक तिहाई सांस के मरीज बढ़ जाते हैं। इसलिए प्रदूषण बढ़ेने पर ब्रोंकाइटिस व अस्थमा के मरीज बढ़ जाएगें। कोरोना के अभी काफी मरीज अस्पताल आ रहे हैं। इस वजह से प्रदूषण बढ़ने पर अस्पतालों के जनरल वार्ड के साथ-साथ आइसीयू में गंभीर मरीजों का दाखिला भी बढ़ जाएगा। लिहाजा, अस्पतालों पर अतिरिक्त दबाव बढ़ सकता है।
मौजूदा परिस्थिति को देखते हुए प्रदूषण रोकने के लिए किस तरह के कदम उठाने की जरूरत है?
प्रदूषण रोकने के लिए सबसे पहले पराली जलाना बंद करना होगा। पराली जलाने के बजाए उसका विकल्प ढूंढे। इसके अलावा प्रदूषण का एक बड़ा कारण फैक्ट्रियों से निकलने वाला धुआं भी है, इस पर भी ध्यान दिया जाना चाहिए और उसे रोकने के प्रभावी उपाए किए जाने चाहिए। इसके अलावा आवागमन के लिए सार्वजनिक परिवहन के साधनों का इस्तेमाल अधिक करें। निजी वाहनों का इस्तेमाल कम करें। निर्माण कार्य के दौरान निकलने वाले धूल को रोकने के लिए दिशा निर्देश बने हुए हैं। नियमों का पालन नहीं होता इस वजह से प्रदूषण बढ़ जाता है। इसलिए दिशा निर्देशों का ठीक से पालन करना जरूरी है।
हाल के दिनों में कोरोना से मौत के मामले फिर बढ़ गए हैं, इसके क्या कारण हैं?
पहले हल्के व कम गंभीर संक्रमण वाले मरीज इलाज के लिए अधिक पहुंचते थे। अब गंभीर मरीज अधिक भर्ती हो रहे हैं। दूसरी बात यह भी है कि लॉकडाउन खुलने के बाद बाहर से भी गंभीर मरीज पहुंच रहे हैं। एम्स में उत्तर प्रदेश के कानपुर, लखनऊ, आगरा यहां तक कि बिहार से भी कोरोना के गंभीर मरीज इलाज के लिए पहुंचे। वहां पर इलाज के दौरान शरीर में ऑक्सीजन का स्तर काफी कम होने पर मरीज एम्स आ जाते हैं। मरीजों के आवागमन के कारण भी कोरोना के मामले बढ़ रहे हैं। मामले अधिक आने पर मौत के मामले भी थोड़े बढेंगे। सबसे जरूरी यह है कि लोग कोरोना से बचाव के नियमों का ठीक से पालन करें। घर से बाहर निकलने पर मास्क जरूर पहनें। मास्क से नाक व मुंह ठीक से ढंका होना चाहिए। हाथ से बार-बार नाक व मुंह न छुएं। कोरोना का संक्रमण कम होगा तो मौत के मामले भी कम हो जाएंगे।
Coronavirus: निश्चिंत रहें पूरी तरह सुरक्षित है आपका अखबार, पढ़ें- विशेषज्ञों की राय व देखें- वीडियो