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1984 Anti-Sikh Riots: सिख विरोधी दंगा के एक मामले में सज्जन कुमार के खिलाफ आरोप तय

दिल्ली की एक अदालत ने पूर्व कांग्रेस नेता सज्जन कुमार के खिलाफ 1984 के सिख विरोधी दंगा के एक मामले में आरोप तय किए हैं। सरस्वती विहार पुलिस ने सज्जन कुमार के खिलाफ हत्या समेत कई संगीन मामले में मुकदमा दर्ज किया था।

By Mangal YadavEdited By: Published: Tue, 07 Dec 2021 12:03 PM (IST)Updated: Tue, 07 Dec 2021 12:03 PM (IST)
1984 Anti-Sikh Riots: सिख विरोधी दंगा के एक मामले में सज्जन कुमार के खिलाफ आरोप तय
1984 के सिख विरोधी दंगा के एक मामले में सज्जन कुमार के खिलाफ आरोप तय

नई दिल्ली [विनीत त्रिपाठी]। सिख विरोधी दंगों के दौरान हुए दोहरे हत्याकांड में पूर्व कांग्रेस सांसद सज्जन कुमार के खिलाफ हत्या और दंगा करने के मामले में राउज एवेन्यू कोर्ट ने आरोप तय कर दिए हैं। विशेष न्यायाधीश मनोज कुमार नागपाल ने कहा कि प्रथम ²ष्टया पर्याप्त साक्ष्य व सामग्री है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि सज्जन कुमार न केवल एक भागीदार था, बल्कि एक दंगाई भीड़ का नेतृत्व भी किया था। मामले में आगे की सुनवाई 16 दिसंबर को होगी।

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पश्चिमी दिल्ली के राज नगर में एक नवंबर 1984 को एक हजार लोगों की भीड़ ने एक पिता और पुत्र को जिंदा जला दिया था। अभियोजन पक्ष ने दावा किया कि कुमार के उकसाने पर भीड़ ने दोगों को जिंदा जला दिया और उनके घर को क्षतिग्रस्त, नष्ट, लूट और जला दिया गया था। इतना ही नहीं उनके परिवार के सदस्यों और रिश्तेदारों को गंभीर रूप से घायल कर दिया था।

अदालत ने कहा कुमार के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा-147 और 148 (दंगा), 149 (गैरकानूनी सभा), 302 (हत्या), 308 (गैर इरादतन हत्या), 323 (गैर इरादतन हत्या) के तहत आरोप तय करने का मामला बनता है। हालांकि, सज्जन कुमार को सबूतों को नष्ट करने और हत्या के प्रयास के लिए आरोपमुक्त कर दिया गया। पुलिस ने मजिस्ट्रेट के समक्ष एक अंतिम रिपोर्ट पेश की थी और मामले को 1994 में अनट्रेस के रूप में भेजने का निर्देश दिया गया था क्योंकि यह माना गया था कि जांच अधिकारी द्वारा एकत्र किए गए सबूत किसी विशेष व्यक्ति के खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए पर्याप्त नहीं थे।

हालांकि, वर्ष 2015 में केंद्र सरकार द्वारा गठित किए गए विशेष जांच दल (एसआइटी) ने दोबारा मामले की जांच शुरू की थी। कुमार को छह अप्रैल 2021 को दंगों के एक अन्य मामले में तिहाड़ जेल में उम्रकैद की सजा काटते हुए गिरफ्तार किया गया था। सिख विरोधी दंगा के एक अन्य मामले में उम्रकैद की सजा सुनाई जा चुकी है। 


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