Coronavirus: आने वाले साल में सीखने-सिखाने की प्रक्रिया में देखने को मिलेंगे व्यापक परिवर्तन
महामारी के कारण उत्पन्न हुई असाधारण परिस्थितियों के कारण ऑनलाइन वर्चुअल शिक्षा में बढ़ोतरी और फिर नई शिक्षा नीति के लागू होने के कारण नए साल में सीखने-सिखाने की प्रक्रिया में परिवर्तन देखने को मिलेंगे। एनईपी के तहत शिक्षा में मल्टीपल एंट्री एंड एक्जिट सिस्टम भी देखने को मिलेगा।
नई दिल्ली। महामारी के कारण उत्पन्न हुई असाधारण परिस्थितियों के कारण ऑनलाइन वर्चुअल शिक्षा में बढ़ोतरी और फिर नई शिक्षा नीति के लागू होने के कारण आने वाले नए साल में सीखने-सिखाने की प्रक्रिया में व्यापक परिवर्तन देखने को मिलेंगे।
शिक्षा के अधिकार का दायरा 6 से 14 साल के बच्चों से बढ़कर 3 से 18 साल के बच्चों के लिए हो जाएगा। स्कूलों के पाठ्यक्रम छात्रों के सीखने के ज्यादा अनुकूल होंगे। 100 फीसद नामांकन लक्ष्य हासिल करने के लिए पढ़ाई छोड़ चुके करीब दो करोड़ बच्चों को फिर दाखिला दिलाया जाएगा। इसके लिए स्कूल के बुनियादी ढांचे का विकास और नवीन शिक्षा केंद्रों की स्थापनी की जाएगी। नए वर्ष में एनईपी के तहत उच्च शिक्षा में मल्टीपल एंट्री एंड एक्जिट सिस्टम भी देखने को मिलेगा।
अगर किसी विद्यार्थी ने बीटेक में एडमिशन लिया और दो सेमेस्टर बाद घरेलू परेशानी के कारण आगे की पढ़ाई छूट गई तो उसका साल खराब नहीं होगा। ऑनलाइन शिक्षा की आवश्यक्ता के मद्देनजर देश के ऐसे भाग जहां भी पारंपरिक और व्यक्तिगत शिक्षा प्राप्त करने का साधन उपलब्ध होना संभव नहीं हैं, वहां गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के वैकल्पिक साधनों की तैयारियों को सुनिश्चित करने के लिए, स्कूल और उच्च शिक्षा दोनों को ई-शिक्षा की जरूरतों को पूरा करने के लिए शिक्षा मंत्रालय में डिजिटल अवसंरचना, डिजिटल कंटेंट और क्षमता निर्माण के उद्देश्य से एक सर्मिपत इकाई देखने को मिलेगी।
ओपेन बुक परीक्षा से आने वाले साल में परीक्षा को लेकर स्कूल से लेकर विश्वविद्यालय स्तर तक छात्रों को रट्टा लगाने से आजादी मिलेगी और वे तनावमुक्त रहेंगे। समस्या को हल करने और सोचने की क्षमता में बढ़ोतरी होगी। नवाचारी शिक्षा के कई रूप जैसे प्रकृति से विज्ञान को जोड़कर पढ़ाने का ढंग या खेल खेल में विज्ञान और गणित, आइसीटी को विभिन्न पर्यावरणीय समस्याओं से जोड़कर बेहतर पर्यावरणीय ज्ञान, या फिर छठी कक्षा से कोडिंग, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, रोबोटिक्स एवं साइबर अपराध संबंधी पढ़ाई के साथ-साथ संख्यात्मक ज्ञान आधारित शिक्षा देखने को मिलेगी।
किसी देश को आगे बढ़ाने में शिक्षा का अहम योगदान होता है। नई शिक्षा नीति का यही मकसद है कि देश के मानव संसाधन को ज्ञान से लेकर हुनर तक सराबोर करे। उम्मीदों की लंबी फेहरिस्त देश को सिरमौर बनाएगी। (सुशील द्विवेदी, स्टेट कोआर्डिनेटर, विद्यार्थी विज्ञान मंथन, विज्ञान भारती, नई दिल्ली)
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