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Coronavirus: मेट्रो सिटी में रहने वालों को बुलाने लगे उनके परिजन, अब तो घर आ जा परदेशी, तेरी जन्मस्थली बुलावे रे

देश के तमाम राज्यों में कोरोना का कहर बढ़ता जा रहा है। दिल्ली मुंबई यूपी एमपी जैसे राज्य इन दिनों संक्रमण के बढ़ते प्रभाव से परेशान हैं। मुंबई दिल्ली और कुछ अन्य मेट्रो शहरों से तो दिहाड़ी मजदूरों नौकरी पेशा और अन्य कामगारों ने वापस लौटना शुरू कर दिया है।

By Vinay Kumar TiwariEdited By: Published: Wed, 14 Apr 2021 05:18 PM (IST)Updated: Wed, 14 Apr 2021 05:18 PM (IST)
Coronavirus: मेट्रो सिटी में रहने वालों को बुलाने लगे उनके परिजन, अब तो घर आ जा परदेशी, तेरी जन्मस्थली बुलावे रे
अभी से अपना राशन पानी समेटकर गांवों की ओर लौटने लगे हैं।

नई दिल्ली, विनय तिवारी। देश के तमाम राज्यों में कोरोना का कहर दिनोंदिन बढ़ता जा रहा है। दिल्ली, मुंबई, यूपी, एमपी जैसे तमाम राज्य इन दिनों कोरोना संक्रमण के बढ़ते प्रभाव से खासे परेशान हैं। मुंबई, दिल्ली और कुछ अन्य मेट्रो शहरों से तो दिहाड़ी मजदूरों, नौकरी पेशा और अन्य कामगारों ने वापस लौटना शुरू कर दिया है। रेलवे स्टेशनों और बस अड्डों पर इन्हीं की भीड़ देखी जा रही है। बीते साल कोरोना संक्रमण के दौरान जिन लोगों को पैदल ही अपने गांव लौटना पड़ता था, इस बार वो लोग उससे बचना चाह रहे हैं, इसी वजह से वो अभी से अपना राशन पानी समेटकर गांवों की ओर लौटने लगे हैं।

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देश के सभी मेट्रो शहरों में कोरोना संक्रमण का बुरा हाल है। आलम ये है कि मुंबई ने अपने यहां कोरोना संक्रमण की चेन को तोड़ने के लिए ब्रेक दे चेन का नाम देकर कई चीजों पर कड़ी पांबदियां लगा दी हैं। मुंबई के सीएम उद्धव ठाकरे ने तो हाथ खड़े कर दिए हैं और साफ कह दिया कि संक्रमण को रोकने के लिए ये पांबदियां लगानी जरूरी हैं, यदि इनको नहीं लगाया जाएगा तो संक्रमित मरीजों की संख्या को रोक पाना मुश्किल हो जाएगा। अस्पताल में बेड पहले से कम पड़ गए हैं। लोगों से घरों में ही आइसोलेट होने के लिए कहा जा रहा है। साथ ही ये भी कहा जा रहा है कि यदि वो गंभीर रूप से बीमार हों तो ही अस्पताल में बेड पर जाएं। यदि उनको हल्की बीमारी है तो अस्पताल न जाएं, अस्पताल में केवल गंभीर मरीजों का ही इलाज होने दें।

बांदा के रहने वाले रामवीर दिल्ली में दिहाड़ी मजदूर हैं, वो बताते हैं कि माई और बापू रोज टीवी देख रहे हैं, जब कल शाम को समाचार देखें हैं तभी से बोल रहे हैं कि अब लौट आओ, फिर कमाने चले जाना। जान है तो जहान है। ना जाना हो पाए तो यहीं पर कुछ कर लेना। इसी तरह से दिल्ली के आनंद विहार रेलवे स्टेशन से घर वापस लौट रहे रामजी यादव बताते हैं कि वो दिल्ली में काम करते हैं, पूरे परिवार के साथ यहीं पर बीते तीन साल से रह रहे हैं। मगर जब से केजरीवाल ने लॉकडाउन लगाने को कहा है तभी से गांव में रह रहे माता पिता और अन्य लोग परेशान है। वो लोग रोज ही घर वापस आने के लिए कह रहे हैं। इस तरह से सैकड़ों लोग रेलवे स्टेशन और बसों से अपने घरों को परिवार सहित लौटते हुए देखे जा रहे हैं।

सराय काले खां, कौशांबी बस डिपो, कश्मीर गेट आइएसबीटी, पुरानी दिल्ली रेलवे स्टेशन, निजामुद्दीन रेलवे स्टेशन और गाजियाबाद रेलवे स्टेशन पर अपने घर लौटने वालों की संख्या में रोजाना इजाफा हो रहा है।

इधर इससे पहले दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल भी इस बात के संकेत दे चुके हैं कि यदि हालात काबू में नहीं हुए तो लॉकडाउन लगाना ही पड़ेगा। उन्होंने दो दिन पहले ही साफ कर दिया है कि जिस तरह से मरीजों की संख्या बढ़ रही है उससे अस्पताल में बेड़ों की संख्या कम पड़ जाएगी। वैसे बेड बढ़ाने के लिए काम किया जा रहा है। बैंक्वेट हालों में भी बेड बढ़ाए जा रहे हैं उसके बाद भी यदि हालात नहीं सुधरे तो दिल्ली में लॉकडाउन लगाना पड़ेगा। लॉकडाउन लगाने की सूचना मिलने के बाद यहां से भी हजारों की संख्या में लोग वापस लौटने लगे हैं। आनंद विहार बस अड्डे और रेलवे स्टेशनों पर काफी संख्या में दिहाड़ी मजदूर अपने परिवार के साथ सामान सहित वापस लौट रहे हैं।

काफी संख्या में लोगों को उनके परिवार के सदस्य भी वापस बुला रहे हैं। जो लोग मेहनत मजदूरी करके शहर में पैसा कमाने और कुछ करने की नीयत से आए थे, अब उनके सामने भी संकट है। परिवारीजन उनको घर वापस लौटने के लिए कह रहे हैं। परिवार के बड़े बुजुर्गों का कहना है कि अभी मेट्रो शहरों में रहने के लिए समय ठीक नहीं है इस वजह से वो अपने घर वापस लौट आएं। जब समय ठीक हो जाएगा और बीमारी कंट्रोल में आ जाएगी उसके बाद वो वापस चले जाएं। मगर अभी वो मेट्रो शहर में न रहें, वहां बीमारी अधिक फैल रही है और उससे बचने के उपाय कम पड़ रहे हैं। ऐसे में अपने घर में रहना अधिक उचित है।

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