Move to Jagran APP

वैज्ञानिक शोध के शतकवीर चिंतामणि नागेश रामचंद्र राव, जानिए इनके बारे में जिस पर देश को है गर्व

प्रोफेसर चिंतामणि नागेश रामचंद्र राव जाने-माने विज्ञानी सीवी रमन और पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम के बाद तीसरे विज्ञानी हैं जिन्हें भारत रत्न से सम्मानित किया गया। आज उनके जन्म दिवस पर जानते हैं विज्ञान के क्षेत्र में देश को स्वावलंबन की राह पर आगे बढ़ाने में उनके योगदान।

By Prateek KumarEdited By: Published: Thu, 30 Jun 2022 04:01 PM (IST)Updated: Thu, 30 Jun 2022 04:01 PM (IST)
वैज्ञानिक शोध के शतकवीर चिंतामणि नागेश रामचंद्र राव, जानिए इनके बारे में जिस पर देश को है गर्व
वैज्ञानिक शोध के शतकवीर चिंतामणि नागेश रामचंद्र राव

नई दिल्ली [संतोष]। देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से सम्मानित प्रोफेसर सीएनआर राव को दुनिया ‘सालिड स्टेट एंड मैटीरियल्स केमिस्ट्री’ के क्षेत्र में उनके कार्यों के लिए विशेष तौर पर जानती है। प्रो. राव के करीब 1400 से अधिक शोध-पत्र और 45 से अधिक पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं। विश्व की अधिकतर विज्ञान अकादमियां उन्हें सदस्यता और फेलोशिप से सम्मानित कर चुकी हैं।

loksabha election banner

प्रो. चिंतामणि नागेश रामचंद्र राव का जन्म 30 जून, 1934 को बेंगलुरु में हुआ था। बचपन से ही उनकी विज्ञान में गहरी रुचि थी। 1951 में मैसूर विश्वविद्यालय से स्नातक करने के बाद बीएचयू से मास्टर डिग्री ली। अमेरिकी पोर्डू यूनिवर्सिटी से पीएचडी करने के बाद 1961 में मैसूर विश्वविद्यालय से डीएससी की डिग्री हासिल की। उन्होंने 1963 में आइआइटी कानपुर के रसायन विज्ञान विभाग में फैकल्टी के तौर पर जुड़कर अपने करियर की शुरुआत की। ट्रांजीशन मेटल आक्साइड सिस्टम, हाइब्रिड मैटीरियल, नैनो मैटीरियल, नैनोट्यूब और ग्राफीन समेत कई क्षेत्रों में उनका योगदान महत्वपूर्ण रहा है।

प्रो. राव सालिड स्टेट और मैटीरियल केमिस्ट्री में अपनी विशेषज्ञता की वजह से जाने जाते हैं। उन्होंने पदार्थ के गुणों और उनकी आणविक संरचना के बीच बुनियादी समझ विकसित करने में अहम भूमिका निभाई। वे पहले भारतीय हैं, जो शोध कार्य के क्षेत्र में सौ एच-इंडेक्स में पहुंचे। एच-इंडेक्स किसी विज्ञानी के प्रकाशित शोध पत्रों की सर्वाधिक संख्या है, जिनमें से लगभग प्रत्येक का कई बार संदर्भ के रूप में उल्लेख किया गया हो।

प्रो. राव बेंगलुरु स्थित जवाहरलाल नेहरू सेंटर फार एडवांस साइंटिफिक रिसर्च के संस्थापक भी रहे हैं। वे 1984-1994 के बीच इंडियन इंस्टीट्यूट आफ साइंस के निदेशक रहे। वे कई राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय विज्ञान एसोसिएशनों के सदस्य हैं। इतना ही नहीं, वे पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की वैज्ञानिक सलाहकार परिषद के भी सदस्य थे। इसके बाद वे प्रधानमंत्री राजीव गांधी, एचडी देवगौड़ा और आइके गुजराल के कार्यकाल में परिषद के अध्यक्ष रहे। उन्हें 1974 में पद्मश्री और 1985 में पद्मविभूषण से सम्मानित किया गया। 2013 में उन्हें देश का सर्वोच्च सम्मान ‘भारत रत्न’ मिला। 2020 में उन्हें ऊर्जा क्षेत्र का नोबेल पुरस्कार कहे जाने वाले एनी अवार्ड से भी सम्मानित किया गया, जो अक्षय ऊर्जा स्रोतों और ऊर्जा भंडारण के क्षेत्र में शोध के लिए दिया जाता है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.