एम्स में चेकअप कराने के बाद दोबारा तिहाड़ पहुंचे पी. चिदंबरम
एम्स में चेकअप कराने के बाद दोबारा से पूर्व केंद्रीय वित्त मंत्री पी चिदंबरम को तिहाड़ भेज दिया गया है। बीती रात अचानक से उनके पेट मे दर्द हुआ था।
नई दिल्ली, जेएनएन। आइएनएक्स मीडिया मामले में न्यायिक हिरासत में चल रहे पूर्व केंद्रीय वित्त मंत्री पी चिदंबरम को शनिवार को तबीयत बिगड़ने की बाद एम्स में चेकअप कराने के लिए भेजा गया था, इसके बाद दोबारा से उन्हें तिहाड़ भेज दिया गया है। बीती रात अचानक से उनके पेट मे दर्द हुआ था।
दोपहर करीब ढाई बजे उन्हें तिहाड़ जेल से एम्स लाया गया। पहले इमरजेंसी में डॉक्टरों ने उन्हें देखा, जिसके बाद प्राइवेट वार्ड के रूम नंबर 13 में उनका इलाज चल रहा है। जेल प्रशासन के अनुसार दोपहर में खाना खाने के बाद उन्हें पेट दर्द की शिकायत हुई।
पहले से हैं कई बीमारियां
अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के अनुसार उनकी कई जांचें की गई हैं। गैस्ट्रोलॉजी विभाग के डॉक्टर उनका इलाज कर रहे हैं। चिदंरबम को पहले से कई बीमारियां हैं। कुछ दिनों में उनका वजन भी कम हो गया है। इस वजह से अदालत ने जरूरत पड़ने पर एम्स, आरएमएल सहित तीन अस्पतालों में से कहीं एक जगह उनका इलाज कराने का तिहाड़ जेल प्रशासन को निर्देश दिया था। तिहाड़ जेल में दोपहर में उन्हें घर का खाना खाने की छूट है।
घर का खाना खाने की इजाजत
पी चिदंबरम ने इससे पहले कोर्ट से घर का बना खाने की मांग की थी जिसे कोर्ट ने स्वीकार कर लिया था। उन्होंने कहा था कि जेल का खाना खाने से उनका वजन कम हो रहा है। उनकी तबियत ठीक नहीं है। इसलिए उन्हें घर का बना खाने की इजाजत दी जाए। हालांकि कोर्ट ने उन्हें दिन में सिर्फ एक बार घर का बना खाने की इजाजत दी है।
पी चिदंबरम आइएनएक्स मीडिया मामले में हैं आरोपित
दिल्ली की कोर्ट ने उनकी न्यायिक हिरासत को 17 अक्टूबर तक के लिए बढ़ा दी है। बता दें कि INX मीडिया केस मामले में घोटाले के आरोप में पूर्व मंत्री चिदंबरम को सीबीआइ ने 21 अगस्त को उनके दिल्ली वाले आवास से गिरफ्तार किया था। कुछ दिनों तक रिमांड पर रखने के बाद चिदंबरम को न्यायिक हिरासत में तिहाड़ जेल जाना पड़ा। इससे पहले चिदंबरम की नियमित जमानत याचिका हाई कोर्ट से खारिज हो चुकी है।
यह है इन पर आरोप
पी चिदंबरम पर आरोप है कि कांग्रेस के सत्ता में रहते हुए जब वह वित्त मंत्री थे तब उन्होंने अपने पद का दुरपयोग किया। यह बात वर्ष 2007 की है। उन पर आरोप है कि उन्होंने रिश्वत लेकर आइएनएक्स मीडिया को करोड़ों रुपए लेने के लिए विदेशी निवेश प्रोत्साहन बोर्ड से मंजूरी दिलाई थी। इस बात का खुलासा होने के बाद मामले में इडी और सीबीआइ जैसी कई एजेंसियां जांच कर रही हैं। पिछले साल ही सीबीआइ ने एफआइआर दर्ज की थी।