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कोरोना से ठीक हो चुके लोग दें ध्यान, शुगर के नियंत्रण से ब्लैक फंगल से बचाव संभव

Mucormycosis News Update डॉक्टरों का कहना है कि यदि मरीज कोरोना वायरस संक्रमण से ठीक भी हो जाए लेकिन यदि शुगर नियंत्रित नहीं है तो आगे चलकर म्यूकरमाइकोसिस का संक्रमण हो सकता है। ऐसे शुगर नियंत्रित करें और समय-समय पर जांच कराएं।

By Jp YadavEdited By: Published: Sat, 22 May 2021 08:20 AM (IST)Updated: Sat, 22 May 2021 09:04 AM (IST)
कोरोना से ठीक हो चुके लोग दें ध्यान, शुगर के नियंत्रण से ब्लैक फंगल से बचाव संभव
कोरोना से ठीक हो चुके लोग दें ध्यान, शुगर के नियंत्रण से म्यूकरमाइकोसिस से बचाव संभव

नई दिल्ली [रणविजय सिंह]। मधमुेह की बीमारी कोरोना वायरस संक्रमित मरीजों के लिए घातक रहा है। इस बीच अब यह भी देखा जा रहा है कि स्टेरॉयड के अधिक इस्तेमाल के कारण कोराना के ऐसे मरीजों में भी शुगर की मात्रा बढ़ जाती है, जिन्हें पहले से मधुमेह की बीमारी नहीं है। इस वजह से यदि शुगर की जांच न हो तो इससे कोरोना की बीमारी गंभीर हो सकती है। यदि मरीज कोरोना से ठीक भी हो जाए, लेकिन यदि शुगर नियंत्रित नहीं है तो आगे चलकर म्यूकरमाइकोसिस का संक्रमण हो सकता है। इस वजह से दिल्ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान के इंडोक्रिनोलॉजी विभाग ने कोरोना के मरीजों में मधुमेह के इलाज और जांच के लिए नया प्रोटोकॉल जारी किया है। इसके दिशा निर्देश के मुताबिक कोरोना के मरीजों को स्टेरॉयड देने पर शुगर की भी जांच जरूर होनी चाहिए। शुगर को नियंत्रित कर म्यूकरमाइकोसिस के संक्रमण से भी बचा जा सकता है।

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संक्रमण के पहले सप्ताह में स्टेरॉयड का इस्तेमाल नहीं

इस बाबत इंडोक्रिनालॉजी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. निखिल टंडन ने कहा कि कोरोना, शुगर व स्टेरॉयड का अधिक इस्तेमाल तीनों एक साथ हो तो म्यूकरमाइकोसिस की संभावना बढ़ जाती है। कोरोना की दूसरी लहर में स्टेरॉयड का इस्तेमाल ज्यादा हुआ है। कुछ मरीजों में स्टेरॉयड देना जरूरी भी है। लेकिन इसके लिए दिशा निर्देश स्पष्ट है कि संक्रमण होने के पहले सप्ताह में स्टेरॉयड का इस्तेमाल नहीं करना है। कब कितनी डोज दें यह भी बताया गया है। लेकिन मनमाने ढंग से इस्तेमाल से समस्या बढ़ी है।

शुगर की नियमित जांच जरूरी

किसी को पहले से शुगर नहीं भी हो तो भी स्टेरॉयड के कारण शुगर की मात्रा बढ़ सकती है। कोरोना के मरीजों में यह समस्या देखी भी जा रही है। इसलिए प्रोटोकॉल में यह शामिल किया गया है कि यदि अस्पताल में भर्ती मरीज की पहले दिन जांच में शुगर सामान्य है और तीन दिन बाद स्टेरॉयड दी जाती है तो शुगर की मात्रा कभी भी बढ़ सकती है, इसलिए शुगर की नियमित जांच जरूरी है।

उन्होंने कहा कि स्टेरॉयड के कारण शुगर बढ़ने पर उसका इलाज मुश्किल हो जाता है, इसलिए उसके इलाज के तरीके भी बताए गए हैं। अनियंत्रित मधुमेह की बीमारी म्यूकरमाइकोसिस का कारण बन रहा है। फंगल संक्रमण से पीड़ित 99 फीसद मरीजों में यह संक्रमण तब होता है जब शरीर की प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है।

यही वजह है कि अनियंत्रित मधुमेह के मरीजों में इस तरह का संक्रमण अधिक होता है। इसलिए शुगर नियंत्रित रखने की जरूरत है। समस्या यह भी है कि देश में मधुमेह से पीड़ित करीब 50 फीसद लोगों को इस बीमारी के बारे में मालूम नहीं होता। उपर से स्टेरॉयड का इस्तेमाल समस्या बढ़ा रही है।


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