दिल्ली के वकीलों को बड़ी राहत, सुनवाई के दौरान कोट, गाउन व जैकेट पहनने से मिली छूट
दिल्ली हाई कोर्ट ने अधिवक्ताओं को हाई कोर्ट एवं निचली अदालत में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के दौरान कोट गाउन शेरवानी और जैकेट पहनने में छूट दी है।
नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। कोरोना महामारी के बीच दिल्ली हाई कोर्ट समेत सभी अदालतें निलंबित हैं और मामलों की सुनवाई वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से वर्चुअल हो रही है। ऐसे में दिल्ली हाई कोर्ट ने अधिवक्ताओं को हाई कोर्ट एवं निचली अदालत में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के दौरान कोट, गाउन, शेरवानी और जैकेट पहनने में छूट दी है।
दिल्ली हाई कोर्ट की तरफ से जारी आदेश के तहत हालांकि, वकीलों को सुव्यवस्थित तरीके से कपड़े पहनना होगा। हाई कोर्ट द्वारा जारी किए गए आदेश के अनुसार अगले आदेश तक अधिवक्ताओं को सुनवाई के दौरान गाउन, कोट अचकन, शेरवानी पहनने से छूट दी गई है। यह निर्देश तत्काल प्रभाव से लागू किया गया है।
कोरोन महामारी के कारण केंद्र सरकार द्वारा लॉकडाउन घोषित किया गया था और इसके कारण 25 मार्च से दिल्ली हाई कोर्ट समेत सभी निचली अदालतों की कार्रवाई को निलंबित कर दिया गया था। इस दौरान महत्वपूर्ण मामलों की सुनवाई वीडियो-कॉन्फ्रें¨सग के माध्यम से की जा रही है। इस दौरान आमतौर पर न्यायमूर्तियों के आवास पर ही बेंच मामलों की सुनवाई करती है और अधिवक्ता अपने आवास या फिर कार्यालय से वीडियो कॉन्फ्रें¨सग के माध्यम से सुनवाई में शामिल होते हैं।
जेएनयू प्रशासन ने विद्यार्थियों को दी अपने घर जाने की सलाह
वहीं, जेएनयू प्रशासन ने सोमवार को छात्रों को अपने घर लौटने की सलाह दी है। जेएनयू के छात्र डीन प्रो. सुधीर प्रताप सिंह ने अधिसूचना जारी करते हुए छात्रों से कहा है कि वे विश्वविद्यालय में 25 जून व उसके बाद अपने घरों से वापस आएं। तब तक सभी प्रकार की अकादमिक गतिविधियां बंद रहेंगी। उन्होंने कहा है 16 और 19 मार्च को जेएनयू ने छात्रों से कोविड-19 महामारी के मद्देनजर उन्हें उनके घर लौटने के लिए कहा था। तब कई छात्रों ने यह बात कही थी कि सार्वजनिक परिवहन की गैर मौजूदगी के कारण वे घर नहीं जा सकते हैं। इसलिए वे छात्रावास में ही रहेंगे।
वहीं जेएनयू प्रशासन की इस अधिसूचना का छात्र संघ ने विरोध किया है। छात्र संघ ने आपत्ति जताते हुए कहा कि अब छात्रों का अपने घरों में जाना उचित नहीं है। वे परिवहन सेवा का इस्तेमाल कर घर जाएंगे तो उनमें भी संक्रमण होने का खतरा रहेगा। ऐसे में छात्रों को छात्रावास में ही रहने दिया जाए।