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Coronavirus India News: क्या टीका डबल म्यूटेशन वाले वायरस से भी सुरक्षा प्रदान करेगा?

कोई भी महामारी धीरे-धीरे ही सामान्य बीमारी में तब्दील होती है। आने वाला समय कठिन है। हमें सतर्कता के साथ इसका सामना करने की जरूरत है। इसके लिए हमारे पास दो हथियार हैं। पहला टीका और दूसरा रहन-सहन में बदलाव।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Tue, 30 Mar 2021 11:00 AM (IST)Updated: Tue, 30 Mar 2021 11:02 AM (IST)
Coronavirus India News: क्या टीका डबल म्यूटेशन वाले वायरस से भी सुरक्षा प्रदान करेगा?
मास्क लगाने और शारीरिक दूरी जैसी सतर्कता हमें लंबे समय तक बरतती रहनी होगी।

डॉ शेखर मांडे। कोविड-19 की दूसरी लहर आ चुकी है और तीसरी के आने की भी आशंका बनी हुई है। खासतौर पर कोरोना वायरस के डबल म्यूटेशन वैरिएंट (नया स्ट्रेन) को लेकर सभी जगह चर्चा है। अलग-अलग बयान सामने आ रहे हैं, लेकिन यदि हम वैज्ञानिक तथ्यों पर जाए तो तस्वीर साफ हो जाएगी। डबल म्यूटेंट वैरिएंट का नाम है ई-484 क्यू, एल-452 आर। यह स्पाइक प्रोटीन का ही रूप है। यह सही है कि यह स्ट्रेन ब्रिटेन, ब्राजील, दक्षिण अफ्रीका, जापान में पाया गया है।

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जिस कैलिफोर्निया वैरिएंट की चर्चा है वो भी यही स्ट्रेन है। इसमें भी एल-452आर ज्यादा सक्रिय है। ऐसे में क्या टीका डबल म्यूटेशन वाले वायरस से भी सुरक्षा प्रदान करेगा? कुछ लोगों ने इस पर सवाल खड़े किए हैं लेकिन चिकित्सा जगत इस वक्त सिर्फ विभिन्न शोध के परिणामों पर नजरें टिकाए हुए हैं। अभी तक के शोध में यह प्रमाण नहीं मिला है कि टीका डबल म्यूटेशन वायरस में सुरक्षा प्रदान नहीं कर रहा है।

दरअसल, टीके की दो खुराक के 15-20 दिन बाद व्यक्ति में प्रतिरोधक क्षमता (इम्यूनिटी) विकसित होती है। उसके बाद किसी व्यक्ति को डबल म्यूटेशन वायरस ने संक्रमित किया हो, इसके बहुत कम मामले सामने आए हैं। इसलिए, यह नहीं कहा जा सकता है कि वैक्सीन डबल म्यूटेशन वाले वायरस से बचाने में सक्षम नहीं है। महामारी विशेषज्ञों द्वारा अभी तक दिए गए आंकड़ों के अनुसार इसमें कोई बहुत ज्यादा बढ़ोतरी नजर नहीं आ रही है, मगर संपूर्ण डाटा कंपाइल होना अभी बाकी है। इससे कोरोना वायरस के वर्तमान हालात की एक साफ तस्वीर उभरेगी। फिर भी मैं कहूंगा कि इससे हमें डरने की जरूरत नहीं है, बल्कि ज्यादा सावधान और सचेत रहने की जरूरत है।

वैज्ञानिक रूप से यह भी यह साबित हो चुका है कि कोरोना वायरस पर मौसम का असर भले ही नहीं पड़े, लेकिन हवा का असर पड़ता है। यह वायरस खुली हवा में ज्यादा देर तक जिंदा नहीं रह पाता है। शोध से यह स्पष्ट हुआ है कि विदेश में ठंड के दौरान लोग ज्यादातर घरों के भीतर रहते हैं। वहां बंद घर होते हैं और रोशनदान नहीं होने से हवा की आवाजाही कम होती है। वहां कोरोना वायरस ज्यादा समय जीवित व सक्रिय रहे। इसकी तुलना में भारत जैसे देश में लोग खुली हवा में ज्यादा देर रहते हैं। इसकी वजह से इसका असर तुलनात्मक रूप से कम रहा। यही वजह है कि अब कोरोना से बचाव के प्रोटोकॉल में इस बिंदु को भी शामिल कर लिया गया है और लोगों को खुली हवा में रहने की सलाह दे रहे हैं।

हवा में कोरोना वायरस के असर को देखते हुए सीएसआइआर उत्तर प्रदेश के परिवहन विभाग और मेट्रो के साथ मिलकर एक प्रोजेक्ट कर रहा है। इस प्रयोग के जरिये हम यह जांचने की कोशिश कर रहे हैं कि क्या एसी या बंद कमरों में यूवी लाइट या फिल्टर लगाकर कोरोना वायरस को फैलने से रोका जा सकता है। यदि यह सफल होता है तो आने वाले समय में कोरोना को मात देने में बहुत कारगर होगा। और हम सामान्य जीवन की ओर लौट पाएंगे।

[महानिदेशक, वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआइआर), नई दिल्ली]


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