चांदनी चौक सर्व व्यापार मंडल के अध्यक्ष ने बताया कोरोना से कैसे सुरक्षित रहेंगे दिल्ली के बाजार
कोरोना संक्रमण बढ़ने के साथ ही बाजारों पर पाबंदियों का दौर शुरू हो गया है। बाजारों को भी संक्रमण बढ़ने के लिए सीधे जिम्मेदार माना जा रहा है। शासन-प्रशासन का डंडा सीधे व्यापारियों और बाजारों पर चलता है।
नई दिल्ली। कोरोना संक्रमण बढ़ने के साथ ही बाजारों पर पाबंदियों का दौर शुरू हो गया है। बाजारों को भी संक्रमण बढ़ने के लिए सीधे जिम्मेदार माना जा रहा है। शासन-प्रशासन का डंडा सीधे व्यापारियों और बाजारों पर चलता है। यह सही नहीं है, इसके लिए शासन, प्रशासन के साथ व्यापारियों को अंतर्मन में झांकने की आवश्यकता है। देखना होगा कि गड़बड़ी कहां हो रही हैं। इसे सीधे तौर पर शासन की नीतियां और प्रशासन की कार्यप्रणाली के साथ व्यापारियों की लापरवाही से जोड़ा जा सकता है। मुख्य मार्गो पर इवेन-आड (सम-विषम) का पालन करते हुए दुकानें तो नियमानुसार बंद हो रही हैं। पर अंदर गली-कटरों और छोटे बाजारों में दुकानें खुल रही हैं। इसे रोकने के लिए प्रशासन को सख्त कदम उठाने होंगे। यह बगैर केंद्रीय व्यवस्था के संभव नहीं है।
जिन बाजारों में भीड़भाड़ अधिक है, उनके लिए बाजारवार नोडल अधिकारी नियुक्त करने होंगे, जिसकी मौजूदगी बराबर बाजारों में रहे। उनके साथ सुरक्षाकर्मी के साथ अन्य अधिकारियों का टास्क फोर्स हो,जो बाजार में भ्रमण करते हुए व्यवस्था का जायजा लें और स्थिति को बिगड़ने से रोकें। उनके जिम्मे बाजारों में अवैध रेहड़ी-पटरी पर कार्रवाई के साथ अधिक संख्या में मौजूद रिक्शे व ई-रिक्शे को भी व्यवस्थित कराना होना चाहिए। फुटपाथ पर बैठे बेघरों और भिखारियों का उचित पुर्नवास हो। पैदल चलने वाले लोगों के रास्ते का बाधक बन रहे अवैध रूप से खड़े वाहनों पर भी कार्रवाई की प्रक्रिया नियमित तौर पर चलानी होगी। तभी बाजारों को सुपर स्प्रेडर बनने से रोका जा सकता है।
दरअसल बाजारों में सबसे ज्यादा सख्ती रेहड़ी-पटरी से लेकर सड़कों पर हुई अव्यवस्थित भीड़ पर करने की है। उन्हें जागरूक भी करने की जरूरत है। कारोबारी संगठनों के पास कोई कानूनी अधिकार नहीं है कि वह सड़क पर बैठे या राह चलते लोगों को कोरोना दिशानिर्देशों का पाठ पढ़ा सकें। पुलिस बल भी मुस्तैद नहीं रहता है। ऐसे में यहां अर्धसैनिक बल की मदद लेनी चाहिए। लोगों की जिंदगी जितनी जरूरी है उतना ही जरूरी है कि कोई आर्थिक दिक्कतों से दम न तोड़े, इसके लिए बाजार को भी चलते रहना जरूरी है।
बंदी के बाद बढ़ती है भीड़
लाकडाउन लगाने की जगह बाजारों में भीड़ को नियंत्रित करने के लिए थोक बाजारों और खुदरा बाजारों के समय में बदलाव लाने होंगे। वीकेंड व रात्रि कफ्यरू व्यावहारिक नहीं है। पिछली लहर में भी इसका बुरा असर देखने को मिला था। दो दिन की छुट्टी के बाद भारी संख्या में लोग सोमवार व मंगलवार को बाजारों में निकलते थे। जिसके चलते अधिक संक्रमण फैला। नतीजन पूर्ण लाकडाउन लगाना पड़ा था। जरूरी है कि सम-विषम नियम की सख्ती के आधार पर सातों दिन बाजारों को खोलने की अनुमति मिले। व्यापारियों, पुलिस और प्रशासन के सम्मिलित प्रयासों से कोरोना संक्रमण के प्रसार को काफी हद तक थामा जा सकता है और आर्थिक गतिविधियां भी धीरे-धीरे चलती रहेंगी।
(चांदनी चौक सर्व व्यापार मंडल के अध्यक्ष संजय भार्गव की संवाददाता नेमिष हेमंत से बातचीत पर आधारित)