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चौपाल पर देर रात तक रहती थी चहल-पहल, लॉकडाउन में हुआ सब सूना

गांव वाले बताते हैं कि लॉकडाउन से पहले कोई दिन ऐसा नहीं बीतता था जब चौपाल पर देर रात तक लोगों का जमावड़ा न हो।

By Prateek KumarEdited By: Published: Wed, 27 May 2020 04:02 PM (IST)Updated: Wed, 27 May 2020 04:02 PM (IST)
चौपाल पर देर रात तक रहती थी चहल-पहल, लॉकडाउन में हुआ सब सूना
चौपाल पर देर रात तक रहती थी चहल-पहल, लॉकडाउन में हुआ सब सूना

नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। लॉकडाउन ने दक्षिणी दिल्ली के गांवों वालों की जिंदगी बदल दी है। हरियाणा बॉर्डर से सटे डेरा गांव में जहां गलियों में हर वक्त चहलकदमी रहती थी, सवेरा होने से पहले ही शुरू हुई लोगों की आवाजाही रात के अंधेरे तक भी कम नहीं होती थी। आज वहां सन्नाटा रहता है। आय का जरिया खत्म होने से लोग दिन-रात इसी मंथन में लगे रहते हैं कि अब क्या करें?

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चौपाल पर देर रात तक रहती थी चहल-पहल

गांव वाले बताते हैं कि लॉकडाउन से पहले कोई दिन ऐसा नहीं बीतता था जब चौपाल पर देर रात तक लोगों का जमावड़ा न हो। सुबह से देर शाम तक बुजुर्ग चौपाल में हुक्का गुड़गुड़ाते थे और समसामयिक मुद्दों पर चर्चा करते दिख जाते थे। इसी तरह गांव के खाली पड़े बड़े-बड़े रकबे में बच्चे कंचे, गिल्ली-डंडा व क्रिकेट खेलते रहते थे।

लॉकडाउन में हुआ सब सूना

लॉकडाउन के दौरान गांव के सभी लोग घरों में ही रहते थे। आसपड़ोस में होने वाली बैठकी भी खत्म हो गई हैं। डेरा गांव में स्थानीय लोगों के अपने लिए बड़े-बड़े घरों के अलावा किरायेदारी के लिए बड़े प्लाटों में बिलिं्डग बना रखी हैं। काफी संख्या में किरायेदार यहां रहते थे। प्रतिमाह मिलने वाला किराया ही गांव के ज्यादातर लोगों की आय का सबसे बड़ा जरिया था, लेकिन दिल्ली से हर वर्ग के लोगों के अपने गृह प्रदेश चले जाने के चलते ज्यादातर सभी बिलिं्डगों के कमरे व फ्लैट खाली हो गए हैं।

लोगों ने कहा-

लॉकडाउन से पहले हर वक्त रहती थी चहल-पहल, आय का जरिया खत्म होने से मुश्किल में गांव वाले

लॉकडाउन से पहले और अब जिंदगी बिल्कुल अलग है। गांव की गलियां, चौपाल सब सूनी हो गई हैं। लोगों की आय का जरिया भी खत्म हो गया है। समझ नहीं आ रहा है कि आय के लिए क्या काम शुरू किया जाए।

नरेंद्र भाटी, स्थानीय निवासी

गांव में गली-नुक्कड़ पर हर वक्त लोग आपस में बात करते दिख जाते थे, लेकिन अब ऐसा लगता है कि वह सब गुजरे जमाने की बात है। अब तो लोग बाहर ही नहीं निकलते।

ऋषि, स्थानीय निवासी


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