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विदेशी ई-कामर्स कंपनियों के खिलाफ आंदोलन में नामी कंपनियों और संगठनों की भी मदद लेगा कंफेडरेशन आफ आल इंडिया ट्रेडर्स

भारत का व्यापार भारत में ही रहना चाहिए और उसका लाभ भी देश के उपभोक्ताओं व्यापारियों व उद्योग को मिलना चाहिए। इस दृष्टि से सम्मेलन ने यह निर्णय लिया है कि यह एक बड़ी लड़ाई है और देश के सभी वर्गों को अब एक मंच पर लाना जरूरी है।

By Vinay Kumar TiwariEdited By: Published: Thu, 09 Sep 2021 06:59 PM (IST)Updated: Thu, 09 Sep 2021 06:59 PM (IST)
विदेशी ई-कामर्स कंपनियों के खिलाफ आंदोलन में नामी कंपनियों और संगठनों की भी मदद लेगा कंफेडरेशन आफ आल इंडिया ट्रेडर्स
देश के सभी वर्गों को अब एक मंच पर लाना जरूरी है।

नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। विदेशी ई-कामर्स कंपनियों के खिलाफ आंदोलन में कंफेडरेशन आफ आल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) देश की नामी कंपनियों और संगठनों की भी मदद लेगा। उसने टाटा, गोदरेज, रिलायंस, हिंदुस्तान लीवर, पतंजलि व आदित्य बिरला ग्रुप समेत अन्य बड़ी कॉर्पोरेट कंपनियों के साथ मिलकर साझा मंच बनाने की तैयारी की है। इसी तरह ट्रांसपोर्ट वेलफेयर एसोसिएशन, नेशनल हाकर्स फेडरेशन, अखिल भारतीय किसान मंच, लघु उद्योग भारती, स्वदेशी जागरण मंच, राष्ट्रीय एमएसएमई फोरम व अखिल भारतीय ग्राहक पंचायत समेत अन्य संगठन भी जोड़े जाएंगे।

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दीनदयाल उपाध्याय मार्ग स्थित हिंदी भवन में आयाेजित कैट के व्यापारियों के सम्मेलन में यह निर्णय लिया गया। इस संबंध में कैट के राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीण खंडेलवाल ने कहा कि भारत का व्यापार भारत में ही रहना चाहिए और उसका लाभ भी देश के उपभोक्ताओं, व्यापारियों व उद्योग को मिलना चाहिए। इस दृष्टि से सम्मेलन ने यह निर्णय लिया है कि यह एक बड़ी लड़ाई है और देश के सभी वर्गों को अब एक मंच पर लाना जरूरी है। उन्होंने बताया कि यह अभियान एक माह तक चलेगा।

15 सितंबर से इस अभियान का आरंभ देशभर के एक हजार से अधिक स्थानों पर धरना आयोजित कर हाेगा। वहीं, 23 सितंबर को सभी जिले के जिलाधिकारी को प्रधानमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपा जाएगा। इसके अलावा 30 सितंबर तक प्रत्येक राज्य के मुख्यमंत्री, सांसदों व विधायकों को ज्ञापन दिया जाएगा। इसके साथ ही 10 अक्टूबर से 14 अक्टूबर के बीच विभिन्न राज्यों में विदेशी कंपनियों के पुतलों को रावण का रूप देकर जलाया जाएगा। खंडेलवाल ने बताया की सम्मेलन में यह भी निर्णय लिया गया है कि सभी राजनैतिक दलों को पत्र भेजकर उनसे ई-कामर्स पर उनका नजरिया पूछा जाए।


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