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'शूटर दादी' पर बंदरों के झुंड ने बोला हमला, जानें- क्या है ‘सांड़ की आंख’ से इनका रिश्ता

शूटर दादी जी के नाम से मशहूर विश्व की सबसे उम्रदराज 87 वर्षीय शूटर चंद्रो तोमर (87) पर जौहड़ी गांव स्थित निर्माणाधीन शूटिंग रेंज में बंदरों ने हमला कर दिया।

By JP YadavEdited By: Published: Sat, 07 Sep 2019 06:09 PM (IST)Updated: Sat, 07 Sep 2019 10:25 PM (IST)
'शूटर दादी' पर बंदरों के झुंड ने बोला हमला, जानें- क्या है ‘सांड़ की आंख’ से इनका रिश्ता
'शूटर दादी' पर बंदरों के झुंड ने बोला हमला, जानें- क्या है ‘सांड़ की आंख’ से इनका रिश्ता

नई दिल्ली, एएनआइ। 'शूटर दादी जी' के नाम से मशहूर विश्व की सबसे उम्रदराज 87 वर्षीय शूटर चंद्रो तोमर (87) पर जौहड़ी गांव स्थित निर्माणाधीन शूटिंग रेंज में बंदरों ने हमला कर दिया था। इस दौरान वह बंदरों से बचने की कोशिश करने लगीं तो कुर्सी से गिर गईं। इसके चलते उनके दाएं पैर की हड्डी टूट गई। परिजनों ने उन्हें एम्स में भर्ती कराया। दो दिन पहले शुक्रवार को उनका सफल ऑपरेशन किया गया। डॉक्टरों का कहना है कि हड्डी की सर्जरी करनी पड़ी है।

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यूपी के बागपत जिले के जौहड़ी गांव की रहने वाली शूटर दादी चंद्रो तोमर के परिवार के लोगों के मुताबिक, दादी निर्माणाधीन शूटिंग रेंज का कार्य देखने गई थी। वह अकेली कुर्सी पर बैठी थीं। इसी दौरान बंदरों के झुंड ने उन पर हमला कर दिया। बंदरों से बचने की कोशिश में वह जमीन पर गिर गईं। पहले तो परिजन शूटर दादी को मेरठ लेकर गए, जहां से उन्हें एम्स में रेफर कर दिया गया।

एम्स में आर्थोपेडिक डिपार्टमेंट के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. विजय गुर्जर के मुताबिक, दाएं पैर की हड्डी टूट गई थी। उनका ऑपरेशन किया गया है जो सफल रहा है। उनकी 87 वर्षीय उम्र को देखते हुए जांच रिपोर्ट सामान्य पाए जाने के बाद सर्जरी का फैसला किया गया। अभी उन्हें कुछ दिन तक एम्स में ही भर्ती रखा जाएगा। गौरतलब है कि शूटर दादी पर बनी बायोपिक फिल्म ‘सांड़ की आंख’ अगले महीने दीपावली पर रिलीज होगी।

यहां पर बता दें कि तापसी पन्नू और भूमि पेडनेकर जल्द ही फिल्म सांड की आंख में नजर आने वाले हैं। ये फिल्म रिवॉल्वर दादी के नाम से मशहूर प्रकाशो और चंद्रो तोमर पर आधारित है। आपको बता दें कि चंद्रो और प्रकाशो दोनों देवरानी और जेठानी हैं। 86 साल की दादी प्रकाशो और चंद्रो तोमर ने लंबे उम्र में निशानेबाजी में नाम रोशन किया है।

प्रकाशो और चंद्रो की शूटर बनने की कहानी भी काफी दिलचस्प है। प्रकाशो और चंद्रो की पोती शैफाली गांव की डॉ. राजपाल की शूटिंग रेंज में शूटिंग सीखने जाती थीं। इस दौरान ये दोनों दादी भी अपनी पोतियों के साथ रहती थी। एक दिन पोती ने कहा- दादी आप भी निशाना लगा कर देखो। इसके बाद चंद्रो ने दो-तीन निशाने एक दम सही लगाए।

चंद्रो और प्रकाशों 15 पोते-पोतियों की दादी हैं। इसके अलावा उनके छह बच्चे हैं। रिपोर्ट्स के मुताबिक शूटर दादी रात को प्रैक्टिस किया करती थी। दरअसल रात में जब सब सो जाते तब वह पानी से भरा जग लेकर गन को पकड़ने की घंटों प्रैक्टिस किया करती थीं।

दादियों ने एक इंटरव्यू में बताया कि उन्हें गांववाले कारगिल के ताने दिया करते थे। दरअसल गांववाले कहते थे कि-बुढ़िया इस उम्र में कारगिल जाएगी क्या? आज शूटर दादी द्वारा ट्रेंड किए गए बच्चे आज नेशनल लेवल की शूटिंग प्रतियोगिता जीत चुके हैं।

गौरतलब है कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश में बागपत जिले के जोहरी गांव, शूटर दादी प्रकाशी और चंद्रो तोमर का नाम गली-गली का बच्चा जानता है। चंद्रो तोमर कहती हैं कि हम चौथी पीढ़ी में आए थे, बच्चों को शिक्षा दो। आमिर खान बोलता है, दादी बुढ़ापे में किसकी लगन लगी? मैंने कहा, ‘तन बुड्ढा होता है, मन बुड्ढा नहीं होता। हिम्मत तो खुद करनी पड़ेगी। हिम्मत होगी तो पार हो ही जाना है।’ 

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