घाटों पर नहीं टबों में दिखेगी छठ की छंटा, 300 से लेकर 2000 रुपये तक मेें मिल रहे हैं बाथ टब
ऐसा पहली बार होगा जब घाटों पर नहीं बाथ टबों में छत की छंटा देखने को मिलेगी। इसके लिए जहां बाजार में कई आकार के टब उपलब्ध है। वहीं इनकी खरीदारी भी तेज हो गई है। छठ में चंद दिन शेष बचे हैं।
नेमिष हेमंत, नई दिल्ली। कोरोना संक्रमण के बढ़ते मामलों को देखते हुए इस बार सार्वजनिक स्थानों पर छठ पूजा मनाने पर मनाही है। ऐसे में यमुना घाट से लेकर तालाबों या पार्कों में छठ पूजा के आयोजन नहीं होंगे। ऐसे में घरों में ही छठ पूजा मनाने के लिए लोगों ने वैकल्पिक इंतजाम शुरू कर दिए हैं।
ऐसा पहली बार होगा जब घाटों पर नहीं बाथ टबों में छत की छंटा देखने को मिलेगी। इसके लिए जहां बाजार में कई आकार के टब उपलब्ध है। वहीं, इनकी खरीदारी भी तेज हो गई है। छठ में चंद दिन शेष बचे हैं। ऐसे में पूजा के अन्य सामानों के साथ जरूरत और जेब के अनुसार बाथ टब खरीदे जा रहे हैं। दो फुट से लेकर 12 फुट तक के प्लास्टिक के टब उपलब्ध है, जिनकी कीमत 300 रुपये से लेकर 2000 रुपये तक में है। बड़े टबों में एक साथ छह व्रतधारी महिलाएं खड़ी होकर भगवान भाष्कर का पूजन-अर्चन कर सकती है। छोटे टब बच्चों के नहलाने में प्रयोग आता है। पर कोरोना के चलते मजबूरी है तो इस बार उसमें अस्ताचलगामी व उगते सूर्य को अघ्र्य दिया जाएगा।
पूर्वांचल के लोगों में छठ पूजा का विशेष महत्व है। हर वर्ष इसे मनाने यमुना घाटों, तालाबों और पार्कों में लाखों लोग उमड़ आते हैं। घाटों की साफ-सफाई के साथ कृत्रिम घाटों में पानी भरने का काम कई दिनों पहले से शुरू हो जाता है। लेकिन इस बार ऐसा नहीं होगा, क्योंकि कोरोना संक्रमण के फैलने की आशंका को देखते हुए दिल्ली सरकार ने सार्वजनिक स्थानों पर छठ पूजा आयोजन पर प्रतिबंध लगा दिया है।
ऐसे में लोग घर की छतों पर भी इसके आयोजन की तैयारी में जुट गए हैं। पंचकुइयां रोड पर व्रत की तैयारी में जुटे कई लोग बाथ टब खरीदने पहुंच रहे हैं। यहां सड़क किनारे 12 से अधिक टब बेचने की दुकानें हैं। पूर्वी दिल्ली से पहुंचे अमित सिंह ने बताया उन्होंने घर की छत पर ही छठ पूजा की तैयारी की है। इसके लिए वह यहां से बाथ टब खरीदने आए हैं।
उन्होंने छह फुट लंबा प्लास्टिक से बना बाथ टब खरीदा है, जिसकी कीमत 1500 रुपये है। इसे हवा भरकर फुलाया जाएगा। दुकानदार मुकेश ने कहा कि अचानक टब की मांग बढ़ गई है। हालांकि, ठंड के सीजन में ऐसा नहीं होता है, लेकिन छठ के चलते लोग इसकी खरीदारी कर रहे हैं। उसने बताया कि रोजना तीन-चार टब वह बेच ले रहा है। छठ के और नजदीक आने के साथ बिक्री और बढ़ने की उम्मीद है।
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