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मनजिंदर सिंह सिरसा के इस्तीफे के बाद DSGMC में असमंजस की स्थिति, पदाधिकारी ले रहे कानूनी सलाह

DSGMC News कार्यकारी अध्यक्ष मनजिंदर सिंह सिरसा के इस्तीफे के बाद दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (डीएसजीएमसी) के सामने जरूरी कामकाज को आगे बढ़ाने का संकट उत्पन्न हो गया है। डीएसजीएमसी के किसी काम की मंजूरी के लिए दस्तावेज पर अध्यक्ष और महासचिव का हस्ताक्षर होता है।

By Mangal YadavEdited By: Published: Thu, 02 Dec 2021 07:32 PM (IST)Updated: Thu, 02 Dec 2021 07:42 PM (IST)
मनजिंदर सिंह सिरसा के इस्तीफे के बाद DSGMC में असमंजस की स्थिति, पदाधिकारी ले रहे कानूनी सलाह
मनजिंदर सिंह सिरसा के इस्तीफे के बाद डीएसजीएमसी में असमंजस की स्थिति

नई दिल्ली [संतोष कुमार सिंह]। DSGMC News: कार्यकारी अध्यक्ष मनजिंदर सिंह सिरसा के इस्तीफे के बाद दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (डीएसजीएमसी) के सामने जरूरी कामकाज को आगे बढ़ाने का संकट उत्पन्न हो गया है। डीएसजीएमसी के किसी काम की मंजूरी के लिए दस्तावेज पर अध्यक्ष और महासचिव का हस्ताक्षर होता है। हालांकि, सिरसा का इस्तीफा अभी मंजूर नहीं हुआ है क्योंकि इसके लिए जनरल हाउस की बैठक बुलानी होगी। बावजूद इसके उन्होंने कार्यालय आना बंद कर दिया है।

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इस संकट से बाहर निकलने के लिए डीएसजीएमसी के पदाधिकारी कानूनी सलाह ले रहे हैं। साथ ही उन्होंने गुरुद्वारा चुनाव निदेशालय से अविलंब नई कार्यकारिणी गठित करने की मांग की है।

डीएसजीएमसी के चुनाव के तीन माह बाद भी नई कार्यकारिणी का गठन नहीं हुआ है। इसका कारण सिरसा की सदस्यता का मामला हाई कोर्ट में लंबित होना है। नौ दिसंबर को इस मामले की अगली सुनवाई है। अदालत का फैसला आने या फिर सिरसा द्वारा मामला वापस लेने के बाद ही कार्यकारिणी का गठन हो सकता है।

इस बारे में गुरुद्वारा मामले के जानकार इंदरमोहन सिंह का कहना है कि कार्यकारी उपाध्यक्ष कुलवंत सिंह बाठ कार्यकारी अध्यक्ष की जिम्मेदारी संभाल सकते हैं। उन्होंने कहा कि नया जनरल हाउस अभी नहीं बना है। इस स्थिति में कार्यकारी अध्यक्ष के इस्तीफे के लिए जनरल हाउस की बैठक में सिर्फ वर्ष 2017 के चुने व नामित सदस्य ही शामिल हो सकते हैं। उम्मीद है कि कार्यकारी अध्यक्ष इस्तीफा देने के बाद अब अपनी सदस्यता को लेकर अदालत में दायर याचिका वापस ले लेंगे।

शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी ने उन्हें अपना सदस्य मनोनित किया था, लेकिन पंजाबी ज्ञान की परीक्षा में असफल होने की बात कहकर गुरुद्वारा चुनाव निदेशक उन्हें अयोग्य घोषित कर दिया था। निदेशक के फैसले को उन्होंने अदालत में चुनौती दी है जिस वजह से नई कार्यकारिणी गठित नहीं हो सकी है।

वहीं, शिरोमणि अकाली दल (शिअद बादल) के अध्यक्ष व डीएसजीएमसी के कार्यकारी महासचिव हरमीत सिंह कालका ने कहा कि नियम के अनुसार कार्यकारी उपाध्यक्ष को कार्यकारी अध्यक्ष की जिम्मेदारी नहीं मिल सकती है। इसके लिए जरूरी है कि अध्यक्ष अपनी शक्ति के इस्तेमाल के लिए उसे नामित करे। उन्होंने कहा कि डीएसजीएमसी का सामान्य कामकाज बाधित न हो इसके लिए कानूनी सलाह ली जा रही है।

इस संबंध में बाठ का कहना है कि यह गंभीर मामला है। कमेटी का काम बाधित नहीं होना चाहिए। सदस्यों की राय और नियम के अनुसार फैसला लिया जाना चाहिए। वह गुरु घर की सेवा में किसी तरह का विवाद नहीं चाहिए।


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