Delhi Politics: दिल्ली में डूबती कांग्रेस को अब झुग्गियों का सहारा
48000 झुग्गियों को तोड़ जाने को लेकर सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दायर करने की घोषणा पार्टी कुछ दिन पहले ही कर चुकी है।
नई दिल्ली [संजीव गुप्ता]। कांग्रेस की मुद्दाविहीन दिल्ली इकाई ने अब झुग्गियों को सहारा बना लिया है। सुप्रीम कोर्ट ने रेलवे लाइन के किनारे बसीं 48 हजार झुग्गियां हटाने का आदेश क्या दिया, प्रदेश कांग्रेस को भी मानो नया मुद्दा मिल गया। अब पार्टी ने इसी पर सियासत शुरू कर दी है। प्रदेश अध्यक्ष अनिल चौधरी स्वयं झुग्गी बस्तियों में जाकर इनमें रहने वालों से बात कर रहे हैं। इसके साथ ही उन्होंने सभी जिलाध्यक्षों को भी इस आशय का निर्देश जारी कर दिया है कि वे कुछ प्रमुख लोगों के साथ झुग्गी बस्तियों में जाएं और प्रभावितों के लिए आवाज उठाएं। सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दायर करने की घोषणा पार्टी कुछ दिन पहले ही कर चुकी है। पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सुभाष चोपड़ा भी इस मुद्दे पर सक्रिय होते दिख रहे हैं। राजनीतिक जानकारों की मानें तो झुग्गी बस्तियों के नाम पर 'बेरोजगार' कांग्रेस को तीन माह का अस्थायी 'रोजगार' तो मिल ही गया।
चिट्ठी पर घमासान बना जी का जंजाल
कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को लिखी गई 23 नेताओं की चिट्ठी का घमासान पार्टी में अभी भी जी का जंजाल बना हुआ है। चिट्ठी के समर्थन और विरोध में तो नेता बंटे ही हैं, अब इन नेताओं के सियासी भविष्य को लेकर पार्टी में दोतरफा चर्चा भी शुरू हो गई है। पार्टी के कुछ वरिष्ठ नेताओं का मानना है कि इनसे बात की जानी चाहिए। चिट्ठी पर हस्ताक्षर करने वाले दिल्ली के चारों नेताओं से बातचीत की भी गई है। जबकि पार्टी नेताओं का एक वर्ग इन पर कार्रवाई कराने की चाहत रखता है। ऐसी चाहत रखने वालों के इशारे पर ही दो-तीन दिन पहले दिल्ली, नोएडा, गाजियाबाद में कुछ ऐसे पोस्टर देखे गए जिनमें चिट्ठी लिखने वाले सभी नेताओं पर सख्त कार्रवाई करने की मांग की गई है। कुल मिलाकर इस चिट्ठी ने पार्टी की गुटबाजी औैर कलह एक बार फिर सड़क पर लाकर रख दी है।
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