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मन की शांति के लिए हम ऐसे काम करें जो हमारे प्राण में ऊर्जा का संचार करें

जब स्थितियां बदल रही होती हैं तो अपने मानसिक और शारीरिक संतुलन को बनाए रखना बेहद जरूरी हो जाता है। वर्तमान दौर हमसे इसी संतुलन की मांग कर रहा है जिन पर हम आसानी से चल सकते हैं बस जरूरत है तो उन्‍हें व्‍यवहार में लाने की।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Thu, 10 Jun 2021 12:31 PM (IST)Updated: Thu, 10 Jun 2021 12:44 PM (IST)
मन की शांति के लिए हम ऐसे काम करें जो हमारे प्राण में ऊर्जा का संचार करें
हम श्‍वास के साथ ताजा हवा और प्रकृति की सकारात्‍मक ऊर्जा अपने भीतर लेते हैं

यशा माथुर। हम श्‍वास के लिए काम करें। यह दुनिया में सबसे महत्‍वपूर्ण है। कुछ सेकंड हमें श्‍वास न मिले तो हमारा जीवन ही समाप्‍त हो जाएगा। आप भोजन न लें, पानी न लें तो भी कुछ समय तक जीवित रह सकते हैं लेकिन अगर आप श्‍वास न लें तो आप कैसे जीवित रह पाएंगे। यह यूनिवर्सल एनर्जी हैं जिसे प्राण बोलते हैं। लेकिन इस महत्‍वपूर्ण श्‍वास पर किसी का ध्‍यान नहीं है। हमें इस पर पूरा ध्‍यान देना चाहिए।

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हम जब ध्‍यान लगाते हैं तो हम श्‍वास के साथ ताजा हवा और प्रकृति की सकारात्‍मक ऊर्जा अपने भीतर लेते हैं और बासी अशुद्ध हवा बाहर निकालते हैं। यह कोई भी कर सकता है। प्राण, आत्‍मा और शरीर बहुत अलग हैं। प्राण भोजन लेता है तो उसे शक्ति मिलती है और वह पूरे शरीर को ऊर्जा देता है। तो इस काम के लिए हमें नियमित रूप से आधा घंटा निकालना चाहिए। यही श्‍वास हमें तबीयत खराब होने का संकेत भी देता है। श्‍वास लें और महसूस करें कि आप ऊर्जा से भरी वायु अंदर ले रहे हैं और श्‍वास छोड़ें तो सोचें अशुद्ध वायु बाहर जा रही है।

ध्‍वनि सुकून दे सकती है: मोटिवेशनल स्‍पीकर, स्‍टोरी टेलर एवं फिल्‍ममेकर सुधांशु राय ने बताया कि पूरे विश्‍व का सृजन ध्‍वनि से हुआ है। ध्‍वनि का बहुत महत्‍व है। जब कभी आप बादल की गर्जना, पानी की आवाज, पीपल के पेड़ के हिलने का राग या बारिश की आवाज सुनेंगे तो ये ध्‍वनियां आपको प्रकृति के समीप ले जाएंगी और सुकून देंगी। आप जब तनाव में होते हैं तो अच्‍छी ध्‍वानि सुनें। दिन में आधा घंटा सुकून देने वाली ध्‍वानि सुनें, फिर चाहे वह प्रकृति का राग हो या अच्‍छा म्‍यूजिक या सितार जैसे वाद्य यत्रों की ध्‍वानि। आप साउंड थेरेपी जरूर लें। यह आपको प्रेरित करेगी। आपके भीतर ऊर्जा का संचार करेगी। इसलिए शाम को आंगन या बालकनी में बैठकर आप चाहे जैसा म्‍यूजिक जरूर सुनें। हम स्‍टोरी टेलिंग का प्रयोग कर रहे हैं अगर आप चाय के साथ कान में लगाकर कोई कहानी सुनें तो वह आपको दूसरी दुनिया में ले जाएगी। टीवी देखते समय हम विजुअल के सामने ही रहते हैं लेकिन जब कहानी सुनते हैं तो हमारा मन कल्‍पना के घोड़े उड़ाने लगता है। आज तक जितने भी आविष्‍कार हुए है वे कल्‍पना से ही हुए हैं। बच्‍चों को कहानियां सुनाना बेहद जरूरी है उससे मानसिक स्थिति और प्रतिभा में सुधार होगा। काम तो पूरी जिंदगी करना है लेकिन इनके लिए भी समय निकालना होगा।

जैसा भोजन, वैसी प्रकृति: स्‍वस्‍थ जीवनशैली के लिए भोजन का चुनाव भी महत्‍वपूर्ण है। क्‍योंकि आप जो भी भोजन खाएंगे उसकी ऊर्जा अपने भीतर समाहित कर लेंगे। हरी सब्‍जी खाने के लिए क्‍यों बोला जाता है क्‍योंकि इनमें प्रकृति की ऊर्जा है। सलाद खाने को क्‍यों कहा जाता है क्‍योंकि यह प्राकृतिक वस्‍तु है। आप प्राकृतिक तरीके से भोजन खाएं। जैसा खाना आप खा रहे हैं वह वैसी ही ऊर्जा आपको देगा। कहते हैं न ‘जैसी संगति में रहते हैं और जैसा खाना खाते हैं वैसे ही बन जाते हैं। मेरे पिताजी ने पूरे एक साल तक भीगा हुआ चना खाया और ऊर्जा से भरे रहे। आप जंकफूड से दूर रहें। यह शरीर को सुस्‍त कर देता है। आपमें आलस्‍य ले आता है। यह आपके शरीर को ठीक तरीके से काम नहीं करने देगा। शरीर भी कार की तरह ही है। जिस गुणवत्‍ता का पेट्रोल और रख-रखाव आप अपनी कार का करेंगे वह उतनी ही बेहतर और लंबे समय तक चलेगी।

शौक एकसरता को तोड़ देंगे: आप अपने शौक का चुनाव जरूर करेंअ नहीं तो आप जिंदगी भर यही कहते रहेंगे कि मैं अपने मन के काम नहीं कर पाया। नि‍न्‍यानवे प्रतिशत लोग रोजी-रोटी के लिए जरूरी काम करते हैं जबकि उनके शौक का काम उन्‍हें सुकून दे सकता है। उनके प्राण को एनर्जी दे सकता है। जीवन-यापन के लिए हम जो काम कर रहे हैं वह कभी-कभी हमें बोझ सा भी लगता है। तो अपने शौक को आप क्‍यों छोड़ रहे हैं? बाहर आने-जाने, कार्यालय का काम करने में आपको काफी वक्‍त लगता था। घर से काम करने वाले इस दौर में तो आपके पास बहुत समय है। मेरे नजदीकी लोगों ने इन दिनों अपने शौक विकसित किए है। मेरी पत्‍नी ने सितार सीखा और अब वे परिपक्‍व हो गई हैं। शौक आपके जीवन में आई एकरसता को तोड़ता है। मैक्‍सवेल का लॉ सेल्‍फ रियलाइजेशन का लॉ है यानी जब आप अपनी मूलभूत आवश्‍यकताएं पूरी करते-करते ऊपर की ओर जाते हैं तो आपमें खुद को पहचानने का भाव विकसित होता है। आपके जीवन में शौक का एक हिस्‍सा जरूर होना चाहिए। कोई पेड़-पौधेों को मित्र बनाकर सुख हासिल करता है। कुछ लोग चित्रकला में खो जाते हैं। कुछ लोग इंटरनेट मीडिया पर अपने भाव लिखते हैं। बहुत से लोगों ने तो इस दौरान पॉडकास्‍ट शुरू कर दियाक जिन्‍हें हम सुन सकते हैं। शौक भी मानसिक संतुलन में आपकी मदद करते हैं। अगर आप घर से काम कर रहे हैं तो आपको अपने लिए समय मिल रहा होगा। ऐसे में आप अपने शौक अवश्‍य पूरे करें।

बचपन से सिखाएं संतुलन: समय की मांग है कि हमें संतुलन बनाकर रखना है। भारतीय संस्‍कृति में हमारे ऋषि- मुनि, आचार्य सबसे पहले मानसिक शांति की ही बात किया करते थे और उसके बाद ही कोई और बात आती थी। धीरे-धीरे मानसिक शाति की ये बातें कहीं गुम हो गईं जिसके कारण कठिन परिस्थितियों में हम बेचैन रहने लगे। कुछ साल पहले जब हम छोटे थे तो हमें परिवार द्वारा 'वर्क-लाइफ बैलेंस' का ज्ञान पारंपरिक रूप से नहीं दिया गया। हमारे माता-पिता हमें कहते कि पढ़ लो, पढ़ लो। उन्‍होंने स्‍वास्‍थ्‍य, व्‍यायाम, मानसिक संतुलन के बारे में कभी आदेश नहीं दिए। यह शिक्षा काफी पिछड़ी हुई थी क्‍योंकि वे केवल मूलभूत चीजों की ही फिक्र करते थे। अब धीरे-धीरे जागरूकता बढ़ी है। इसके लिए हमेशा काम करते करना होगा। मानसिक और शारीरिक संतुलन बेहद आवश्‍यक है। अब प्रश्‍न है कि इसे कैसे बनाया जाए? अगर माता-पिता अपने बच्‍चे की दिनचर्या में मानसिक प्रक्रिया और शारीरिक क्रियाओं के लिए एक समय निश्चित करें, यह तय करें कि बच्‍चे कब ध्‍यान लगाएंगे, कब योग करेंगे। अभिभावक बच्‍चों के लिए खाने, टीवी देखने का समय तय कर देते हैं लेकिन मानसिक शांति के उपक्रम करने के लिए बच्‍चों को कहा ही नहीं जाता। शारीरिक और मानसिक रूप से मजबूत होना दो अलग बातें हैं। अगर आप जिम जाते हैं तो शारीरिक रूप से तंदुरुस्‍त जरूर रहेंगे लेकिन मानसिक स्थिति पर प्रभाव कम ही होगा। मानसिक शांति के लिए अलग से प्रयत्‍न करने होंगे और बचपन से ही आदतें डालनी होंगी।

खुद को करना होगा प्रेरित: ऊपर बताई हुई बातों पर अमल करेंगे तो आपको बहुत ऊर्जा मिलेगी। आप खुद में बदलाव महसूस करेंगे। आप देखते होंगे कि कई लोगों का चेहरा चमकता हुआ दिखाई देता है। एक तो वे एनर्जी से भरपूर भोजन लेते हैं और शारीरिक स्‍वास्‍थ्‍य के साथ मानसिक शांति के लिए काम करते हैं। वे अपने शौक भी पूरे करते हैं। अगर आप सफल व्‍यक्तियों का ब्‍यौरा देखें तो पाएंगे कि नब्‍बे प्रतिशत लोग किसी न किसी हॉबी के लिए समय निकालते हैं। शरीर, प्राण और आत्‍मा तीनों अलग है। जब हम खुद को प्रेरित कर सकेंगे तभी कुछ कर पाएंगे। प्राण को अच्‍छा भोजन देंगे तो वह प्राण हमें शक्ति देगा। शरीर को हमें लचीला बनाना होगा और व्‍याययाम करना होगा। आत्‍मा को तृप्‍त रखना होगा। अगर आप अपने लिए दिन भर में चालीस मिनट निकाल लेंगे तो आपके जीवन में संतुलन व शांति बनी रहेगी। आपने कभी महसूस किया हो तो कई बार हमारे हाथ से चिंगारी निकलती है। हमारे अंदर ऊर्जा का संचार पहले से है जिसे हम 'काइनेटिक एनर्जी' कहते हैं। बस हमें इसे व्‍यवस्‍थित करना है।

मन से न हारें: साइकी हीलर डा. काजल मुगरई ने बताया कि आज के समय में यह बहुत महत्‍वपूर्ण है कि हम मानसिक रूप से मजबूत बन रहें। अगर हम मानसिक रूप से मजबूत हैं तो किसी भी परिस्थिति का मुकाबला कर सकते हैं। हमारा अवचेतन मन कई चीजों को नियंत्रित करता है। अगर हम मन से हार मान लेते हैं तो सब कुछ हार जाते हैं। जब हम मानसिक रूप से कमजोर हो जाते हैं तो शारीरिक व भावनात्‍मक मुश्किलें पैदा हो जाती हैं। ध्‍यान हमें मानसिक रूप से मजबूत करेगा। शारीरिक सक्रियता से मन शांत होगा और हम बेहतर तरीके से सोच पाएंगे। दिमाग ठीक तरह से काम करेगा। अपने आपको नकारात्‍मक चीजों से दूर रखें। परिवार के साथ अच्‍छा समय बिताएं। हम इस समय का अधिकतम फायदा उठा सकते हैं। बाहर की नकारात्‍मकता को अपने जीवन में न आने दें।

शक्ति देगी साधना-आराधना: फाउंडर-नाद फाउंडेशन की मोटिवेशनल स्‍पीकर निशि सिंह ने बताया कि बहुत मुश्किल दौर है। जरूरतमंद की स‍हायता आत्‍म-संतोष देगी। अपने हुनर पर काम करें। अपनी ऊर्जा को व्‍यवस्‍थित कर लें। इसमें योग भी मददगार होगा। कोरोना की पहली लहर के बाद हुए अनलाक में लोग बहुत लापरवाह हो गए थे, जिससे कोविड और भयावह हुआ। इस बार अनलाक शुरू हो जाने पर भी हमें सतर्कता बरतनी होगी। कोरोना नियमों का पालन करना होगा। आराधना, साधना करनी होगी।


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