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एम्‍स डायरेक्टर डॉ. रणदीप गुलेरिया ने बताई 15 अगस्त तक कोरोना वैक्‍सीन लांच करने की मुश्किलें

ट्रायल के दौरान कई तकनीकी पहलुओं का ध्यान रखना पड़ता है और यह देखना पड़ता है कि टीके का कोई दुष्प्रभाव तो नहीं। सब कुछ सही पाए जाने पर ही टीका जारी किया जाता है।

By Prateek KumarEdited By: Published: Mon, 06 Jul 2020 07:18 PM (IST)Updated: Tue, 07 Jul 2020 07:16 AM (IST)
एम्‍स डायरेक्टर डॉ. रणदीप गुलेरिया ने बताई 15 अगस्त तक कोरोना वैक्‍सीन लांच करने की मुश्किलें
एम्‍स डायरेक्टर डॉ. रणदीप गुलेरिया ने बताई 15 अगस्त तक कोरोना वैक्‍सीन लांच करने की मुश्किलें

नई दिल्ली, राज्य ब्यूरो। एम्स के निदेशक डॉ. रणदीप गुलेरिया ने कहा है कि 15 अगस्त तक कोरोना का टीका आना मुश्किल है। यह चुनौतीपूर्ण कार्य है, क्योंकि कोई भी टीका तीन चरणों के ट्रायल के बाद इस्तेमाल के लिए जारी किया जाता है। ट्रायल के दौरान कई तकनीकी पहलुओं का ध्यान रखना पड़ता है और यह देखना पड़ता है कि टीके का कोई दुष्प्रभाव तो नहीं। सब कुछ सही पाए जाने पर ही टीका जारी किया जाता है।

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आखिर कब तक आएगी दवा

स्वदेशी टीके के ट्रायल में यदि सबकुछ उम्मीद के मुताबिक हुआ तो इस साल के अंत तक यह टीका आ सकता है। उन्होंने कहा कि जानवरों पर ट्रायल में टीका सुरक्षित पाए जाने पर इंसानों पर ट्रायल किया जाता है। पहले चरण के ट्रायल में यह देखा जाता है कि टीका बीमारी से बचाव में कितना सक्षम है। यदि ज्यादा एंटीबॉडी नहीं बनाती तो उसका फायदा नहीं होता। यदि वह इतना एंटीबॉडी बनाए कि 70 से 80 फीसद लोगों को फायदा हो तब दूसरे चरण का ट्रायल शुरू होता है।

टीके के दुष्‍प्रभाव की रहती है चिंता

इस दौरान यह भी देखा जाता है कि टीका कितना सुरक्षित है। कई बार टीके का दुष्प्रभाव भी हो सकता है। 1960 में खसरा का टीका आया, जिसका काफी दुष्प्रभाव देखा गया। इस तरह के कई और उदाहरण भी हैं। कई बार न्यूरोलॉजिकल दुष्प्रभाव भी पड़ता है। टीके से कई बार वायरस का संक्रमण अधिक होने की आशंका रहती है। इसलिए दूसरे चरण में इसका भी आकलन किया जाता है। इसे सुरक्षित पाए जाने पर तीसरे चरण में बजुर्गो, पुरानी बीमारियों से पीड़ित लोगों पर भी ट्रायल होता है।

टीके में बदलाव से लग सकता है और वक्‍त

इसमें कुछ समय लगता है। यदि टीके में कुछ बदलाव की जरूरत महसूस हुई तो उसके आने में थोड़ा वक्त लग सकता है और साल के शुरुआत तक उपलब्ध हो सकता है। 40 साल से कम उम्र के लोगों में ज्यादातर हल्के संक्रमण हो रहे हैं। बुजुर्गो व पुरानी बीमारियों से पीड़ित लोगों में कोरोना से मृत्यु दर अधिक है। इसलिए टीका बनने पर यह प्रमुखता भी तय करनी पड़ेगी कि किस वर्ग के लोगों को पहले दिया जाए। बुजुर्गो, पुरानी बीमारियों से पीड़ित लोगों व स्वास्थ्यकर्मियों को यह टीका पहले लगाने की जरूरत पडे़गी।


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